एक बार कार्यवाही की शुरुआत कानून की नजर में खराब होने पर सभी परिणामी कार्यवाही विफल हो जाएंगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Shahadat

26 Dec 2023 11:46 AM IST

  • एक बार कार्यवाही की शुरुआत कानून की नजर में खराब होने पर सभी परिणामी कार्यवाही विफल हो जाएंगी: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि एक बार कार्यवाही की शुरुआत कानून की नजर में खराब होने पर सभी परिणामी कार्यवाही विफल हो जाएंगी।

    जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने एक्साइज एक्ट के तहत कारण बताओ नोटिस के बिना वसूली से निपटते हुए कहा,

    "एक बार जब कार्यवाही की शुरुआत ही ख़राब हो जाती है तो परिणामी कार्यवाही स्वतः ही कानून की नज़र में विफल हो जाती है।"

    एक्साइज अधिकारियों द्वारा सीएल-2/थोक आपूर्तिकर्ताओं से कुछ नमूने लिए गए, जो याचिकाकर्ता के नियंत्रण में नहीं, बल्कि किसी अन्य संस्था के नियंत्रण में है। यानी, एक्साइज डिपार्टमेंट के नियंत्रण में थोक विक्रेता है। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि नियम 776 उ.प्र. नमूने लेते समय एक्साइज नियमावली का अनुपालन नहीं किया गया, क्योंकि आसवनी का कोई भी व्यक्ति उपस्थित नहीं था।

    यह तर्क दिया गया कि आक्षेपित आदेश पारित होने के 5 दिन बाद एक्ट की धारा 74-ए के तहत कथित शुल्क और जुर्माने की राशि अग्रिम फीस रजिस्टर से वापस ले ली गई, जो कि 1,49,85,677.20 रुपये थी। आगे यह तर्क दिया गया कि एक्साइज एक्ट की धारा 11(2) पुनर्विचार दाखिल करने के लिए एक महीने की अवधि प्रदान करती है। हालांकि, याचिकाकर्ता को पुनर्विचार दायर करने के लिए एक महीने का समय देने के बजाय अधिकारियों ने राशि की वसूली शुरू कर दी, जिससे पुनर्विचार वस्तुतः निष्फल हो गया।

    याचिकाकर्ता के वकील ने आगे तर्क दिया कि एक्साइज एक्ट की धारा 74-ए के तहत आदेश पारित करने से पहले कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया। इस प्रकार, यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

    विवादित आदेश का बचाव करते हुए प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि निरीक्षण करने और नमूने लेने के बाद अनुमेय सीमा से अधिक कमी थी। इसलिए कार्रवाई की गई। हालांकि, न्यायालय के विशिष्ट प्रश्न पर यह स्वीकार किया गया कि एक्ट की धारा 74-ए (1) के तहत कोई नोटिस नहीं दिया गया और नियम 776 के तहत प्रक्रिया का अक्षरश: पालन नहीं किया गया।

    तदनुसार, न्यायालय ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता से पुनर्विचार दाखिल करने के लिए जमा की गई राशि में से 25% की कटौती के बाद शेष राशि को राष्ट्रीयकृत बैंक में निश्चित अवधि के ब्याज वाले खाते में रखा जाएगा। कोर्ट ने आयुक्त उत्पाद कर, उ.प्र., लखनऊ को आदेश के अनुपालन के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: मैसर्स वेव डिस्टिलरीज ब्रुअरीज लिमिटेड बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [रिट टैक्स नंबर - 1461/2023]

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