NI Act में Promissory Note किसे कहा गया है?

Shadab Salim

15 March 2025 4:07 AM

  • NI Act में Promissory Note किसे कहा गया है?

    इस अधिनियम की धारा 4 वचन पत्र के संबंध में उल्लेख करती है। वचन पत्र ऐसा पत्र है जिसने ऋण चुकाने का वचन समाहित है। इसका संबंध ऋण से है। यदि ऋण है तो वहां वचन पत्र भी होने की संभावना रहती है। सामान्य व्यवहारों में वचन पत्र नहीं मिलता है परंतु इसका चलन आज भी है तथा अनेक व्यापारिक व्यवहारों को इससे ही संचालित किया जा रहा है। यह प्राचीन व्यवस्था है और अत्यंत सरल भी।

    कृष्ण कुमार बनाम गुरपाल सिंह के मामले में एक अनुज्ञप्तिधारी ऋणदाता ने पूर्व के हस्ताक्षरित अभिलेख पर प्रोनोट तैयार किया एवं प्रतिवादी के हस्ताक्षर पहले कोरे कागज पर लिए और उसे प्रोनोट के तैयार करने में प्रयुक्त किया। इस मामले में निर्धारित किया गया कि वाद की खारिजी समुचित थी।

    Promissory Noteया प्राप्ति प्रश्नगत अभिलेख पर 7-5-2005 मैंने ख से 5,00,000 रु० उधार लिया है। मैं 6 माह में प्रतिसंदाय करूंगा।" कोर्ट ने धारित किया कि यह अभिलेख केवल यह अभिस्वीकृति है कि प्रतिवादी ने 5 लाख रुपया प्राप्त किया है। अभिलेख यह उल्लेख नहीं करता है कि प्रतिवादी ने भुगतान करने की आबद्धता किया है। अभिलेख को Promissory Noteनहीं कहा जा सकता है। अभिलेख की परक्राम्यता Promissory Noteका मुख्य लक्षण है, जबकि देय धनराशि की निश्चितता एवं बिना शर्त की आबद्धता अन्य दो अपेक्षाएँ हैं जिससे कोई अभिलेख Promissory Noteके वर्णन में आए।

    के० विजय कुमारन नायर उर्फ विजयन बनाम अजीत कुमारी में कथन कि माँग पर वचनदाता 8 लाख रुपए वचनगृहीता को 18% वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने की आबद्धता लेता है।

    यह Promissory Noteके लक्षणों को समाहित करता है। यह कथन की मांग पर देय होना अभिलेख को Promissory Noteबनाने के लिए पर्याप्त है। यह आवश्यक नहीं है कि शब्द 'वचन' का प्रयोग किया जाए बशर्ते कि प्रयुक्त भाषा लेखक की ओर से यह स्पष्ट आशय प्रकट करे कि किसी शर्त भुगतान करने की आबद्धता होनी चाहिए।

    इसी प्रकार का विधि सिद्धान्त के० विजय कुमारन नायर बनाम अजीत कुमारों में अन्तर्ग्रस्त था-

    "मैं आपका ऋणी हूँ"

    मैं आपका ऋणी हूँ "Iowee you" का संक्षिप्त शब्द L.O.U. है। यह केवल ऐसा करने वाले व्यक्ति को धारक के प्रति ऋणी होने की अभिस्वीकृति है। यह Promissory Noteनहीं है और स्टाम्प की अपेक्षा नहीं होती है। यद्यपि कि सभी व्यवहारिक कार्यों के लिये यह एक परक्राम्य लिखत के ही समान मूल्यवान है, जब कभी ऋण के लिये वाद लाने का प्रश्न होता है, जो कि पक्षकारों के बीच सृजित किया गया है, यदि दिए गए धन की वसूली के लिए कोई कार्यवाही की जाती है, वादी, प्रतिवादी द्वारा हस्ताक्षरित 104 साक्ष्य अधिनियम में प्रस्तुत करता है।

    सुमत प्रकाश जैन बनाम मे० ज्ञान चन्द जैन में यह धारित किया गया है कि ऋण की रकम पर ब्याज का संदाय ऋण की अभिस्वीकृति होता है। अपीलकर्ता शीतल प्रसाद जैन के पिता एवं विधिक प्रतिनिधि है। शीतल प्रसाद जैन ने प्रत्यर्थी से 3 लाख रुपए अपने कारोबार के लिये उधार लिए। ऋण चेक द्वारा जिसे 1.55 प्रतिमाह ब्याज की दर से बैंक खाते से दिया गया। प्रतिवादी/अपीलकर्ता ने ऋण का ब्याज 54,000/- चेक द्वारा संदाय किया। प्रत्यर्थी/वादी ने शीतल प्रसाद जैन (प्रतिवादी) पर धन वसूली के लिये वाद लाया परीक्षण कोर्ट ने यह धारित किया कि उधारी का एक समुचित वाद था जो अधिनियम की धारा 4 को आकर्षित करता है और ब्याज का संदाय ऋण की अभिस्वीकृति था। अपील में हाईकोर्ट ने परीक्षण कोर्ट के निर्णय को मान्य करते हुए अपील खारिज कर दी।

    कामन लॉ के अधीन - विनिमयपत्र अधिनियम, 1822 की धारा 83 (1) Promissory Noteको परिभाषित करती है :

    "एक Promissory Noteअशर्त लेखबद्ध वचन है जो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति द्वारा किया जाता है। लेखक के द्वारा हस्ताक्षरित होता है। जिसमें किसी विहित व्यक्ति के या उसके आदेशानुसार या वाहक को माँग पर या निश्चित समय पर या भविष्य में निश्चित होने वाले समय पर एक निश्चित धन भुगतान अन्तर्विष्ट होता है।" आंग्ल विधि बैंक नोट या करेंसी नोट को अपवाद स्वरूप अन्तर्विष्ट नहीं करती है किन्तु सारतः परिभाषा वही है जो भारतीय विधि में है।

    सभी परक्राम्य लिखतों का प्रथम आवश्यक लक्षण इसका लिखत होना है। निश्चित धनराशि का भुगतान करने का मौखिक वचन लिखत नहीं होगा। इस अपेक्षा का उद्देश्य भुगतान करने का मौखिक वचन को अधिनियम के दायरे से अपवर्जित करना है। यह पेंसिल या स्याही से हो सकता है साथ ही साथ यह प्रिंटिंग, टाइप, फोटो कापी, लिथोग्राफी या अन्य किसी दृष्टव्य प्रारूप में शब्दों को प्रतिनिधित्व या प्रस्तुत करने वाला होना चाहिये।

    इसका कोई निश्चित विहित प्रारूप नहीं है, परन्तु कोई अभिलेख एक Promissory Noteमाना जाय इसे प्रारूप एवं आशय में Promissory Noteहोना चाहिए। किसी अभिलेख में एक निश्चित धनराशि के कर्ज की अभिस्वीकृति एवं माँग पर देय होना, अभिलेख को Promissory Noteबनाने के लिए पर्याप्त होगा और कर्जदार का भुगतान करने का वचन करना अनावश्यक होगा। 'वचन" शब्द का प्रयोग करना आवश्यक नहीं होता बशर्ते कि प्रयुक्त भाषा यह स्पष्ट करे कि लेखक की ओर से धनराशि भुगतान करने की अशर्त आबद्धता है।

    एक Promissory Note लेखबद्ध एवं सम्यक् रूप से स्टाम्पित होना चाहिए। बोलम वेंकटैयाह बनाम मेनुमीड्डाला वैंकटा रमन रेड्डी, में यह धारित किया गया है कि एक प्रोनोट यदि स्टाम्पित नहीं है, साक्ष्य में ग्राह्य नहीं होगा और मौखिक साक्ष्य प्रोनोट के निबन्धनों को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

    Promissory Note का दूसरा तत्व भुगतान करने की अभिव्यक्त प्रतिज्ञा होनी चाहिये। केवल कर्ज की अभिस्वीकृति बिना अभिव्यक्त भुगतान करने की प्रतिज्ञा के Promissory Noteनहीं होगा। अतः निम्नलिखित Promissory Noteनहीं है

    (i) श्रीमान् 'ब' मैं आपका 500 रु० का ऋणी हूँ। यह मात्र ऋण की अभिस्वीकृति है। लक्ष्मी बाई बनाम रघुनाथ, में यह धारित है कि यह केवल ऋण की अभिस्वीकृति बिना भुगतान करने की प्रतिक्षा है। अतः Promissory Noteनहीं है।

    (ii) मैंने आपसे उधार लिया 5000 रु० प्राप्त किया जिसका ब्याज सहित हिसाब देना है।

    (iii) आज जो धनराशि मैं नकद 5000 रु० प्राप्त किया हूँ उसे मैं ब्याज सहित भुगतान करने के लिए आबद्ध हूँ ।

    (iv) मेरे पास 5000 रु० जमा करो उसे माँग पर वापस किया जाएगा।

    (v) मैं अ का 5000 रु० आबद्ध हूँ जिसे किश्तों में किराए में भुगतान करूँगा।

    निम्नलिखित Promissory Note है

    (i) शेष रुपये 5000 जो आपको देय है। मैं अभी भी कर्जदार हूँ और भुगतान करने का वचन देता हूँ।

    (ii) 'अ' से 5000 रु० प्राप्त किए जिसे मैं ब्याज सहित भुगतान करने की प्रतिज्ञा करता हूँ।

    (iii) मैं स्वयं को 5000 रु० के कर्जदार की अभिस्वीकृति करता हूँ जिसे माँग पर भुगतान किया जाएगा।

    (iv) हम ऋण लेने के लिये आदेशित हैं जिसे भुगतान करेंगे, यह दूसरे तरह से करने के लिए निर्णीत किया गया है कि "मैं भुगतान करूंगा" अतः Promissory Noteहै।

    पदावली 'मांग पर देय' आवश्यक रूप में भुगतान करने की प्रतिज्ञा विवक्षित करता है और एक Promissory Noteमाँग पर देय अभिव्यक्त एक Promissory Noteहै। जहाँ पर अभिव्यक्तत: भुगतान करने का वचन है वहाँ एक लिखत कम से कम एक Promissory Noteहै, क्योंकि यह कृपाजनक या आभार सूचक शब्दों का प्रयोग करता है। एक Promissory Noteअपनी प्रकृति बनाए रखेगा यद्यपि कि एक निश्चित स्थान पर देय है।

    Promissory Note होने के लिए यह आवश्यक है कि भुगतान करने की प्रतिज्ञा या आबद्धता बिना किसी शर्त के होनी चाहिए। एक वचन अशर्त है जब यह किसी शर्त के अधीन नहीं होता है। यदि अ य को 5000 रु० देने का वचन देता है यदि यह 'स' से विवाह करेगा यह सशर्त वचन है, क्योंकि यह निश्चित नहीं है कि ब स से विवाह करे या विवाह के पूर्व उसकी मृत्यु हो जाय। बियर्डसले बनाम बाल्डविन' में यह लिखित करार था कि विवाहोपरान्त प्रतिवादी को एक निश्चित धनराशि दी जाएगी, Promissory Noteमान्य नहीं किया गया, क्योंकि प्रतिवादी सम्भवतः शादी कभी न करे और धनराशि कभी देय न हो सके।

    निश्चित घटना के अधीन जहाँ वचन किसी ऐसी शर्त के अधीन है जो मानव के सामान्य अनुभव में घटित होने के लिए आबद्ध है, जैसे मृत्यु। इस सम्बन्ध में राबर्ट्स बनाम पोकर्ड का मामला उल्लेखनीय है।

    एक Promissory Noteके लिए वाद लाया गया जो निम्नलिखित प्रारूप में था-

    "स' को मृत्यु पर हम 5000 रु० अ को भुगतान करने का वचन देते हैं जिसका मूल्य प्राप्त कर लिया है, जबकि वह पर्याप्त धनराशि भुगतान वास्ते छोड़ता है अथवा हम भुगतान करने के योग्य हों।" कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि लिखत केवल मृत्यु पर देय बनाया गया होता, तो यह Promissory Noteहोता, क्योंकि मृत्यु की घटना निश्चित है और घटित होने के लिये आवश्यक है। परन्तु अन्य शर्त यदि वह पर्याप्त धन छोड़े या अन्यथा हम भुगतान करने के योग्य हों लिखत को अवैध एवं दूषित बना देता है, क्योंकि यह सशर्त है।

    इस धारा के अर्थ में भुगतान करने का वचन सशर्त नहीं होगा, यदि यह किसी ऐसी घटना के अधीन बनाया गया है जो निश्चित रूप में घटित होगी यद्यपि कि घटने का समय अनिश्चित हो सकता है। अतः स की मृत्यु के एक माह बाद निश्चित धनराशि भुगतान करने की प्रतिज्ञा, Promissory Noteहोगा। ऋणदाता का प्रत्याख्यान के० पी० नलाक गाउण्डर बनाम काथिरवेल के मामले में प्रतिवादी (उधार लेने वाला) ने रुपये लेना एवं Promissory Noteपर हस्ताक्षर करना नकारा, परन्तु Promissory Noteमें सारवान् परिवर्तन का उल्लेख करने में विफल रहा। यदि यह साबित करने में सफल रहा कि Promissory Noteवास्तविक है और प्रतिवादी का हस्ताक्षर धन प्राप्ति के ही समान है। हाईकोर्ट ने वादी के पक्ष में दिक्री देना समुचित पाया।

    सशर्त भुगतान के कुछ दृष्टान्त

    (i) "लेखों के निपटान पर जब मुकदमा समाप्त होता है।" भुगतान करने का वचन।

    (ii) 'कोर्ट में विचाराधीन मामले में विजयी होने पर भुगतान करने का वचन।

    (iii) "जहाज के सुरक्षित आगमन के 30 दिन बाद" भुगतान का वचन।

    (iv) "मैं अपनी सुविधा पर मांग पर भुगतान करने का वचन देता हूँ।"

    (v) "यदि 'ब' द्वारा जो मुझे देय है के भुगतान करने पर भुगतान का वचन"

    (vi) "मैं 'ब' को 5000 रु० किश्तों में भुगतान करने का वचन देता हूँ इस परन्तुक के साथ कि मेरी मृत्यु के बाद कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।"

    Promissory Noteलेखक द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए एवं लेखक के हस्ताक्षर के बिना लिखत अपूर्ण एवं प्रभावहीन होता है। जहाँ Promissory Noteका लेखक, विनिमयपत्र या चेक का लेखक या कोई पृष्ठांकनकर्ता अपना नाम लिखने में असमर्थ है तो चिह्न (अंगूठा निशान) द्वारा इसे पूरा कर सकता है।

    Promissory Noteसभी संयुक्त वचनदाताओं द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए, भागीदारों को छोड़कर। एक अधिकृत अभिकर्ता भी Promissory Noteपर अपने प्रधान के लिए हस्ताक्षर कर सकता है। अनाधिकृत हस्ताक्षर होने की दशा में प्रधान उसे अनुमोदित कर सकेगा। जहाँ लेखक अशिक्षित है यहाँ उसका अंगूठा का निशान पर्याप्त होगा।

    के० शिव कुमार बनाम कादर अली वादी के पिता ने प्रतिवादी को 20,000 रु० दिए और उसने एक Promissory Noteलिखा। प्रतिवादी ने उसे यह कहते हुए इंकार किया कि यह केवल इंग्लिश में हस्ताक्षर करता है, जबकि प्रोनोट पर तामिल में हस्ताक्षर है। कोर्ट ने Promissory Noteको समुचित मान्य किया।

    Promissory Noteमें अभिव्यक्त धनराशि निश्चित होनी चाहिए और इसे जोड़ने या घटाने के समाश्रित ग्रहणशील नहीं होना चाहिए।

    देय धन इस धारा के प्रावधानों के अनुसार निश्चित है जहाँ भुगतान अपेक्षित है :-

    (i) किसी विशेष स्थान पर

    (ii) ब्याज सहित,

    (iii) दिए गए विनिमय दर पर,

    (iv) किस्तों के व्यतिक्रम की दशा में सभी असंदत्त धनराशि देय होगी। इस प्रकार निम्नलिखित निश्चित धनराशि नहीं है:-

    (i) मैं 'ब' के विवाह पर कुछ धनराशि देने का वचन देता हूँ।

    (ii) मैं 'ब' को 5000 रु० एवं अन्य सभी धनराशि जो देय है देने का वचन देता हूँ।"

    (iii) "मैं अ को 1000 रु० एवं अन्य सभी नियमानुसार देय आर्थिक दण्ड भुगतान करने का वचन करता हूँ।"

    स्मिथ के मामले में यह निर्णीत किया गया है कि "मैं ब को विधिमान्य ब्याज के साथ 65 पौण्ड तीन माह के अन्दर सभी देय धनराशि के साथ भुगतान करने का वचन देता हूँ।" को एक अच्छा Promissory Noteमान्य नहीं किया गया।

    छठवी, विशेषता कि लिखत में केवल मुद्रा एवं आवश्यक रूप में मुद्रा देय होनी चाहिए। जब लिखत में मुद्रा के अतिरिक्त या मुद्रा के अतिरिक्त कुछ अन्य चीज देने का उल्लेख हो, Promissory Noteनहीं होगा। यह भी आवश्यक है कि देय मुद्रा को निश्चित होना चाहिए। अतः एक लिखत में मुद्रा के अतिरिक्त धान या एक घोड़ा देने का प्रतिज्ञा Promissory Noteनहीं होगा।

    एक निश्चित बदले दर से विदेशी मुद्रा का भुगतान Promissory Noteहोगा। अधिनियम में कहीं भी यह अपेक्षित नहीं किया गया है कि धनराशि शब्दों में एवं अंकों में लिखी जाय, परन्तु यह सामान्यतः होता है क्योंकि धारा 18 के अनुसार धनराशि यदि शब्दों एवं अंकों में विभिन्नता है तो शब्दों में लिखी धनराशि विधिमान्य होगी।

    लिखत के पक्षकार युक्तियुक्त निश्चितता के साथ दिया जाना चाहिये अर्थात् लिखत के पक्षकार निश्चित होना चाहिए। Promissory Noteके दो पक्षकार एक लिखत को बनाने वाला (लेखक) और दूसर आदाता जिसे भुगतान करने का वचन होता है।

    बृज राज शरन बनाम रघुनन्दन शरन के मामले में अ को लिखे गए पत्र में निम्नलिखित कथन था:-

    "आपके खाते में मेरे पुत्र से 4668.15 रुपये देय है। आपको सुनिश्चित करता हूँ कि मैं धनराशि को दिसम्बर, 1948 तक भुगतान करूंगा। यह कथन किया गया कि व्यक्ति जिसे धनराशि देय है, इंगित नहीं है। परन्तु धारा 4 के दृष्टान्त (ख) को देखते हुए..... यह स्पष्ट है कि यदि व्यक्ति जिसे भुगतान किया जाना है लिखत में इंगित नहीं है, परन्तु लिखत में प्रयुक्त शब्दों से निश्चित है, वहाँ यह तथ्य कि "मैं भुगतान करूंगा" शब्दों के पश्चात् नाम उल्लिखित नहीं है, से यह तात्पर्य नहीं लेना चाहिए कि आदाता अनिश्चित था। चूँकि पत्र 'क' को सम्बोधित है, अतः यह स्पष्ट है कि 'क' आशयित आदाता है, मुख्य न्यायाधीश वान्चु ने यह धारित किया है कि यह एक अच्छा नोट था।

    इसी प्रकार "मैं यह अभिस्वीकृत करता हूँ कि पौण्ड 15.50 सर एन्ड्रेथू को देय है। मैं अभी भी ऋणी हूँ और भुगतान करने का वचन देता हूँ। धारित किया गया कि एक अच्छा Promissory Noteहै। एक लिखत जो किसी पद को धारण करता है उसे देय बनाया गया है, परन्तु उसका नाम नहीं लिखा गया है, उदाहरण के लिए "इण्डियन सोसाइटी के सचिव या उसके आदेशानुसार देय बनाया गया है, धारित किया गया कि एक अच्छा Promissory Noteहै।

    लेखक स्वयं आदाता- एक Promissory Noteस्वयं लेखक को देय नहीं बनाया जा सकता है, ऐसा नोट अकृत होगा, क्योंकि एक ही व्यक्ति लेखक (वचनदाता) और वचनग्रहीता है। इस प्रकार एक नोट में स्वयं को भुगतान करने का वचन देता हूँ।" Promissory Noteनहीं है। परन्तु यदि इसे लेखक ने पृष्ठांकन कर दिया है तो यह विधिमान्य होगा, क्योंकि तब यह लिखत वाहक को देय हो जाता है, यदि कोरा पृष्ठांकन किया जाता है या पृष्ठांकिती या उसके आदेशानुसार देय होता है।

    वाहक को देय वचनपत्र- वाहक को देय Promissory Noteकी दशा में आदाता को निश्चित होना प्रयोज्य नहीं होता है। परन्तु रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया अधिनियम, 1934 की धारा 31 (2) के प्रभाव से रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया या केन्द्रीय सरकार के सिवाय जिन्हें अधिनियम के अधीन अभिव्यक्तः अधिकृत किया है, कोई अन्य व्यक्ति वाहक की माँग पर देय Promissory Noteन तो बना सकता है और न तो लिख सकता है। वाहक को वचन पत्र देय बनाया जा सकता है परन्तु वाहक की माँग पर देय नहीं बनाया जा सकता है।

    ऐसा प्रावधान एक विनिमय पत्र या Promissory Noteको बैंक नोट/करेन्सी नोट से अन्तर रखने के लिए किया गया।

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