राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 6: मौजूदा किरायेदारी में किराया वृद्धि के नियम
Himanshu Mishra
13 March 2025 12:46 PM

राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 6 (Section 6) उन संपत्तियों (Properties) के किराये में वृद्धि करने के नियमों को निर्धारित करती है जो पहले से ही किराए पर दी गई थीं।
यह धारा इस बात को स्पष्ट करती है कि अगर किसी संपत्ति को इस अधिनियम के लागू होने से पहले किराए पर दिया गया था, तो उस संपत्ति का किराया (Rent) किस तरह और कितने प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है। यह प्रावधान मकान मालिक (Landlord) और किरायेदार (Tenant) दोनों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है, ताकि किसी के साथ भी अन्याय न हो।
मौजूदा किरायेदारी (Existing Tenancy) में किराया बढ़ाने के नियम
इस अधिनियम के लागू होने से पहले यदि कोई संपत्ति किराए पर दी गई थी, तो इस धारा के अनुसार, उसका किराया एक निश्चित दर पर बढ़ाया जा सकता है, चाहे पुराने किरायेदारी समझौते (Tenancy Agreement) में कुछ भी लिखा हो।
अगर कोई संपत्ति 1 जनवरी, 1950 से पहले किराए पर दी गई थी, तो यह मान लिया जाएगा कि उसे 1 जनवरी, 1950 को ही किराए पर दिया गया था। उस समय जो भी किराया तय किया गया होगा, उसमें हर साल 5% की वृद्धि होगी। बढ़ा हुआ किराया दस साल बाद मूल किराये में जोड़ दिया जाएगा।
फिर उस संशोधित किराये पर भी 5% की सालाना बढ़ोतरी जारी रहेगी और हर दस साल बाद यह बढ़ा हुआ किराया मूल किराये में जोड़ दिया जाएगा। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाएगा जब तक यह अधिनियम लागू नहीं हो जाता।
अगर संपत्ति 1 जनवरी, 1950 के बाद किराए पर दी गई थी, तो उस समय तय किया गया किराया अधिनियम लागू होने तक हर साल 5% बढ़ेगा। इस वृद्धि की गणना पहले जैसी ही की जाएगी और दस साल पूरे होने के बाद बढ़ा हुआ किराया मूल किराये में जुड़ जाएगा। यह चक्र अधिनियम लागू होने के समय तक जारी रहेगा।
किराया वृद्धि को समझने के लिए उदाहरण (Illustration of Rent Increase)
मान लीजिए कि किसी संपत्ति का किराया 1 जनवरी, 1950 को रु. 100 प्रति माह था। इस धारा के अनुसार, इस किराए में हर साल 5% की बढ़ोतरी होगी। इस प्रक्रिया से 1 जनवरी, 1960 को किराया रु. 100 से बढ़कर रु. 306.30 प्रति माह हो जाएगा। फिर, यही प्रक्रिया दोहराई जाएगी और 1 जनवरी, 1970 को किराया रु. 536.30 प्रति माह तक पहुंच जाएगा। इस तरह, जब तक किरायेदारी (Tenancy) बनी रहेगी, किराया इसी तरह 5% वार्षिक दर से बढ़ता रहेगा और हर 10 साल बाद बढ़ी हुई राशि किराये में शामिल कर दी जाएगी।
अधिनियम लागू होने तक अधूरा किराया वृद्धि (Uncompleted Rent Increase Before Commencement of Act)
अगर इस अधिनियम के लागू होने तक किराये में 10 साल की बढ़ोतरी पूरी नहीं हुई है, तो यह अधिनियम लागू होने तक किराया 5% सालाना बढ़ाया जाएगा।
यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि यदि कोई किरायेदार (Tenant) अधिनियम लागू होने से पहले की अवधि के दौरान किराया वृद्धि (Rent Increase) के पूरे 10 साल की अवधि पूरी नहीं करता, तो भी उसका किराया 5% की दर से बढ़ता रहेगा, जब तक कि यह नया अधिनियम लागू नहीं हो जाता।
किराया वृद्धि की जारी रहने वाली प्रक्रिया (Continuous Rent Increase Process)
जब एक बार इस अधिनियम के लागू होने के वर्ष से किराया निर्धारित हो जाएगा, तो हर साल वह 5% की दर से बढ़ेगा। यह बढ़ी हुई राशि हर दस साल में किराये में शामिल कर दी जाएगी। जब तक किरायेदारी (Tenancy) जारी रहेगी, यह प्रक्रिया इसी तरह आगे बढ़ती रहेगी।
इसका मतलब है कि किरायेदार को हर साल 5% अधिक किराया देना होगा और हर दस साल के बाद बढ़ी हुई राशि को नए मूल किराये में जोड़ दिया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किराये की वृद्धि धीरे-धीरे और नियमित रूप से हो, जिससे किसी भी पक्ष को अचानक अधिक आर्थिक बोझ न सहना पड़े।
कब से बढ़ा हुआ किराया देना होगा? (Effective Date of Increased Rent)
धारा 6(4) में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई मकान मालिक अपने किरायेदार से बढ़ा हुआ किराया लेना चाहता है, तो वह इसे किरायेदार के साथ आपसी सहमति से किसी निश्चित तिथि से लागू कर सकता है। यदि कोई सहमति नहीं बनती, तो मकान मालिक किराया ट्रिब्यूनल (Rent Tribunal) में याचिका दाखिल कर सकता है। इस स्थिति में, किराया वृद्धि की नई दर उस तारीख से लागू होगी जिस दिन ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की गई थी।
यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि मकान मालिक और किरायेदार दोनों को उचित समय मिले और वे कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 की धारा 6 यह स्पष्ट करती है कि अगर कोई संपत्ति इस अधिनियम के लागू होने से पहले किराए पर दी गई थी, तो उस संपत्ति के किराये को हर साल 5% की दर से बढ़ाया जा सकता है। यह प्रावधान पुरानी किरायेदारी को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है ताकि मकान मालिक को उचित किराया मिल सके और किरायेदार पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े।
इसके अलावा, अगर किसी संपत्ति का किराया अधिनियम लागू होने से पहले 10 साल की वृद्धि अवधि पूरी नहीं करता, तो तब तक 5% की सालाना बढ़ोतरी होगी जब तक कि नया अधिनियम लागू नहीं हो जाता।
धारा 6 यह भी कहती है कि बढ़ा हुआ किराया हर साल लागू होगा और इसे मकान मालिक को तय समय पर चुकाना अनिवार्य होगा। यदि किराए को लेकर मकान मालिक और किरायेदार के बीच कोई विवाद (Dispute) उत्पन्न होता है, तो इस मामले को हल करने के लिए किराया अधिकरण (Rent Tribunal) में याचिका दाखिल की जा सकती है, और वहां से जो निर्णय आएगा, उसी के अनुसार किराया तय होगा।
यह कानून एक संतुलन स्थापित करने की कोशिश करता है, ताकि मकान मालिक को उचित किराया मिल सके और किरायेदार पर अत्यधिक आर्थिक दबाव न पड़े। यह अधिनियम लंबे समय से किराये पर रह रहे किरायेदारों के लिए फायदेमंद भी है और मकान मालिकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक सुरक्षा प्रदान करता है।