एक से अधिक अपराधों के लिए सुनवाई के प्रावधान: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 204
Himanshu Mishra
27 Sept 2024 5:12 PM IST
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) की जगह ले ली है और यह 1 जुलाई 2024 से प्रभाव में आ गई है।
इसके महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक कई अपराधों की सुनवाई से संबंधित है, जो यह बताता है कि जब एक व्यक्ति या कई लोग एक से अधिक अपराधों में संलग्न होते हैं, तो न्यायालयों को ऐसे मामलों को किस प्रकार संभालना चाहिए।
इस लेख में संहिता की धारा 204, 242, 243 और 244 की चर्चा की गई है, जो यह निर्धारित करती हैं कि न्यायालय किस प्रकार अपराधों के संबंध में सुनवाई करेगा और इनका न्यायिक प्रक्रिया में क्या महत्व है।
धारा 204: कई अपराधों की सुनवाई के लिए न्यायालयों का अधिकार-क्षेत्र (Jurisdiction)
धारा 204 यह बताती है कि एक व्यक्ति द्वारा या कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कई अपराधों की सुनवाई किस प्रकार की जाएगी। यह उन स्थितियों पर लागू होती है जहां धारा 242, 243, या 244 (जो कई अपराधों के आरोप और सुनवाई से संबंधित है) का प्रावधान लागू होता है।
धारा 204(क)
जब कोई व्यक्ति कई अपराध करता है, जिनके लिए धारा 242, 243, या 244 के अंतर्गत एक ही सुनवाई में आरोपित किया जा सकता है, तो किसी भी एक अपराध की सुनवाई करने के लिए सक्षम न्यायालय अन्य सभी अपराधों की भी सुनवाई कर सकता है।
धारा 204(ख)
इसी प्रकार, यदि कई लोग एक अपराध में सम्मिलित होते हैं और उन अपराधों की एक साथ सुनवाई की जा सकती है, तो वह न्यायालय जहां उन अपराधों में से किसी एक की सुनवाई हो सकती है, उन सभी अपराधों की सुनवाई कर सकता है।
उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर एक निश्चित अवधि में कई चोरी के आरोप हैं, और ये अपराध एक साथ सुनवाई के लिए उपयुक्त हैं, तो जिस अदालत में चोरी का एक मामला चल रहा है, वह बाकी सभी मामलों की भी एक साथ सुनवाई कर सकती है।
धारा 242: समान प्रकार के कई अपराधों की सुनवाई (Trial of Multiple Similar Offences)
धारा 242 उन मामलों पर लागू होती है जहां एक व्यक्ति ने एक ही प्रकार के कई अपराध किए हैं और ये अपराध पहले अपराध से लेकर अंतिम अपराध तक के बारह महीनों के भीतर हुए हों। ऐसे व्यक्ति पर एक ही सुनवाई में पांच से अधिक अपराधों का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
व्याख्या (Explanation):
यह धारा उन मामलों में उपयोगी है जब आरोपी ने एक ही प्रकार के कई अपराध कम समय में किए हों। इससे अदालत पर अलग-अलग सुनवाई का बोझ कम होता है और कई अपराधों को एक साथ सुनवाई में लाया जा सकता है।
उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति पर बारह महीनों के भीतर पांच बार धोखाधड़ी का आरोप है, तो उसे सभी पांच अपराधों के लिए एक ही सुनवाई में आरोपित और परीक्षण किया जा सकता है, जिससे अलग-अलग सुनवाई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
धारा 243: एक ही लेन-देन में कई अपराध (Multiple Offences in a Single Transaction)
धारा 243 तब लागू होती है जब एक व्यक्ति ने एक ही श्रृंखला में जुड़े कार्यों में कई अपराध किए हों। ऐसे व्यक्ति पर एक ही सुनवाई में उन सभी अपराधों का आरोप लगाया जा सकता है।
व्याख्या (Explanation):
यह धारा उन मामलों को नियंत्रित करती है जहां एक ही घटना से जुड़े कई अपराध हुए हैं। इसका उद्देश्य जुड़े हुए अपराधों को एक साथ लाना और सभी अपराधों की सुनवाई को समग्र रूप से सुनिश्चित करना है।
उदाहरण: यदि किसी व्यक्ति ने एक व्यापारिक सौदे में धोखाधड़ी, चोरी और मारपीट जैसे अपराध किए हैं, तो उन तीनों अपराधों की सुनवाई एक साथ की जा सकती है। क्योंकि यह अपराध एक ही लेन-देन से जुड़े हैं, इसलिए एक सुनवाई में ही इनकी सुनवाई संभव है।
धारा 244: अपराध की अनिश्चित प्रकृति (Doubtful Nature of Offence)
धारा 244 तब लागू होती है जब एक ही कार्य या कार्यों की श्रृंखला कई संभावित अपराधों की ओर इशारा करती हो और यह स्पष्ट न हो कि तथ्य किस अपराध का समर्थन करेंगे।
ऐसे मामलों में, आरोपी को सभी संभावित अपराधों के लिए आरोपित किया जा सकता है और अदालत इस बात का निर्णय करेगी कि कौन सा अपराध साक्ष्यों के आधार पर सिद्ध हुआ है। वैकल्पिक रूप से, आरोपी को एक अपराध के लिए दूसरे के विकल्प में आरोपित किया जा सकता है।
व्याख्या (Explanation):
यह धारा तब उपयोगी होती है जब यह स्पष्ट न हो कि आरोपी ने कौन सा अपराध किया है। इससे अदालत को कई आरोप लगाने की अनुमति मिलती है ताकि मामले की सभी संभावनाओं पर विचार किया जा सके और सही निर्णय लिया जा सके।
उपधारा 2 धारा 244 (Sub-section 2 of Section 244)
यदि आरोपी को एक अपराध के लिए आरोपित किया गया हो और साक्ष्यों से यह सिद्ध हो कि उसने एक अलग अपराध किया है (जिसका आरोप धारा 244(1) के प्रावधानों के अंतर्गत लगाया जा सकता था), तो उसे उस अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है, भले ही उस पर शुरू में इसका आरोप नहीं लगाया गया था।
उदाहरण: मान लें कि किसी व्यक्ति पर चोरी का आरोप है, लेकिन सुनवाई के दौरान यह साबित होता है कि उसने वास्तव में डकैती की थी, जो अधिक गंभीर अपराध है। ऐसे में, अदालत आरोपी को डकैती के लिए दोषी ठहरा सकती है, भले ही उस पर प्रारंभिक आरोप चोरी का ही था।
प्रमुख प्रावधानों का सारांश (Summary of Key Provisions)
• धारा 204 यह बताती है कि एक या कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कई अपराधों की सुनवाई कहां की जाएगी।
• धारा 242 एक ही प्रकार के अपराधों की सुनवाई के लिए एक सुनवाई में पांच अपराधों तक की सुनवाई का प्रावधान देती है।
• धारा 243 एक ही लेन-देन से जुड़े सभी अपराधों की एक साथ सुनवाई का प्रावधान देती है।
• धारा 244 अपराध की अनिश्चित प्रकृति की स्थिति में आरोप लगाने की लचीली व्यवस्था प्रदान करती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत ऐसे प्रावधान दिए गए हैं, जो एक ही व्यक्ति या कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कई अपराधों की सुनवाई की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाते हैं।
ये प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि न्यायालय ऐसे मामलों को कुशलतापूर्वक संभाल सके, अलग-अलग सुनवाई से बचते हुए, सभी अपराधों का समग्र परीक्षण किया जा सके। इन प्रावधानों से न्यायिक प्रक्रिया में देरी कम होती है और आरोपी के लिए स्पष्टता आती है।
इस लेख के प्रावधानों की अधिक गहराई से समझ के लिए, Live Law Hindi के पिछले लेखों में धारा 197 से 200 की विस्तृत चर्चा की गई है, जिनकी जानकारी इस लेख से भी संबंधित है।