NDPS एक्ट : क्या ड्रग्स की मात्रा का निर्धारण पूरे मिश्रण पर आधारित होना चाहिए या केवल शुद्ध ड्रग्स की मात्रा पर?

Himanshu Mishra

27 Sep 2024 11:52 AM GMT

  • NDPS एक्ट : क्या ड्रग्स की मात्रा का निर्धारण पूरे मिश्रण पर आधारित होना चाहिए या केवल शुद्ध ड्रग्स की मात्रा पर?

    NDPS एक्ट में ड्रग्स की मात्रा को लेकर बहस

    नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (NDPS Act) भारत का एक कठोर कानून है, जिसका उद्देश्य ड्रग्स की तस्करी और दुरुपयोग को रोकना है। इस कानून के तहत एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि जब ड्रग्स अन्य पदार्थों के साथ मिश्रित होते हैं, तो अपराध में शामिल ड्रग्स की मात्रा का निर्धारण कैसे किया जाए। यह सवाल इस बात के निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण है कि मात्रा को छोटा (Small), वाणिज्यिक (Commercial) या मध्यम (Intermediate) माना जाए, जो सीधे तौर पर सजा की गंभीरता को प्रभावित करता है।

    NDPS एक्ट के मुख्य प्रावधान (Provisions)

    NDPS एक्ट को नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों से संबंधित ऑपरेशन्स को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था। इस एक्ट में मात्रा को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत (Classified) किया गया है: छोटी मात्रा (Small Quantity), वाणिज्यिक मात्रा (Commercial Quantity), और मध्यम मात्रा (Intermediate Quantity)। यह वर्गीकरण सजा की गंभीरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, जहां वाणिज्यिक मात्रा के मामलों में अधिकतम 20 साल तक की कठोर सजा (Rigorous Imprisonment) का प्रावधान है।

    हालांकि एक्ट में "मिश्रण" (Mixture) शब्द की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन यह कानून ड्रग्स और पदार्थों की मात्रा के आधार पर उन्हें वर्गीकृत करने का प्रावधान करता है। प्रारंभ में, कानून शुद्ध ड्रग्स (Pure Drug) की मात्रा पर केंद्रित था, लेकिन संशोधनों और अधिसूचनाओं (Notifications) ने ध्यान को कुल मात्रा (Total Quantity), जिसमें ड्रग्स के साथ मिश्रित न्यूट्रल पदार्थ (Neutral Substances) भी शामिल हैं, पर केंद्रित कर दिया है।

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला: हीरा सिंह मामला

    हीरा सिंह और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य के महत्वपूर्ण फैसले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने NDPS एक्ट के तहत एक महत्वपूर्ण मुद्दे का निपटारा किया—क्या सजा का निर्धारण केवल शुद्ध ड्रग्स की मात्रा पर आधारित होना चाहिए या पूरे मिश्रण (Mixture) पर, जिसमें न्यूट्रल पदार्थ भी शामिल हैं।

    कोर्ट ने ई. माइकल राज बनाम नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पहले के फैसले को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि केवल नारकोटिक ड्रग्स की वास्तविक मात्रा (Actual Content) को ही ध्यान में रखा जाना चाहिए। हीरा सिंह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब्त किए गए पूरे पदार्थ की मात्रा, जिसमें न्यूट्रल पदार्थ भी शामिल हैं, को सजा का निर्धारण करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह व्याख्या (Interpretation) कानून के उस उद्देश्य के अनुरूप है, जिसके तहत ड्रग्स से संबंधित अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है, चाहे ड्रग्स की शुद्धता (Purity) कुछ भी हो।

    विधायी मंशा और नीतिगत विचार (Legislative Intent and Policy Considerations)

    NDPS एक्ट के पीछे विधायी मंशा (Legislative Intent) यह है कि ड्रग्स की तस्करी और दुरुपयोग को रोकने के लिए एक निवारक प्रभाव (Deterrent Effect) पैदा किया जाए। एक्ट का उद्देश्य न केवल शुद्ध ड्रग्स बल्कि उन मिश्रणों को भी रोकना है जिनमें ड्रग्स शामिल होते हैं। कोर्ट ने इस पर जोर दिया कि ड्रग्स की तस्करी करने वाले अक्सर ड्रग्स को न्यूट्रल पदार्थों के साथ मिलाते हैं ताकि मात्रा बढ़ाई जा सके और मुनाफा बढ़ाया जा सके। पूरे मिश्रण की मात्रा को ध्यान में रखते हुए कानून इस समस्या का समाधान करता है और यह सुनिश्चित करता है कि तस्कर सख्त सजा से बच न सकें।

    कोर्ट की व्याख्या व्यापक नीतिगत विचार (Policy Considerations) को भी दर्शाती है—समाज को ड्रग्स के दुरुपयोग से बचाना। पूरे मिश्रण को संबंधित मात्रा मानकर, कानून यह सुनिश्चित करता है कि ड्रग्स को, भले ही वह मिलाए गए रूप में हों, बेचना और वितरण (Distribution) हतोत्साहित हो, जिससे एक मजबूत निवारक प्रभाव पैदा हो सके।

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रभाव (Implications)

    सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का कानून प्रवर्तन और न्याय प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह ड्रग्स की मात्रा का निर्धारण करने की प्रक्रिया को सरल बना देता है, क्योंकि अब शुद्ध ड्रग्स की मात्रा को अलग करने के लिए रासायनिक विश्लेषण (Chemical Analysis) की आवश्यकता नहीं है। इससे ड्रग्स अपराधियों पर मुकदमा चलाना आसान हो जाता है और सख्त सजा का प्रावधान लागू किया जा सकता है।

    यह फैसला NDPS एक्ट की कठोरता (Stringent Nature) को भी मजबूत करता है, जिससे संकेत मिलता है कि ड्रग्स तस्करी में मामूली संलिप्तता (Involvement) भी गंभीर परिणाम (Consequences) ला सकती है, यदि पूरे मिश्रण की मात्रा वाणिज्यिक श्रेणी में आती है।

    NDPS एक्ट की कठोरता को बनाए रखना

    हीरा सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला NDPS एक्ट की कठोरता को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करता है। पूरे मिश्रण के वजन को ध्यान में रखकर, कोर्ट ने कानून के निवारक प्रभाव को मजबूत किया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि ड्रग्स तस्करी में संलिप्त व्यक्ति न्यूट्रल पदार्थों के साथ ड्रग्स मिलाकर कड़ी सजा से बच नहीं सकते। यह व्याख्या ड्रग्स तस्करी और दुरुपयोग के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए विधायी मंशा के अनुरूप है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की रक्षा हो सके।

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