जानिए हमारा कानून
Constitution में ग्राम पंचायतों का उल्लेख
भारत के कांस्टीट्यूशन ने समाज की अंतिम पंक्ति तक लोकतंत्र को भेजने के प्रयास किए हैं। कांस्टीट्यूशन के भाग 9 कांस्टीट्यूशन के 73वें संशोधन और भाग 9(ए) कांस्टीट्यूशन के 74 वें संशोधन अधिनियम 1992 द्वारा कांस्टीट्यूशन में जोड़े गए हैं। कांस्टीट्यूशन के 73वें संशोधन के द्वारा पंचायती राज संस्थाओं और 74 वें कांस्टीट्यूशन संशोधन द्वारा नगर पालिका लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई है।कांस्टीट्यूशन में आर्टिकल 40 के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद इस दिशा में समुचित कदम नहीं...
गवाहियों की सटीकता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 313
गवाही दर्ज करने की प्रक्रिया भारतीय न्याय प्रणाली में निष्पक्षता की बुनियाद है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 में इस प्रक्रिया को विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है। धारा 313 गवाही को रिकॉर्ड करने के बाद उसकी सटीकता सुनिश्चित करने के लिए विशेष दिशा-निर्देश देती है। इस धारा को बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें धारा 310, 311, और 312 का भी संदर्भ लेना होगा।धारा 310, 311 और 312 का पुनरावलोकन (Revisiting) धारा 310: वारंट मामलों (Warrant Cases) में गवाही रिकॉर्ड करना वारंट मामलों में,...
Lurking House-Trespass और House-Breaking क्या है : धारा 330 भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) की धारा 330 छिपा हुआ गृह-अतिक्रमण (Lurking House-Trespass) और गृह-भेदन (House-Breaking) के अपराधों को विस्तार से परिभाषित करती है।इन अपराधों में अवैध प्रवेश (Unauthorized Entry) या निकासी (Exit) शामिल है, जिसमें व्यक्ति छल, बल, या धोखाधड़ी (Deceit) का सहारा लेता है। इस लेख में हम इन प्रावधानों को सरल हिंदी में समझाएंगे। छिपा हुआ गृह-अतिक्रमण (Lurking House-Trespass) क्या है? धारा 330(1) के तहत, छिपा हुआ गृह-अतिक्रमण तब होता है जब कोई...
क्या वकीलों को Consumer Protection Law के तहत सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने नंदलाल लोहरिया बनाम जगदीश चंद पुरोहित (2021) मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल का उत्तर दिया: क्या किसी मुकदमे में हारने पर वकीलों को Consumer Protection Act के तहत सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?कोर्ट के इस फैसले ने वकीलों की पेशेवर जिम्मेदारियों (Professional Responsibilities) और उपभोक्ता कानून (Consumer Law) के तहत उनके दायित्वों (Obligations) की स्पष्ट व्याख्या की। इस लेख में कोर्ट द्वारा उठाए गए प्रमुख प्रावधानों (Provisions) और मूलभूत मुद्दों (Fundamental...
जब हथियार रखना अवैध हो जाए तो जमा करने की प्रक्रिया : आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा 21
आर्म्स एक्ट, 1959 (Arms Act, 1959) भारत में हथियारों और गोला-बारूद (ammunition) के स्वामित्व, उपयोग और हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाला एक महत्वपूर्ण कानून है। इसकी धारा 21 उस स्थिति को संबोधित करती है जब किसी व्यक्ति के पास हथियार रखना कानूनन अवैध (unlawful) हो जाता है।यह प्रावधान ऐसे व्यक्तियों की कानूनी जिम्मेदारियों और हथियारों को जमा करने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताता है। साथ ही, यह बताता है कि जमा करने वाले व्यक्ति को उन हथियारों को वापस लेने या बेचने के अधिकार कैसे मिलते हैं। ...
Constitution में हाईकोर्ट जज की पात्रता
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के आर्टिकल 217 के अनुसार किसी हाई कोर्ट में जज नियुक्त होने के लिए एक व्यक्ति में कुछ योग्यताएं होनी चाहिए जैसे वह भारत का नागरिक होना चाहिए, भारत राज्य क्षेत्र में कम से कम 10 वर्ष तक कोई न्यायिक पद धारण कर चुका होना चाहिए और हाई कोर्ट में कम से कम 10 वर्ष तक एडवोकेट रह चुका होना चाहिए।श्रीकुमार पदम प्रसाद बनाम भारत संघ के मामले में न्यायालय ने असम हाई कोर्ट में नियुक्त किए गए अनुमोदित श्री श्रीवास्तव की नियुक्ति को इस आधार पर अवैध घोषित कर दिया कि संविधान के आर्टिकल 217...
Constitution में हाईकोर्ट से संबंधित प्रावधान
भारत के संघ को उसे अपनी न्यायपालिका दी गई है जिसे भारत का सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है और भारत के राज्यों को अलग न्यायपालिका दी गई है जो अलग-अलग राज्यों के हाई कोर्ट होते हैं। कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया के आर्टिकल 214 से लेकर 237 तक राज्य न्यायपालिका के संबंध में उल्लेख किया गया है। राज्यों के हाई कोर्ट और उसके अधीनस्थ न्यायालयों से मिलकर राज्य न्यायपालिका बनती है।प्रत्येक राज्य में एक हाई कोर्ट होता है पर संसद दो या दो से अधिक राज्यों और एक संघ राज्य क्षेत्र के लिए एक ही हाई कोर्ट की स्थापना कर सकती...
पुलिस अधिकारी द्वारा आर्म्स लाइसेंस प्रस्तुत करने की और व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्ति : सेक्शन 19 और 20 आर्म्स अधिनियम, 1959 अध्याय IV
आर्म्स अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959), भारत में आर्म्स और गोला-बारूद के स्वामित्व, उपयोग और विनियमन (Regulation) के लिए महत्वपूर्ण कानून है। इसका चौथा अध्याय, "शक्तियाँ और प्रक्रिया," अधिकारियों को कानून के अनुपालन (Compliance) सुनिश्चित करने के लिए विशेष अधिकार देता है।इसमें सेक्शन 19 और 20 महत्वपूर्ण हैं, जो लाइसेंस की मांग करने, आर्म्स और गोला-बारूद को जब्त करने और संदिग्ध परिस्थितियों में व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की प्रक्रियाओं को निर्धारित करते हैं। इस लेख में इन प्रावधानों (Provisions)...
क्या बार एसोसिएशन के चुनाव में केवल नियमित वकीलों को ही मतदान का अधिकार है?
सुप्रीम कोर्ट ने बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारी केवल उन वकीलों द्वारा चुने जाने चाहिए जो संबंधित हाईकोर्ट या अदालत में नियमित रूप से प्रैक्टिस करते हैं।बाहरी व्यक्तियों को, जो नियमित रूप से उस अदालत में प्रैक्टिस नहीं करते हैं, चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस एम.आर. शाह और जस्टिस ए.एस. बोपन्ना की पीठ ने की। अवध बार एसोसिएशन चुनाव विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ...
अपराधी अतिक्रमण और गृह-अतिक्रमण: धारा 329, भारतीय न्याय संहिता, 2023
भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) में अपराधी अतिक्रमण (Criminal Trespass) और गृह-अतिक्रमण (House Trespass) को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। इनका वर्णन धारा 329 में किया गया है, जिसमें इन अपराधों की परिभाषा, दंड और उदाहरण दिए गए हैं। इसे सरल भाषा में समझते हैं।अपराधी अतिक्रमण (Criminal Trespass) क्या है? धारा 329(1) के तहत, अपराधी अतिक्रमण तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य के कब्जे (Possession) में मौजूद संपत्ति में इस उद्देश्य (Intent) से प्रवेश करता है: 1. कोई...
साक्ष्य दर्ज करने में भाषा की भूमिका: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 312
भारत में न्याय प्रक्रिया में साक्ष्य (Evidence) का दर्ज होना एक महत्वपूर्ण चरण है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (Bhartiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 312 यह सुनिश्चित करती है कि गवाही दर्ज करते समय भाषा से संबंधित कोई बाधा न्याय प्रक्रिया को प्रभावित न करे। इस लेख में हम सरल हिंदी में धारा 312 और इससे संबंधित प्रावधानों को समझेंगे। साथ ही, इसे समझने के लिए धारा 310 और 311 का भी उल्लेख करेंगे।भाषा और साक्ष्य दर्ज करने की आवश्यकता भारत जैसे बहुभाषी (Multilingual) देश में...
प्रतिवादी को मुकदमे में साक्ष्य आरंभ करने के लिए कब कहा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने आदेश XVIII नियम 1 CPC की व्याख्या की
हाल ही में दिए गए एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने उन परिस्थितियों की व्याख्या की, जिनके अंतर्गत प्रतिवादी को सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के आदेश XVIII नियम 1 के अनुसार मुकदमे की सुनवाई आरंभ करने का अधिकार प्राप्त होता है।CPC के अनुसार, वादी को आरंभ करने का अधिकार है। हालांकि, यदि प्रतिवादी वादी द्वारा आरोपित तथ्यों को स्वीकार करता है और तर्क देता है कि वादी कुछ अतिरिक्त तथ्य या कानून के किसी बिंदु के कारण राहत का हकदार नहीं है, तो प्रतिवादी को आरंभ करने का अधिकार प्राप्त होता है।जस्टिस जे.बी....
जहाज में मौजूद संपत्ति की चोरी करना या उसका अनुचित उपयोग करना : धारा 328, भारतीय न्याय संहिता, 2023
Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023, में कई प्रकार के mischief (दुर्व्यवहार) को रोकने के लिए प्रावधान किए गए हैं जो संपत्ति, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।Section 328 विशेष रूप से उस अपराध को संबोधित करता है, जिसमें जानबूझकर किसी जहाज या vessel (नौका) को जमीन पर ले जाया जाता है या किनारे लगाया जाता है, जिसका उद्देश्य जहाज में मौजूद संपत्ति की चोरी करना या उसका अनुचित उपयोग करना होता है। यह प्रावधान समुद्री सुरक्षा और संपत्ति अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ...
धारा 18, आर्म्स अधिनियम, 1959 के तहत अपील का अधिकार
आर्म्स अधिनियम, 1959 (Arms Act, 1959) यह सुनिश्चित करता है कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण (Licensing Authority) के निर्णयों से प्रभावित व्यक्ति अपनी शिकायतों के समाधान के लिए अपील कर सकें। धारा 18 में अपील से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं। यह प्रावधान न केवल प्रभावित व्यक्तियों को न्याय दिलाने का अवसर देता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि लाइसेंसिंग प्राधिकरण के फैसले पारदर्शी और निष्पक्ष हों।अपील का अधिकार: कौन और किन आदेशों के खिलाफ अपील कर सकता है?धारा 18 के तहत, किसी भी व्यक्ति को, जिसे...
क्या बिना अपराध दर्ज किए पुलिस किसी को बुला सकती है और हिरासत में ले सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण सवाल पर विचार किया: क्या पुलिस बिना अपराध दर्ज किए किसी व्यक्ति को पुलिस स्टेशन में बुला सकती है और हिरासत में रख सकती है?यह मामला M.A. Khaliq & Ors. बनाम Ashok Kumar & Anr. अवैध हिरासत (Illegal Detention) और काउंसलिंग (Counseling) के नाम पर अधिकारों के उल्लंघन से जुड़ा था। इसने पुलिस की जवाबदेही (Accountability) और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों (Constitutional Rights) को लागू करने से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। कानूनी प्रावधान और...
सेशन कोर्ट में साक्ष्य रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 311
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita), 2023, ने न्यायिक प्रक्रिया में साक्ष्य (Evidence) रिकॉर्डिंग की एक स्पष्ट व्यवस्था दी है।जहां धारा 307 से 310 तक साक्ष्य रिकॉर्डिंग के अन्य पहलुओं को शामिल किया गया है, वहीं धारा 311 विशेष रूप से सेशन कोर्ट (Court of Session) में होने वाले ट्रायल के दौरान साक्ष्य रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया पर केंद्रित है। सेशन कोर्ट में गंभीर अपराधों की सुनवाई होती है, इसलिए साक्ष्य रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया को सटीक और निष्पक्ष बनाए रखना अत्यंत...
Constitution में विधानसभा के सत्र के प्रावधान
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में जिस तरह भारत की संसद के लिए सत्र की व्यवस्था की है इसी तरह राज्यों के विधान मंडल के लिए सत्र की व्यवस्था की है। आर्टिकल 174 के अनुसार राज्य विधान मंडल के प्रत्येक सदन को ऐसे समय तथा ऐसे स्थान पर जैसा वह उचित समझे अधिवेशन के लिए आहूत करेगा किंतु शर्त यह है कि गत सत्र के अंतिम दिन तथा अगले सत्र की प्रथम बैठक के लिए नियत तिथि के बीच 6 माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि असेंबली कम से कम साल में दो बैठकें अवश्य करें तथा इसके मध्य का अंतर 6 महीने से...
Constitution में विधानसभा का उल्लेख
कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया में संघ और राज्यों के बीच सामंजस के साथ बंटवारा किया है। भारत का संविधान एक संघीय संविधान है जिसके अंतर्गत भारत के राज्यों के लिए अलग व्यवस्था है और भारत के संघ के लिए अलग व्यवस्था है। भारत राज्यों का एक संघ है जिस प्रकार भारत के संघ को विधि निर्माण के संबंध में अधिकार कांस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया द्वारा दिए गए हैं इसी प्रकार भारत के राज्य को भी अपनी विधायी शक्ति दी गई है जिसके अंतर्गत राज्य के विधान मंडल राज्यों के लिए विधि निर्माण करते हैं। संविधान प्रत्येक राज्य के लिए एक...
रेलवे, विमान और बड़े जहाजों को नुकसान पहुंचाने वाली Mischief: भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 327
भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) में Mischief से जुड़े अपराधों को नियंत्रित करने के लिए विस्तृत प्रावधान दिए गए हैं। इनमें से धारा 327 विशेष रूप से रेलवे, विमान (Aircraft) और बड़े जहाजों जैसे महत्वपूर्ण परिवहन साधनों को नुकसान पहुंचाने से संबंधित है।इन अपराधों को गंभीर माना गया है क्योंकि यह सार्वजनिक सुरक्षा और संपत्ति को बड़ा खतरा पहुंचा सकते हैं। यह लेख धारा 327 के प्रावधानों को सरल भाषा में समझाएगा और इसके संबंध में उदाहरणों के माध्यम से इसकी व्याख्या करेगा। धारा 327...
वारंट-प्रकरणों में साक्ष्य दर्ज और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग करने के नियम : धारा 310 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के प्रावधानों में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया है। जहां धारा 307 से 309 सामान्य प्रावधानों और समन-प्रकरणों (Summons-Cases) में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया को कवर करती हैं, वहीं धारा 310 विशेष रूप से वारंट-प्रकरणों में साक्ष्य दर्ज करने के नियमों पर केंद्रित है। वारंट-प्रकरण गंभीर अपराधों (Serious Offences) से जुड़े होते हैं, इसलिए इन मामलों में साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया अधिक सावधानी और पारदर्शिता (Transparency) की मांग करती...