'इस आधार पर महिलाओं को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता कि यह रात का काम है': केरल हाईकोर्ट ने 'केवल पुरुष ही आवेदन कर सकते हैं' वाली शर्त रद्द की

LiveLaw News Network

16 April 2021 4:33 PM IST

  • इस आधार पर महिलाओं को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता कि यह रात का काम है: केरल हाईकोर्ट  ने केवल पुरुष ही आवेदन कर सकते हैं वाली शर्त रद्द की

    केरल हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला जो पूरी तरह से योग्य है, उसे इस आधार पर रोजगार के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह एक महिला है और क्योंकि नौकरी की प्रकृति के अनुसार रात के समय काम करना पड़ेगा।

    न्यायमूर्ति अनु शिवरामन ने कहा कि महिला का नौकरी हेतु योग्य होने के सिवा नौकरी के महिला के अधिकार के लिए दूसरा कोई सुरक्षात्मक प्रावधान नहीं है।

    कोर्ट ने केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड द्वारा नौकरी के लिए जारी अधिसूचना को पलटा, जिसमें केवल पुरुष उम्मीदवारों को पद के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की अधिसूचना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "यह प्रतिवादी का बाध्य कर्तव्य है, जो सरकार और सरकारी अधिकारी हैं, यह देखने के लिए सभी उचित कदम उठना है कि एक महिला सभी समय सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से उसे सौंपे गए कर्तव्यों को पूरा करने में सक्षम है। यदि ऐसा है तो योग्य महिला को केवल इस आधार पर नियुक्त करने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक महिला है और रोजगार की प्रकृति के अनुसार उसे रात में काम करना होगा।"

    न्यायमूर्ति अनु शिवरामन ने आदेश में कहा कि,

    "मैं यह स्पष्ट करता हूं कि महिला का नौकरी हेतु योग्य होने के सिवा नौकरी के महिला के अधिकार के लिए दूसरा कोई सुरक्षात्मक प्रावधान नहीं है।"

    ट्रेजा जोसफीन सेफ्टी एंड फायर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं और वह केरल राज्य के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र में केरल मिनरल्स एंड मेटल्स लिमिटेड में ग्रेजुएट इंजीनियर ट्रेनी (सेफ्टी) के रूप में कार्यरत हैं। उसने कंपनी में उपलब्ध सेफ्टी ऑफिसर के स्थायी पद के लिए आवेदन के लिए जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस अधिसूचना में कहा गया था कि केवल पुरुष उम्मीदवारों ही इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। याचिकाकर्ता ने अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा कि यह भेदभावपूर्ण है और इस तरह के प्रावधान सेफ्टी ऑफिसर के स्थायी पद के लिए नियुक्ति का उल्लंघन करते हैं। इसके साथ ही कोर्ट से प्रार्थना की कि फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 की धारा 66 (1) (बी) जो प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के उल्लंघन करती हैं उन सभी प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित किया जाए।उक्त प्रावधानों के अनुसार किसी भी महिला को केवल सुबह 6 बजे से शाम के 7 बजे तक ही फैक्टरी में काम करने की इजाजत है।

    कोर्ट ने अपने फैसले में विभिन्न पूर्व निर्णयों को संदर्भित किया है जिसमें यह कहा गया है कि फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 की धारा 66 (1) (बी) के प्रावधान प्राकृतिक रूप से फायदेमंद हैं और महिलाओं को शोषण से बचाने के लिए हैं।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "तथ्यात्मक स्थिति में हमें इस तथ्य पर विचार करना होगा कि फैक्ट्रीज़ एक्ट, 1948 ऐसे समय में अधिनियमित किया गया था जब किसी महिला को किसी भी प्रकृति का काम करना पड़ता था। इसलिए ऐसा देखा जाता था कि कारखानों में रात के समय महिला का शोषणकारी और अधिकारों का उल्लंघन किया जाता। जाहिर है, दुनिया आगे बढ़ रही है और जब समाज में और देश के आर्थिक विकास में महिलाओं की सबसे ज्यादा जरूरत है तो उन्हें घर के कामों में लगा दिया गया है। हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं, जहां आर्थिक विकास के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को किसी भी इंडस्ट्री द्वारा नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। महिलाओं को हेल्थ केयर, एविएशन और सूचना प्रौद्योगिकी सहित कई उद्योगों में सभी समय पर काम करने के लिए लगाया जा रहा है। कई पेशों में तो चौबीसों घंटे काम करने की आवश्यकता होती है और इस तरह की चुनौतियों का सामना किया और महिलाओं ने यह साबित किया है कि वे हर समय किसी भी तरह का कार्य करने में सक्षम हैं।"

    कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय के सचिव बनाम बबीता पुनिया और अन्य [(2020) 7 SCC 469] मामले में सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले का भी हवाला दिया कि निरपेक्ष बार के आधार पर कमांड नियुक्ति की मांग करने वाली महिलाओं का भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता की गारंटी का उल्लंघन है। अदालत ने उल्लेख किया कि रूढ़िवादिता के आधार पर किए गए सबमिशन्स और सामाजिक रूप से निर्धारित भूमिकाओं के बारे में मान्यताओं के आधार पर महिलाओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

    जज ने कहा कि,

    "वर्तमान परिदृश्य में यह कहना कि स्नातक इंजीनियर को पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग में सेफ्टी अधिकारी के रूप में नियुक्ति के लिए फैक्ट्रीज अधिनियम की धारा 66 (1) (बी) के तहत विचार नहीं किया जा सकता है। मेरे अनुसार यह प्रावधान पूरी तरह से अस्थिर और अस्वीकार्य है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि केरल राज्य ने नियमों में संशोधन को मंजूरी दी है, जो इस शर्त पर महिलाओं को नौकरी की अनुमति देता है कि फैक्टरी के मालिक द्वारा इस तरह की नौकरी के लिए सभी सुरक्षा सावधानियों और सुविधाओं की व्यवस्था की जाती है।

    कोर्ट ने कहा कि हालांकि धारा 66 (1) (बी) केवल एक सुरक्षात्मक प्रावधान है, इसे केवल एक संरक्षण के रूप में संचालित और प्रयोग किया जा सकता है और यह प्रावधान ऐसी महिला को नौकरी देने से या काम करने से इनकार करने का बहाना नहीं हो सकता है जिसे इस तरह के संरक्षण की आवश्यकता नहीं है।

    कोर्ट ने कंपनी को सेफ्टी ऑफिसर के पद के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने का निर्देश देते हुए कहा कि,

    "हिंदुस्तान लेटेक्स लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया और शीर्ष अदालत ने कानून के तहत स्पष्ट रूप से कहा कि एक महिला जो पूरी तरह से योग्य है, उसे इस आधार पर रोजगार के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है कि वह एक महिला है और क्योंकि नौकरी की प्रकृति के अनुसार रात के समय काम करना पड़ेगा। यह प्रतिवादी का बाध्य कर्तव्य है, जो सरकार और सरकारी अधिकारी हैं, यह देखने के लिए सभी उचित कदम उठना है कि एक महिला सभी समय सुरक्षित और सुविधाजनक रूप से उसे सौंपे गए कर्तव्यों को पूरा करने में सक्षम है। यदि ऐसा है तो योग्य महिला को केवल इस आधार पर नियुक्त करने से इनकार नहीं किया जा सकता कि वह एक महिला है और रोजगार की प्रकृति के अनुसार उसे रात में काम करना होगा। "

    कोर्ट ने आगे कहा कि,

    "यदि ऐसा है, तो केवल इस आधार पर योग्य हाथ से नियुक्ति से इनकार करने का कोई कारण नहीं होगा कि वह एक महिला है और क्योंकि रोजगार की प्रकृति के लिए उसे रात के घंटों के दौरान काम करने की आवश्यकता होगी। इसलिए मैं यह मानता हूं कि अधिसूचना के मुताबिक 'केवल पुरुष उम्मीदवार ही आवेदन कर सकते हैं यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसलिए इस अधिसूचना के प्रावधान को पलट रहा हूं। मैं डिवीजन बेंच से दोहराते हुए कहा रहा हूं कि धारा 66 (1) (बी) केवल एक सुरक्षात्मक प्रावधान है, इसे केवल एक संरक्षण के रूप में संचालित और प्रयोग किया जा सकता है। मैं यह स्पष्ट करता हूं कि महिला का नौकरी हेतु योग्य होने के सिवा नौकरी के महिला के अधिकार के लिए दूसरा कोई सुरक्षात्मक प्रावधान नहीं है।"

    केस: ट्रेजा जोसफीन बनाम केरल राज्य [WP (C) .No.25092 of 2020]

    कोरम: न्यायमूर्ति अनु शिवरामन

    वकील: एडवोकेट पीआर मिल्टन, एडवोकेट जॉर्ज वर्गीस

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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