सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
Shahadat
19 Feb 2023 12:00 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में पिछले सप्ताह (13 फरवरी, 2023 से 17 फरवरी, 2023 तक) तक क्या कुछ हुआ, जानने के लिए देखते हैं सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र।
शादी को अमान्य पाए जाने पर आईपीसी की धारा 498A के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि शादी को अमान्य पाए जाने पर आईपीसी की धारा 498A के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं होगी। इस मामले में, अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 498-A और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील में ये तर्क दिया गया कि, जैसा कि पक्षों के बीच विवाह को मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से शून्य माना गया है, आईपीसी की धारा 498-A के तहत दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं होगी। शिवचरण लाल वर्मा बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2007) 15 एससीसी 369 के फैसले पर भरोसा किया गया।
केस- पी शिवकुमार बनाम राज्य | 2023 लाइवलॉ (SC) 116 | सीआरए 1404-1405 ऑफ 2012 | 9 फरवरी 2023 | जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
शिव सेना विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच को संदर्भित करने पर फैसला टाला, 21 फरवरी से मेरिट पर होगी सुनवाई
शिवसेना के भीतर दरार से संबंधित मामलों में, संविधान पीठ के 5-न्यायाधीशों ने शुक्रवार को कहा कि वह मामले को मेरिट पर सुनने के बाद एक बड़ी पीठ के संदर्भ में याचिका पर फैसला करेंगे। नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर (2016) में संविधान पीठ के फैसले की शुद्धता पर फिर से विचार करने के लिए उद्धव ठाकरे पक्ष द्वारा संदर्भ के लिए याचिका दायर की गई है।
नबाम रेबिया में, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस दीपक मिश्रा की राय में कहा गया था कि स्पीकर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला नहीं कर सकते हैं, जब उनके निष्कासन की मांग का नोटिस लंबित है। हालांकि, जस्टिस एमबी लोकुर ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में यह मुद्दा नहीं उठता।
केस : सुभाष देसाई बनाम प्रमुख सचिव, महाराष्ट्र के राज्यपाल और अन्य | डब्ल्यू पी (सी) संख्या 493/2022 और संबंधित मामले
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सुप्रीम कोर्ट नियमों के मुताबिक व्हाट्सएप किसी पक्ष को नोटिस की तामील वैध नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में एक रजिस्ट्रार कोर्ट ने कहा कि इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप के माध्यम से किसी पक्ष को नोटिस की तामील वैध नहीं है। रजिस्ट्रार पवनेश डी ने एक ट्रांसफर याचिका में नए सिरे से नोटिस का आदेश देते हुए कहा, "दस्ती सेवा के हलफनामे के अनुसार,एकमात्र 'व्हाट्सएप' के माध्यम से प्रतिवादी को नोटिस दिया गया है, जो कि (सुप्रीम कोर्ट) नियमों के अनुसार प्रवेश स्तर पर सेवा का एक वैध तरीका नहीं है।"
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए, शिवसेना विवाद की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (15 फरवरी 2023) को एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे समूहों के बीच शिवसेना पार्टी के भीतर दरार से उत्पन्न संवैधानिक मुद्दों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई जारी रखी। बेंच के सामने विचाराधीन मुद्दा यह है कि क्या नबाम रेबिया बनाम डिप्टी स्पीकर (2016) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की बेंच को भेजा जाना चाहिए। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्णा मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
केस : सुभाष देसाई बनाम प्रमुख सचिव, महाराष्ट्र राज्यपाल और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) संख्या 493/2022
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
‘वो इस बात पर विचार करें कि क्या व्यक्तिगत दुर्घटना कवर में मालिक के अलावा अन्य व्यक्ति शामिल हो सकते हैं’: सुप्रीम कोर्ट ने IRDAI को निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण को इस पर विचार करने का निर्देश दिया है कि क्या व्यक्तिगत दुर्घटना कवर में मालिक के अलावा परिवार के सदस्यों, दोस्तों, या पंजीकृत मालिक के अलावा ऐसे व्यक्ति जो उधार लेकर वाहन चला रहे हैं या सवारी कर रहे हैं, व्यक्तिगत दुर्घटना कवर के लाभार्थी हो सकते हैं।
केस टाइटल- सुजाता सिंह और अन्य बनाम डिवीजनल मैनेजर नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य | सिविल अपील संख्या 7198-7199 ऑफ 2022
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
रिमांड करने का आदेश मुकदमेबाजी को लंबा खींचता है और देरी करता है: सुप्रीम कोर्ट ने मामला वापस ट्रायल कोर्ट रिमांड करने पर अपीलीय अदालत की शक्ति समझाई
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले को ट्रायल कोर्ट में वापस भेजने के हाईकोर्ट आदेश को रद्द करते हुए कहा कि रिमांड करने का एक आदेश मुकदमेबाजी को लंबा खींचता है और देरी करता है । इस मामले में, पटना हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रिमांड करने का आदेश पारित किया कि ट्रायल कोर्ट का फैसला धारा 33 और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश XX के नियम 4(2) और 5 के अनुसार नहीं लिखा गया था, जैसे कि कुछ पहलुओं पर चर्चा और तर्क विस्तृत नहीं थे।
केस विवरण- अरविंद कुमार जायसवाल (डी) बनाम देवेंद्र प्रसाद जायसवाल वरुण | 2023 लाइवलॉ (SC) 112 | एसएलपी (सी) 9172/2020 | 13 फरवरी 2023 | जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सिविल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को हटाने का सिविल कोर्ट द्वारा वैध रूप से पारित डिक्री को रद्द करने के लिए पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट
हाल ही में जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मित्तल की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने दोहराया कि दीवानी अदालत के अधिकार क्षेत्र को हटाया जा सकता है या निहित किया जा सकता है, लेकिन यह दीवानी अदालत द्वारा वैध रूप से पारित एक डिक्री को रद्द करने के लिए पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं हो सकता है।
खंडपीठ बॉम्बे हाईकोर्ट (गोवा) के एक आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक किरायेदार को बेदखल करने के निचली अदालतों के समवर्ती फैसले की पुष्टि की गई थी, जिसने सूट की संपत्ति के संबंध में मुंडाकर अधिकारों का दावा किया था।
केस टाइटल: अनंत चंद्रकांत भोंसुले (डी) By Lrs और अन्य बनाम त्रिविक्रम आत्माराम कोरजुएंकर (डी) By Lrd और अन्य, सिविल अपील नंबर 3936/2013]
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पुनर्विचार करने का प्रावधान निर्णय की शुद्धता की जांच करने के लिए नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि पुनर्विचार करने का प्रावधान निर्णय की शुद्धता की जांच करने के लिए नहीं है। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने देखा, "पुनर्विचार करने का प्रावधान त्रुटि को ठीक करने के लिए है, यदि कोई है, जो आदेश / रिकॉर्ड पर दिखाई दे रहा है, इस बात पर ध्यान दिए बिना कि क्या व्यक्त की गई राय से अलग होने की संभावना है।"
अदालत ने हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक पुनर्विचार याचिका (शिक्षकों को वेतन के भुगतान से संबंधित एक मुद्दे से संबंधित रिट याचिका) की अनुमति दी गई थी। पीठ ने पाया कि हाईकोर्ट ने विशेष अपील के इस मामले से डील किया और वास्तव में पूरी तरह से नया रुख अपनाते हुए फैसले को उलट दिया।
केस टाइटल- पंचम लाल पांडे बनाम नीरज कुमार मिश्रा | 2023 लाइवलॉ (SC) 111 | एसएलपी(सी) 3329/2021 | जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस पंकज मिथल
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अधीनस्थ नहीं, वे संवैधानिक कोर्ट हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट के अधीनस्थ नहीं, वे संवैधानिक कोर्ट हैं। भारतीय संविधान के तहत, संविधान की व्याख्या करने और न्यायिक समीक्षा याचिकाओं पर विचार करने की शक्ति का प्रयोग केवल सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स द्वारा किया जाता है। ये संवैधानिक न्यायालय हैं।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत दायर विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए पटना उच्च न्यायालय को समयबद्ध कार्यक्रम के भीतर याचिकाकर्ता की लंबित रिट याचिका पर फैसला करने का निर्देश देने की मांग करते हुए ये बात कही।
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थापित करते समय राज्यों को नेशनल मेडिकल काउंसिल के मानकों का पालन करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश संबंधित राज्यों में सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थापित करते समय नियामक प्राधिकरण, राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद जैसे बुनियादी सुविधाओं, संकाय आदि द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (अब एनएमसी) के फैसले को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया, जिसमें तीन राज्य में कुल 800 सीटों वाले आठ कॉलेजों को अनुमति पत्र जारी करने से इनकार कर दिया गया था।
केस टाइटल: बिहार राज्य बनाम एमसीआई | रिट याचिका(यां)(सिविल) सं. 634/2018
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मोटर वाहन अधिनियम | एग्रीगेटर्स लाइसेंस-राज्य नियम बनाते समय केंद्र के दिशानिर्देशों को ध्यान में रख सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जब राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम की धारा 96 के तहत अपनी शक्ति के अनुसरण में नियम बनाती है तो वह उन दिशानिर्देशों को भी ध्यान में रख सकती है, जो केंद्र सरकार द्वारा 2020 में बनाए गए हैं। कंपनी को दोपहिया बाइक टैक्सी एग्रीगेटर लाइसेंस देने से महाराष्ट्र सरकार के इनकार के खिलाफ रैपिडो की याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश में अदालत ने यह टिप्पणी की।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। आदेश के माध्यम से अदालत ने रैपिडो की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष वैकल्पिक उपाय करने को कहा।
केस टाइटल: रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ व अन्य
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोनीत सदस्य नगर निगम के मेयर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली नगर निगम (MCD) के चुनाव के संबंध में आप नेता शैली ओबेरॉय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि मनोनीत सदस्य नगर निगम के मेयर के चुनाव में मतदान नहीं कर सकते। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, "मनोनीत सदस्य चुनाव में वोट देने के लिए नहीं जा सकते। संवैधानिक प्रावधान बहुत स्पष्ट है।"
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मानव जीवन की सुरक्षा पर्यावरण की रक्षा के समान ही महत्वपूर्ण; देश के आर्थिक विकास के लिए जरूरी परियोजनाओं को नहीं रोका जा सकता: सुप्रीम कोर्ट
सेतु भारतम परियोजना के हिस्से के रूप में पश्चिम बंगाल में रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण को हरी झंडी दिखता हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि मानव जीवन की सुरक्षा भी पर्यावरण की रक्षा के समान ही महत्वपूर्ण है। कलकत्ता हाईकोर्ट के 356 पेड़ों को काटने की अनुमति देने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद 2018 से इस परियोजना पर रोक लगी हुई थी। 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।
केस टाइटल : एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल | एसएलपी (सी) संख्या 25047/2018
आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
लीगल प्रैक्टिस से लंबा ब्रेक लेने वाले वकील पेशे से वापस जुड़ने के लिए दोबारा बार एग्जाम दें: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (supreme Court) ने कहा कि एक नामांकित वकील, जो काफी समय के लिए गैर-कानूनी पेशे में काम कर रहे हैं और वे कानूनी पेशे में वापस आना चाहते हैं तो उन्हें दोबार बार एग्जाम देना होगा। सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने शुक्रवार को विधि स्नातकों को कानून की प्रैक्टिस करने के लिए पात्रता मानदंड के रूप में ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन को बरकरार रखा।
केस टाइटल- बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बोनी फोई लॉ कॉलेज व अन्य | विशेष अनुमति याचिका (सिविल) संख्या 22337 ऑफ 2008