मोटर वाहन अधिनियम | एग्रीगेटर्स लाइसेंस-राज्य नियम बनाते समय केंद्र के दिशानिर्देशों को ध्यान में रख सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट
Shahadat
14 Feb 2023 11:53 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जब राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम की धारा 96 के तहत अपनी शक्ति के अनुसरण में नियम बनाती है तो वह उन दिशानिर्देशों को भी ध्यान में रख सकती है, जो केंद्र सरकार द्वारा 2020 में बनाए गए हैं। कंपनी को दोपहिया बाइक टैक्सी एग्रीगेटर लाइसेंस देने से महाराष्ट्र सरकार के इनकार के खिलाफ रैपिडो की याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश में अदालत ने यह टिप्पणी की।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। आदेश के माध्यम से अदालत ने रैपिडो की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया और बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष वैकल्पिक उपाय करने को कहा।
अपने आदेश के माध्यम से अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य एग्रीगेटर लाइसेंस पर नियम बनाते समय केंद्र के दिशानिर्देशों को ध्यान में रख सकता है। संदर्भ के लिए भारतीय मोटर वाहन अधिनियम का अध्याय V परिवहन को नियंत्रित करने के प्रावधानों को प्रदान करता है। अधिनियम की धारा 93(1) एग्रीगेटर्स को लाइसेंस जारी करने से संबंधित है। इस खंड का पहला प्रावधान यह निर्धारित करता है कि लाइसेंस जारी करते समय राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन कर सकती है।
इस प्रकार, अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"जब राज्य सरकार अधिनियम की धारा 96 के तहत अपनी शक्ति के अनुसरण में नियम बनाती है तो वह उन दिशानिर्देशों को भी ध्यान में रख सकती है जो केंद्र सरकार द्वारा 2020 में बनाए गए हैं।"
हालांकि, इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि अंतिम निर्णय राज्य सरकार का होगा, अदालत ने कहा,
"केंद्र सरकार द्वारा 2020 में जारी किए गए दिशानिर्देश केवल प्रेरक मूल्य के हैं और अनिवार्य नहीं हैं। लाइसेंस देने और नियम बनाने का अंतिम निर्णय राज्य सरकार के पास है, जो अपना निर्णय लेते समय दिशानिर्देशों पर विचार कर सकती हैं।"
केस टाइटल: रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ व अन्य
साइटेशन : लाइवलॉ (एससी) 100/2023
मोटर वाहन अधिनियम 1988- एग्रीगेटर्स लाइसेंस- केंद्र सरकार द्वारा 2020 में जारी किए गए दिशानिर्देश केवल प्रेरक मूल्य के हैं और अनिवार्य नहीं हैं। लाइसेंस देने और नियम बनाने का अंतिम निर्णय राज्य सरकार का होता है, जो अपना निर्णय लेते समय दिशानिर्देशों पर विचार कर सकती है। राज्य सरकार जब अधिनियम की धारा 96 के तहत अपनी शक्ति के अनुसरण में नियम बनाती है तो वह उन दिशानिर्देशों को भी ध्यान में रख सकती है, जो 2020 में केंद्र सरकार द्वारा तैयार किया गया है- पैरा 8, 9
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