सुप्रीम कोर्ट ने कथित अवैध धर्मांतरण के मामले में मध्य प्रदेश में ईसाई मिशनरी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (5 जनवरी) को दो बच्चों और उनके माता-पिता को ईसाई धर्म में कथित रूप से जबरन धर्मांतरण के मामले में ईसाई मिशनरी अजय लाल के खिलाफ मध्य प्रदेश की निचली अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने स्थगन आदेश पारित किया, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले का अंतिम निपटारा होने तक लागू रहेगा। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने मौखिक रूप से पूछा कि मामले में मानव तस्करी का अपराध (भारतीय दंड संहिता की धारा 370) कैसे लागू होता है, क्योंकि ऐसा कोई आरोप ही नहीं है।
याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 370 और 186 के साथ-साथ एमपी धार्मिक स्वतंत्र अधिनियम, 2021 (एमपी अधिनियम, 2021) की धारा 3 और 5 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 42 और 74 के तहत आरोप हैं। उन्होंने मामला रद्द करने से इनकार करने वाले एमपी हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
यह आपराधिक मामला महिला के वायरल वीडियो के आधार पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की शिकायत पर दर्ज किया गया। उक्त महिला ने दावा किया कि उसे, उसके पति और बच्चों को पैसे के बदले ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए कहा गया और उन्हें परेशान किया गया। याचिकाकर्ता द्वारा जब उन्होंने चर्च जाना बंद कर दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बताया कि पिछली सुनवाई की तारीख, 15 दिसंबर, 2023 को राज्य की ओर से वचन दिया गया कि वे 5 जनवरी, 2024 तक मुकदमे को आगे नहीं बढ़ाएंगे।
सिब्बल ने कहा,
वचन दिए जाने के बावजूद ट्रायल कोर्ट ने कार्यवाही जारी रखी। यह नहीं हो सकता, न्यायाधीश ने आदेश पढ़ा और फिर भी वह जारी रही।”
सिब्बल ने इस बात पर जोर दिया कि मुकदमे को दूसरी अदालत में ट्रांसफर किया जाना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा,
“मैं मिस्टर सिब्बल के खिलाफ कुछ नहीं कह रहा हूं, मैं उनसे सहमत हूं, जज को ऐसा नहीं करना चाहिए था...लेकिन हम अपने बयान पर कायम हैं। हमने अपने गवाहों को पेश नहीं किया, जो अगले दिन दर्ज किया गया।"
एसजी ने बयान दिया कि राज्य ट्रायल जज को सूचित करेगा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट मामले का फैसला नहीं करता तब तक मुकदमा आगे नहीं बढ़ेगा।
एसजी ने आगे कहा,
"मैं यह बयान दे रहा हूं कि जब तक माई लॉर्ड मामले का निर्णय नहीं कर देते तब तक जज आगे नहीं बढ़ेंगे। हम दोनों जज को इसकी जानकारी देंगे।''
एसजी ने जोर देते हुए कहा कि मामला गंभीर है।
सीजेआई ने इस अदालत के पिछले आदेश का जिक्र करते हुए मौखिक रूप से कहा कि अदालत ने पिछली सुनवाई में दर्ज किया कि एमपी राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा था,
“5 जनवरी, 2024 तक मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा।”
सिब्बल ने कहा कि निचली अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की यह व्याख्या की कि ट्रायल कोर्ट को कार्यवाही रोकने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा,
"माई लॉर्ड्स, आदेश पढ़ने वाला जज इस तरह से कैसे आगे बढ़ सकता है?"
एसजी ने जवाब दिया,
“ऐसा क्यों हुआ मुझे बताना होगा। उन्होंने (याचिकाकर्ताओं) कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगा दी है, इसलिए जज लिखते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई।
सीजेआई ने कहा कि भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए कोर्ट मुकदमे पर रोक लगाने का आदेश देगा। हालांकि एसजी ने सीजेआई से स्थगन आदेश पारित नहीं करने और इसके बजाय अपना उपक्रम दर्ज करने का अनुरोध किया।
इस मुद्दे को तुरंत स्पष्ट करते हुए सीजेआई ने आदेश में कहा,
“15 दिसंबर, 2023 को इस अदालत ने नोटिस जारी करते हुए मध्य प्रदेश राज्य के वकील का बयान दर्ज किया कि 5 जनवरी, 2024 तक मुकदमे को आगे बढ़ाने के लिए कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि ट्रायल जज इस अदालत के आदेश के सही इरादे और अर्थ के संबंध में गलतफहमी में हैं। इस पहलू पर किसी भी अन्य भ्रम को दूर करने के लिए हम निर्देश देते हैं कि मुकदमे में आगे की कार्यवाही पर तब तक रोक लगाई जानी चाहिए, जब तक कि मामला इस अदालत द्वारा अंतिम निपटान के लिए नहीं उठाया जाता।
सीजेआई ने एसजी से यह भी पूछा कि वर्तमान तथ्यों में आईपीसी की धारा 370 के तहत मानव तस्करी का मामला कैसे बनाया जा सकता है, क्योंकि "पूर्व दृष्टया यह आरोप नहीं है"।
इस पर एसजी ने जवाब दिया,
“माई लॉर्ड्स, मैं संतुष्ट करूंगा। 370 पर अन्य विवाद भी हैं, जिन्हें हम संतुष्ट करेंगे। यह गंभीर मुद्दा है, हम बच्चों से निपट रहे हैं माय लॉर्ड्स''
केस टाइटल: अजय लाल बनाम मध्य प्रदेश राज्य एसएलपी (सीआरएल) नंबर 016122 - / 2023