Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की याचिका खारिज की

Update: 2024-01-19 07:58 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 जनवरी) को बिलकिस बानो मामले के सभी ग्यारह दोषियों द्वारा जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए अतिरिक्त समय मांगने के लिए दायर आवेदनों को खारिज की।

कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की जो वजह बताई है, उसमें दम नहीं है। दोषियों को 21 जनवरी तक जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करना होगा, जो कि अदालत द्वारा 8 जनवरी के फैसले के अनुसार निर्धारित मूल समय-सीमा थी, जिसने उनकी समयपूर्व रिहाई को रद्द कर दिया था।

अदालत ने आवेदनों को खारिज करते हुए कहा,

"आवेदकों द्वारा आत्मसमर्पण को स्थगित करने और जेल वापस रिपोर्ट करने के लिए बताए गए कारणों में कोई दम नहीं है, क्योंकि वे कारण किसी भी तरह से उन्हें हमारे निर्देशों का पालन करने से नहीं रोकते हैं।"

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों द्वारा जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग को लेकर दायर कई आवेदनों पर सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों की पृष्ठभूमि में कई हत्याओं और सामूहिक बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा पाए 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार द्वारा पारित छूट के आदेशों को रद्द कर दिया।

1992 की छूट नीति के तहत, 14 साल की सजा काटने के बाद अगस्त 2022 में गुजरात राज्य द्वारा आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों को रिहा कर दिया गया था। हालांकि, खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि गुजरात राज्य के पास मामले में छूट देने का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि मुकदमा महाराष्ट्र राज्य में हुआ था और दोषियों को आत्मसमर्पण करने के लिए इस रविवार तक दो सप्ताह का समय दिया।

आसन्न समय-सीमा के मद्देनजर, तीन दोषियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट वी चितांबरेश ने गुरुवार को जस्टिस नागरत्ना की अगुवाई वाली खंडपीठ के समक्ष उनके आवेदनों का उल्लेख किया और विस्तार याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की मांग की।

जस्टिस नागरत्ना ने जवाब में रजिस्ट्री को यह फैसला सुनाने वाली खंडपीठ के पुनर्गठन और आवेदनों को सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ से निर्देश प्राप्त करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल- बिलकिस याकूब रसूल बनाम भारत संघ एवं अन्य। | रिट याचिका (आपराधिक) नंबर 491 2022

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