सरकारी कर्मचारी पर ड्यूटी के दौरान हुए हमले में समझौते से FIR रद्द नहीं होगी: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ ड्यूटी के दौरान किए गए अपराध निजी विवाद नहीं माने जा सकते और ऐसे मामलों में पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।
जस्टिस सुमीत गोयल की एकल पीठ ने यह टिप्पणी उस याचिका को खारिज करते हुए की, जिसमें आरोपियों ने शिकायतकर्ता (सरकारी कर्मचारी) से हुए समझौते के आधार पर एफआईआर रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने साथ ही संबंधित विभाग के प्रशासनिक सचिव को निर्देश दिया कि वे बिना अनुमति समझौता करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर उचित कार्रवाई करें।
अदालत ने कहा —
“जहां शिकायतकर्ता या पीड़ित व्यक्ति सरकारी कर्मचारी हो और विवाद उसके आधिकारिक कर्तव्यों से जुड़ा हो, ऐसे मामलों में एफआईआर को समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता।”
मामला लाइनमैन राकेश, सुनील और मोहित से जुड़ा था, जिन पर जाट धर्मशाला, बेरी में ड्यूटी के दौरान हमला हुआ। आरोप है कि सरपंच इंदरजीत सुहाग और उनके बेटों ने कर्मचारियों से गाली-गलौज, मारपीट की और सरकारी फोन तोड़ दिया। कर्मचारियों के घायल होने पर सरकारी कार्य में बाधा, चोट पहुंचाने और धमकी देने के आरोप में एफआईआर दर्ज हुई।
आरोपियों ने 07 अगस्त 2025 के समझौते का हवाला देते हुए FIR रद्द करने की मांग की, जबकि राज्य ने विरोध करते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है जिसमें ड्यूटी पर तैनात सरकारी कर्मचारियों पर हमला हुआ।
अदालत ने कहा कि भले ही हाईकोर्ट को धारा 528 BNSS के तहत एफआईआर रद्द करने की शक्ति है, लेकिन यह शक्ति केवल निजी विवादों में सावधानीपूर्वक प्रयोग की जा सकती है।
जस्टिस गोयल ने कहा —
“ड्यूटी पर मौजूद सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अपराध केवल व्यक्ति का नहीं, बल्कि राज्य का मामला भी होता है। सरकारी कर्मचारी राज्य का प्रतिनिधि होता है, और उसके खिलाफ अपराध राज्य की व्यवस्था पर हमला है।”
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी ड्यूटी से जुड़े आपराधिक मामले में बिना विभागीय अनुमति के समझौता नहीं कर सकता, अन्यथा विभागीय कार्रवाई हो सकती है।
अंत में अदालत ने कहा कि यह अपराध सरकारी कर्मचारियों के ड्यूटी के दौरान किए गए हमले से संबंधित है, इसलिए याचिका खारिज की जाती है और एफआईआर रद्द नहीं की जा सकती।