दुर्भाग्य है कि छोटी बेटियों की मां को बिना किसी प्रथम दृष्टया सबूत के हेरोइन और ड्रग मनी रखने के आरोप में ज़मानत देने से मना कर दिया गया: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2024-10-21 06:20 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने अगस्त में बिना किसी प्रथम दृष्टया सबूत के केवल 12 ग्राम हेरोइन और 10,000 रुपये की ड्रग मनी रखने के आरोप में गिरफ्तार की गई तीन छोटी बेटियों की मां को ज़मानत दी।

हाईकोर्ट ने कहा,

"तीन बेटियों की मां, जिनकी उम्र 4, 2 और 1 वर्ष है, 4 अगस्त 2024 से 12 ग्राम हेरोइन रखने के आरोप में एफआईआर में बंद है, जो अधिकतम मध्यवर्ती मात्रा का सिर्फ 4.8% है और 10,000 रुपये को पुलिस ने बिना किसी प्रथम दृष्टया सबूत के ड्रग मनी करार दिया। उसके अत्यंत दुर्भाग्य से इन सबके बावजूद योग्य स्पेशल जज द्वारा जमानत देने से इनकार कर दिया गया, वह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, BNSS की धारा 483 के तहत नियमित जमानत की मांग करते हुए इस अदालत के सामने आई है।"

एफआईआर के अनुसार 04 अगस्त 2024 को एक मौके की बरामदगी के आधार पर पुलिस ने याचिकाकर्ता के कब्जे से 12 ग्राम हेरोइन जब्त की उसके पर्स से 10,000/ बरामद हुए, जिसे पुलिस ने ड्रग मनी बताया, तथा इस तरह की स्व-घोषणा के आधार पर NDPS Act की धारा 21 के साथ धारा 27-ए भी जोड़ी गई।

प्रस्तुतियों की जांच करने के बाद न्यायालय ने पाया कि NDPS Act की धारा 37 की कठोरता हेरोइन की कथित बरामदगी पर लागू नहीं होती।

न्यायाधीश ने स्पष्ट किया,

“NDPS Act की सभी धाराएं अपराध को निर्दिष्ट करती हैं तथा पदार्थ की मात्रा के आधार पर न्यूनतम और अधिकतम सजा का उल्लेख करती हैं। कमर्शियल मात्रा के लिए न्यूनतम दस वर्ष कारावास की सजा तथा न्यूनतम एक लाख रुपये का जुर्माना अनिवार्य है तथा जमानत NDPS Act की धारा 37 में अनिवार्य राइडर्स के अधीन है। जब मात्रा कमर्शियल मात्रा से कम होती है तो NDPS Act की धारा 37 के प्रतिबंध लागू नहीं होंगे तथा जमानत के लिए कारक अपराध के नियमित कानूनों के समान हो जाते हैं।”

कथित ड्रग मनी के संबंध में न्यायालय ने पाया कि यह पैसा प्रतिबंधित पदार्थ के साथ बरामद नहीं हुआ था बल्कि याचिकाकर्ता के पर्स से बरामद हुआ था।

न्यायालय ने कहा,

"भारतीय महिलाओं के लिए अपने पर्स में पैसे रखना सबसे आम बात है। पुलिस के पास ऐसे पैसे को ड्रग मनी कहने के लिए कोई सबूत नहीं था। BSA, 2023 की धारा 23 (1) और (2) के वैधानिक आदेश को भूलकर धारा 27-ए के कठोर दंडात्मक प्रावधान को लागू किया, जिससे NDPS Act की धारा 37 के माध्यम से जमानत पर लगाए गए विधायी प्रतिबंधों को लागू किया जा सके। ऐसी पृष्ठभूमि में NDPS Act की धारा 37 न तो कानून में और न ही एफआईआर में शामिल किए जाने के माध्यम से आकर्षित होगी।”

इसने आगे कहा कि प्री-ट्रायल कारावास, दोषसिद्धि के बाद की सजा की प्रतिकृति नहीं होनी चाहिए।

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता को हीरोइन की बरामदगी के कथित अपराध से जोड़ने वाले पर्याप्त प्रथम दृष्टया साक्ष्य मौजूद हैं लेकिन 12 ग्राम हीरोइन की मात्रा को देखते हुए यह ऐसा मामला नहीं है, जिसमें जमानत देने से इनकार किया जाना चाहिए।

उपर्युक्त के आलोक में याचिका को अनुमति दी गई जबकि कुछ प्रतिबंध लगाए गए।

केस टाइटल: परवीन @ रमन बनाम पंजाब राज्य

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