हाईकोर्ट ने बिहार DGP को थाने में वकील से मारपीट के आरोप की जांच करने का निर्देश दिया

Update: 2024-01-17 10:52 GMT

पटना हाईकोर्ट ने बिहार के पुलिस डायरेक्टर जनरल (DGP) को मोकामा पुलिस स्टेशन में पुलिसकर्मी द्वारा वकील के साथ कथित मारपीट की जांच करने का निर्देश दिया।

जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने निर्देश दिया,

"इस मामले को बिहार राज्य के पुलिस डायरेक्टर जनरल के संज्ञान में लाया जाए, जिनसे उम्मीद की जाती है कि वे पूरे मामले को देखेंगे और सक्षम अधिकारी द्वारा उचित जांच का आदेश देंगे, जो किसी भी मामले में संबंधित पुलिस स्टेशन से जुड़ा नहीं है। मामले की ऐसी जांच आज से छह सप्ताह की अवधि के भीतर की जाएगी। ऐसी जांच के दौरान प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को 23 फरवरी, 2024 तक हलफनामे के साथ इस न्यायालय के संज्ञान में लाया जाएगा।''

उपरोक्त निर्देश आनंद गौरव, जो स्वयं बार में प्रैक्टिस करने वाले वकील हैं, द्वारा दायर याचिका में आया। उक्त याचिका में सक्षम प्राधिकारी द्वारा मामले की उचित जांच की मांग की गई।

गौरव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने मोकामा पुलिस स्टेशन के सब-इंस्पेक्टर (प्रतिवादी) की पिस्तौल छीनने की कोशिश की।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एफआईआर में सभी आरोप झूठे, मनगढ़ंत और निराधार है। आरोप इस तरह से लगाए गए हैं कि यह मामले को बहुत गंभीर रूप देता है। वकील ने तर्क दिया कि पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज से साबित होगा कि याचिकाकर्ता वास्तव में मामले में पीड़ित है और प्रतिवादी द्वारा उस पर हमला किया गया है।

याचिकाकर्ता ने आगे आरोप लगाया कि झूठा मामला दर्ज करने में खुद को फंसाने से बचाने के लिए सब-इंस्पेक्टर ने यह सुनिश्चित किया कि उक्त तारीख और समय का प्रासंगिक सीसीटीवी फुटेज हटा दिया गया।

यह कहा गया कि इस स्तर पर सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं है और थाना परिसर के सीसीटीवी फुटेज के सत्यापन के बिना मामले की जांच पूरी नहीं की जा सकती। वकील ने इस बात पर जोर दिया कि जांच बिना किसी प्रगति के दो साल से अधिक समय से लंबित है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह दुर्भावनापूर्ण अभियोजन का मामला है और यह बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगा, यदि अदालत उन्हें कथित घटना से पहले याचिकाकर्ता और सब-इंस्पेक्टर के बीच हुई बातचीत का ऑडियो क्लिप चलाने का मौका दे।

उक्त ऑडियो क्लिप में, जिसमें याचिकाकर्ता के मोबाइल पर बातचीत रिकॉर्ड की गई, वकील ने बताया कि सब-इंस्पेक्टर को ऐसे सभी मामलों में रिश्वत और उसके हिस्से की मांग करते हुए स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है, जिसमें वाहनों को अदालत द्वारा जारी करने का आदेश दिया गया।

अदालत की अनुमति से याचिकाकर्ता के वकील ने एक पेन ड्राइव में मौजूद ऑडियो क्लिप पेश की, जिसे राज्य के वकील और बार के सदस्यों की उपस्थिति में कोर्ट रूम में चलाया गया।

क्लिप को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा,

“यदि ऑडियो क्लिप सही है तो दूसरी तरफ से याचिकाकर्ता से रिश्वत मांगने की आवाज़ आ रही है। हालांकि, इस ऑडियो क्लिप की पहचान करना जरूरी है और जांच के लिए आवाज टेस्ट भी जरूरी होगा।”

तदनुसार, अदालत ने 21.12.2023 को प्रतिवादी और पुलिस सुपरिटेंडेंट (एसपी) को नोटिस जारी किया।

अगली सुनवाई में 11.01.2024 को पुलिस सुपरिटेंडेंट (ग्रामीण), पटना द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रतिवादी के खिलाफ दायर मामला सही है, जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ सब-इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज मामला सही है। साक्ष्य के अभाव में बंद करने का आदेश दिया गया।

इसके अलावा, एसपी ने जांच अधिकारी को "सबूतों के अभाव में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया" के रूप में फाइनल फॉर्म जमा करने का निर्देश दिया।

यह देखते हुए कि सीसीटीवी फुटेज अब उपलब्ध नहीं है, अदालत ने कहा,

"सभी तथ्यों पर यह स्पष्ट है कि जो लोग सीसीटीवी फुटेज में पूरी घटना की रिकॉर्डिंग की उपस्थिति के कारण फंस रहे है, उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इसे संरक्षित नहीं किया गया। यदि याचिका में लगाए गए आरोप, जैसा कि अब प्रथम दृष्टया सही प्रतीत हो रहा है, अंततः सही पाए जाते हैं तो याचिकाकर्ता मुआवजे का भी हकदार होगा।''

कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को करेगा।

अपीयरेंस:

याचिकाकर्ताओं के लिए: कुमार शानू, वकील प्रतिवादी के लिए: प्रभात कुमार वर्मा, एएजी-III, सुमन कुमार झा, एसी टू एएजी-III

केस नंबर: आपराधिक रिट क्षेत्राधिकार केस नंबर 1081, 2023

केस टाइटल: आनंद गौरव बनाम बिहार राज्य

आदेश दिनांक 21-12-2023 को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

आदेश दिनांक 11-01-2024 को पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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