तमिलनाडु सर्विस नियमों के तहत वैवाहिक विवाद कदाचार, सरकारी विभाग कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर सकता है: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2025-06-20 04:06 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि तमिलनाडु सरकारी कर्मचारी आचरण नियम, 1973 के तहत वैवाहिक विवाद को कदाचार माना जाता है और सरकारी विभागों को ऐसे कदाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अधिकार है।

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस एडी मारिया क्लेटे की खंडपीठ ने कहा कि सरकारी कर्मचारी से न केवल कार्यालय के अंदर बल्कि बाहर भी ईमानदारी, निष्ठा और अच्छे आचरण की अपेक्षा की जाती है। इस प्रकार, खंडपीठ ने कहा कि भले ही वैवाहिक संबंध में कोई कदाचार किया गया हो, विभाग अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू कर सकता है।

अदालत ने कहा,

"तमिलनाडु सरकारी कर्मचारी आचरण नियम, 1973 के तहत वैवाहिक विवाद भी एक कदाचार है और सरकारी विभागों को ऐसे कदाचार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अधिकार है। एक सरकारी कर्मचारी से कार्यालय और समाज दोनों में ईमानदारी, निष्ठा और अच्छे आचरण की उम्मीद की जाती है। इसलिए कदाचार के लिए भले ही यह वैवाहिक संबंध में किया गया हो, सरकारी विभागों को विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है।"

अदालत जिला स्वास्थ्य सोसायटी के कार्यकारी सचिव/स्वास्थ्य सेवाओं के उप-निदेशक द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एकल जज के आदेश को चुनौती दी गई थी। एकल जज ने अपने आदेश में कहा था कि वैवाहिक विवाद में दर्ज आपराधिक मामला सरकारी संविदा रोजगार को जारी रखने में बाधा नहीं है।

बता दें, प्रतिवादी (मूल याचिकाकर्ता) को एक वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध के आधार पर सरकारी उन्नत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डेंटल असिस्टेंट के रूप में नियुक्त किया गया था। अनुबंध को समय-समय पर नवीनीकृत किया गया। जब प्रतिवादी को आपराधिक मामले में फंसाया गया तो उसे विभाग द्वारा हटा दिया गया। जब इसे रिट कार्यवाही के माध्यम से चुनौती दी गई तो एकल जज ने माना कि वैवाहिक विवाद में आपराधिक मामला संविदात्मक रोजगार के लिए बाधा नहीं है। इसके खिलाफ, विभाग ने वर्तमान अपील दायर की थी।

हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि आदेश सेवा नियमों के माध्यम से स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि वैवाहिक विवाद भी एक कदाचार है। अदालत ने कहा कि प्रतिवादी की अनुबंध की अवधि भी समाप्त हो गई, जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया। इस प्रकार अदालत ने अपील स्वीकार की और एकल जज का आदेश रद्द कर दिया।

Case Title: The Executive Secretary of District and Others v. K.S Subha Karuthukhan

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