धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले व्हाट्सएप मैसेज फॉरवर्ड करने के आरोप में गिरफ्तार लेक्चरर को मिली जमानत : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2025-06-18 03:49 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक गेस्ट लेक्चरर जमानत दे दी है, जिन पर व्हाट्सएप पर कथित रूप से आपत्तिजनक धार्मिक सामग्री प्रसारित करने का आरोप था, जिससे एक समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं।

कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि केवल इस आधार पर कि किसी व्यक्ति ने ऐसे मैसेज या वीडियो फॉरवर्ड किए हैं जो दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकते हैं, उसे अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता।

जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह ने टिप्पणी करते हुए कहा, “प्रथम दृष्टया कहा जा सकता है कि एक शिक्षित व्यक्ति और जो कॉलेज में गेस्ट फैकल्टी के रूप में कार्यरत है, उस पर ज्यादा जिम्मेदारी होती है कि वह क्या संदेश आगे बढ़ाता है। लेकिन केवल इस आधार पर कि उसने ऐसे संदेश या वीडियो फॉरवर्ड किए जो किसी समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुँचा सकते हैं, उसे अनिश्चितकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता। वर्तमान आवेदक 28.04.2025 से जेल में है।”

आवेदक ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS, 2023) की धारा 196 (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना), धारा 299 (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य जिससे किसी समुदाय की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचे), और धारा 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव को बढ़ावा देने वाले बयान) के तहत दर्ज अपराधों में नियमित जमानत की मांग की थी। ट्रायल कोर्ट ने इससे पहले उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

प्रकरण के अनुसार, शिकायतकर्ता दीपेंद्र जोगी ने आरोप लगाया था कि आवेदक, जो कि शासकीय मॉडल कॉलेज डिंडोरी में अतिथि व्याख्याता हैं, ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप में कुछ ऐसे पोस्ट और एक वीडियो प्रसारित किया था जो दूसरे समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से था। वह वीडियो “नया रावण” शीर्षक से प्रसारित किया गया था।

आवेदक की ओर से एडवोकेट ने तर्क दिया कि वह एक शिक्षित महिला हैं और उनकी किसी भी समुदाय की धार्मिक भावना को आहत करने की कोई मंशा नहीं थी, अतः उन्हें जमानत दी जाए।

वहीं, शासकीय अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आवेदक ने जानबूझकर ऐसे व्हाट्सएप संदेश और वीडियो भेजे थे जिनसे धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती थीं।

कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत याचिका स्वीकार कर ली कि केवल संदेश और वीडियो फॉरवर्ड करने के आधार पर, जिनसे धार्मिक भावना आहत हो सकती है, किसी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता।


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