इंदौर ट्रक हादसा मामला: एमपी हाईकोर्ट ने पुलिस आयुक्त को तलब किया

Update: 2025-11-11 06:49 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (10 अक्टूबर) को इंदौर के पुलिस आयुक्त को 19 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया। अदालत ने यह कदम तब उठाया, जब उसने पाया कि पूर्व में दिए गए निर्देशों के बावजूद इंदौर में नशे में वाहन चलाने और पुलिस की निष्क्रियता के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

यह मामला स्वतः संज्ञान याचिका से संबंधित है, जिसमें अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया था। इंदौर में एक ट्रक ने व्यस्त ट्रैफिक समय के दौरान आवासीय इलाके में प्रवेश कर कई वाहनों को टक्कर मार दी थी, जिससे तीन लोगों की मौत हो गई और 35 लोग घायल हो गए थे जिनमें से 12 की हालत गंभीर थी।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए राज्य सरकार से यह बताने को कहा था कि सड़क सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा मजबूत करने के उद्देश्य से हेलमेट उपयोग गलत दिशा में वाहन चलाना, खतरनाक ओवरटेकिंग, तेज चमक वाली एलईडी लाइटों का उपयोग और बिना अनुमति लाल–नीली बत्ती और हूटर के उपयोग पर सख्त रोक जैसे कई विस्तृत निर्देश पहले ही जारी कर रखे हैं।

हालांकि, एमिक्य क्यूरी द्वारा पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट ने अदालत का ध्यान हाल की कई घटनाओं की ओर आकृष्ट किया। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि एक मामले में नशे में धुत ड्राइवर ने दो स्टूडेंट्स को कुचल दिया, जबकि दूसरे मामले में तीन पुलिसकर्मियों ने कथित रूप से शराब के नशे में चार से पांच लोगों की जान ले ली।

हालात पर गंभीर टिप्पणी करते हुए चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सारफ की खंडपीठ ने कहा,

“एमिक्स क्यूरी द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट दर्शाती है कि इस न्यायालय के पूर्व आदेशों के बावजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए। अतः हम पुलिस आयुक्त, इंदौर को 19 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश देते हैं।”

सुनवाई के दौरान आईपीएस अधिकारी आनंद कलाडगी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि वह स्वयं पुलिस आयुक्त से ही इन कमियों पर जवाब चाहती है।

एमिक्स क्यूरी ने कई सुझाव भी रखे, जिनमें 'नो-एंट्री' ज़ोन पर वाहन प्रवेश की कड़ी निगरानी, उससे संबंधित रिफ्लेक्टिव साइनेज और शहर के 19 महत्वपूर्ण स्थानों पर सामुदायिक निगरानी आधारित सीसीटीवी व्यवस्थाएं शामिल थीं।

इन सुझावों को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया,

“पुलिस आयुक्त एमिक्स क्यूरी द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार करें और अगली सुनवाई में अपना जवाब दाखिल करें।”

हाईकोर्ट का यह कदम सड़क सुरक्षा को लेकर प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है और पुलिस को स्पष्ट संकेत देता है कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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