2025 AIBE: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रश्नों को हटाने के बाद उत्तीर्ण अंकों में कमी की मांग करने वाली उम्मीदवार की जनहित याचिका खारिज की

Update: 2025-06-27 13:12 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (24 जून) को 2025 अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के परिणामों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की। इस याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) को वैध प्रश्नों की संख्या के अनुपात में न्यूनतम उत्तीर्ण अंकों को कम करने और परिणाम पुनः प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

यह याचिका एक उम्मीदवार द्वारा दायर की गई थी, जो परीक्षा में उपस्थित हुआ था और उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उसने जनहित याचिका दायर कर मांग की कि 2025 AIBE के परिणामों को अन्यायपूर्ण, मनमाना और भेदभावपूर्ण घोषित किया जाए।

हालांकि, एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

"अगर हम याचिकाकर्ता की दलील को स्वीकार भी कर लें तो भी याचिकाकर्ता ने केवल 39 प्रश्नों के सही उत्तर दिए हैं। जबकि 93 में से 45% यानी 42 प्रश्न हैं। याचिकाकर्ता ने अपने स्वयं के साक्ष्य के आधार पर बार काउंसिल द्वारा घोषित वैध प्रश्नों में से 45% उत्तर नहीं दिए। इसके अलावा, हम देखते हैं कि याचिकाकर्ता ने परीक्षा में भाग लिया और उसे उत्तीर्ण नहीं किया। तदनुसार, याचिकाकर्ता के कहने पर जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं होगी।"

वकील विष्णु प्रसाद द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि AIBE में 100 मूल प्रश्नों में से उम्मीदवारों द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बाद BCI ने 7 प्रश्नों को हटा दिया था। इसलिए अंतिम परिणाम 93 प्रश्नों पर आधारित था।

प्रसाद ने तर्क दिया कि चूंकि प्रश्नों की संख्या कम कर दी गई, इसलिए "न्यूनतम उत्तीर्ण अंक भी कम किए जाने चाहिए"।

अदालत ने कहा कि BCI की अधिसूचना के अनुसार, AIBE के लिए न्यूनतम योग्यता प्रतिशत 45% था। 93 वैध प्रश्नों पर इस प्रतिशत को लागू करने का मतलब था कि उम्मीदवार को पास होने के लिए कम से कम 41.85 अंक (42 प्रश्नों तक पूर्णांकित) प्राप्त करने होंगे।

प्रसाद ने तर्क दिया कि बार काउंसिल द्वारा अंकों का कभी भी संकेत नहीं दिया जाता है और याचिकाकर्ता ने एक गणना की थी और उसकी गणना के अनुसार, उसने 39 प्रश्नों के सही उत्तर दिए।

हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही यह दावा स्वीकार कर लिया गया हो। फिर भी उम्मीदवार का स्कोर वैध प्रश्नों के आवश्यक 45% से कम है।

जनहित याचिका में कोई योग्यता नहीं पाते हुए हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

Case Title: Shrankhala v Bar Council of India and Others (WP-20853-2025)

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