
भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली (Criminal Justice System) में गवाहों (Witnesses) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। उनकी गवाही (Testimony) के आधार पर ही न्यायालय (Court) अपराधियों को सजा देता है। लेकिन कई बार गवाहों को धमकी (Threat), डराने-धमकाने या शारीरिक नुकसान (Physical Harm) का सामना करना पड़ता है, जिससे वे सच्ची गवाही देने से बचते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने गवाह संरक्षण योजना (Witness Protection Scheme) बनाई, जिसे बाद में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023) की धारा 398 (Section 398) में शामिल किया गया।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 398 (Section 398 of BNSS, 2023) क्या कहती है?
इस धारा के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार (State Government) को अपने राज्य के लिए गवाह संरक्षण योजना (Witness Protection Scheme) तैयार करनी होगी और इसे अधिसूचित (Notify) करना होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि गवाह बिना किसी डर के गवाही दे सकें और न्याय प्रणाली मजबूत हो।
भारत में गवाह सुरक्षा की आवश्यकता (Need for Witness Protection in India)
भारत में गवाहों की सुरक्षा एक गंभीर समस्या रही है। कई मामलों में गवाहों पर हमले किए गए हैं, जिससे वे अपनी गवाही बदलने को मजबूर हुए हैं।
कानूनी रिपोर्ट और न्यायालय के निर्देश (Legal Reports and Court Directions)
1. 14वीं विधि आयोग रिपोर्ट (14th Law Commission Report) – इस रिपोर्ट में पहली बार गवाह सुरक्षा की आवश्यकता पर ध्यान दिया गया था।
2. मलिमथ कमेटी (Malimath Committee) – इस समिति ने भी गवाहों की सुरक्षा को न्याय प्रणाली का अनिवार्य हिस्सा बनाने की सिफारिश की थी।
3. गुजरात बनाम अनिरुद्ध सिंह (State of Gujarat v. Anirudh Singh, 1997) – इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है।
आसाराम बापू मामला (Asaram Bapu Case): गवाह सुरक्षा की जरूरत क्यों पड़ी?
इस मामले में कई गवाहों पर हमले हुए, यहां तक कि कुछ की हत्या कर दी गई। इससे यह साफ हुआ कि भारत में गवाहों को सुरक्षा देने की जरूरत है। इस मामले के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को गवाह सुरक्षा योजना (Witness Protection Scheme, 2018) लागू करने का निर्देश दिया।
गवाह संरक्षण योजना, 2018 (Witness Protection Scheme, 2018)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने यह योजना बनाई, जिसका उद्देश्य गवाहों को सुरक्षा देना था।
मुख्य विशेषताएं (Key Features of the Scheme)
1. गवाहों को तीन श्रेणियों में बांटना (Categorization of Witnesses Based on Threat Perception)
गवाहों को खतरे के स्तर के आधार पर तीन श्रेणियों में बांटा गया:
• श्रेणी A (Category A) – गवाह या उसके परिवार को जान का खतरा हो सकता है।
• श्रेणी B (Category B) – गवाह या उसके परिवार की सुरक्षा, संपत्ति या प्रतिष्ठा को खतरा हो सकता है।
• श्रेणी C (Category C) – गवाह को मामूली धमकियां या परेशान किया जा सकता है।
2. सुरक्षा उपाय (Protective Measures)
गवाहों को निम्नलिखित सुरक्षा दी जा सकती है:
• गवाह और आरोपी को आमने-सामने न लाना (Ensuring No Face-to-Face Interaction)
• गवाह की पहचान गोपनीय रखना (Protection of Identity)
• गवाह को दूसरी जगह स्थानांतरित करना (Relocation of the Witness)
• गवाह को नया नाम और पहचान देना (Change of Identity)
• गवाह के घर पर सुरक्षा उपकरण लगाना (Installation of Security Devices at Residence)
3. गवाह सुरक्षा कोष (Witness Protection Fund)
राज्य सरकार को गवाह सुरक्षा कोष (Witness Protection Fund) बनाना होगा, जिससे गवाहों की सुरक्षा के लिए धन उपलब्ध कराया जा सके।
4. योजना को लागू करने वाली संस्था (Competent Authority and Implementation)
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (District Legal Services Authority – DLSA) गवाहों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाएगा। गवाह या पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा दी जाएगी।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 398 (Section 398 of BNSS, 2023) का महत्व
जब 2018 की योजना बनी, तब यह केवल एक सरकारी नीति थी, लेकिन धारा 398 के तहत इसे कानूनी मान्यता (Legal Recognition) दे दी गई है।
इस धारा के प्रभाव (Implications of Section 398)
1. सभी राज्यों में समान नियम लागू होंगे (Uniformity Across States) – अब सभी राज्यों में गवाह सुरक्षा योजना को लागू करना अनिवार्य हो गया है।
2. राज्य सरकार की कानूनी जिम्मेदारी (Legal Obligation of State Governments) – अब यह राज्य सरकार की कानूनी जिम्मेदारी होगी कि वे गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
3. गवाह सुरक्षा न्याय प्रणाली का हिस्सा बनेगी (Integration with Criminal Justice System) – गवाहों की सुरक्षा अब केवल विशेष मामलों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह न्याय प्रणाली का एक स्थायी हिस्सा बन जाएगी।
चुनौतियां और आलोचना (Challenges and Criticisms)
हालांकि यह योजना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे लागू करने में कई चुनौतियां भी हैं।
1. वित्तीय और संसाधन की कमी (Resource Constraints)
गवाहों की सुरक्षा के लिए अधिक धन और प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की जरूरत होगी, जो सभी राज्यों के लिए संभव नहीं है।
2. जानकारी की कमी (Lack of Awareness)
गवाहों को इस योजना की जानकारी नहीं होती, जिससे वे सुरक्षा के लिए आवेदन ही नहीं कर पाते।
3. दुरुपयोग की संभावना (Potential for Misuse)
कुछ लोग गलत तरीके से इस योजना का उपयोग कर सकते हैं। इसलिए, इसका दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश (Guidelines) जरूरी हैं।
अन्य देशों में गवाह सुरक्षा (Witness Protection in Other Countries)
1. अमेरिका (United States) – अमेरिका में Witness Security Program (1971) के तहत गवाहों को नई पहचान और दूसरी जगह भेज दिया जाता है।
2. इटली (Italy) – इटली में यह कानून माफिया मामलों (Mafia Cases) में गवाहों की सुरक्षा के लिए बहुत प्रभावी रहा है।
भारत को क्या सीखना चाहिए? (Lessons for India)
भारत को इन देशों से सीखकर निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
• गवाहों को पूरी सुरक्षा देने के लिए विशेष सुरक्षा इकाइयां (Dedicated Witness Protection Units) बनानी चाहिए।
• गवाहों को वित्तीय और मनोवैज्ञानिक सहायता (Financial and Psychological Support) दी जानी चाहिए।
• गोपनीयता और सुरक्षा मानकों (Confidentiality and Security Protocols) को सख्ती से लागू करना चाहिए।
गवाह सुरक्षा न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 398 ने इसे कानूनी मान्यता देकर इसे अधिक प्रभावी बनाया है। हालांकि, इसे लागू करने में कई चुनौतियां हैं, लेकिन यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत बना सकता है।