धारा 17 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001: अपीलीय किराया के समक्ष पक्षकारों की उपस्थिति की तिथि निर्धारित करना और अंतिम आदेश की प्रतियां प्रदान करना

राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 (Rajasthan Rent Control Act, 2001) में किराया न्यायाधिकरण (Rent Tribunal) द्वारा सुनवाई के बाद अपील की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। धारा 17 (Section 17) इस संबंध में महत्वपूर्ण प्रावधान करता है, जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि जब कोई मामला एकतरफा रूप से (Ex-Parte) नहीं चल रहा हो, तब न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम आदेश (Final Order) पारित करने के बाद अपील से संबंधित प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ेगी।
अपीलीय किराया न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थिति की तिथि निर्धारित करना (Fixing the Date for Appearance Before the Appellate Rent Tribunal)
जब किराया न्यायाधिकरण किसी याचिका (Petition) पर अंतिम निर्णय लेता है और वह निर्णय किसी एक पक्ष की अनुपस्थिति में नहीं हुआ है, तो न्यायाधिकरण को एक तिथि निर्धारित करनी होगी, जिस पर पक्षकारों को अपीलीय किराया न्यायाधिकरण (Appellate Rent Tribunal) के समक्ष उपस्थित होना होगा। यह तिथि न्यायाधिकरण के निर्णय की तारीख से दो महीने के बाद हो सकती है लेकिन छह महीने से अधिक नहीं हो सकती।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि किसी भी पक्ष को न्यायाधिकरण के निर्णय के खिलाफ अपील करनी हो, तो वे नियत समय में अपील दायर कर सकें और उचित रूप से सूचित (Properly Notified) हो जाएं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी किरायेदार को न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ अपील करनी है, तो उसे पहले से यह जानकारी होगी कि उसे अपीलीय किराया न्यायाधिकरण में कब उपस्थित होना है। इसी तरह, मकान मालिक को भी इस बात की जानकारी होगी कि यदि अपील दायर होती है, तो उसे कब नोटिस प्राप्त होगा।
नियत तिथि का उल्लेख अंतिम आदेश में करना (Mentioning the Date in the Final Order)
किराया न्यायाधिकरण अपने अंतिम आदेश (Final Order) में स्पष्ट रूप से यह तिथि दर्ज करेगा, जिस दिन पक्षकारों को अपीलीय न्यायाधिकरण में उपस्थित होना है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि पक्षकारों को अलग से तिथि बताने की जरूरत न पड़े और वे पहले से ही अपील की संभावनाओं के लिए तैयार रहें।
उदाहरण के लिए, यदि न्यायाधिकरण 1 जनवरी, 2025 को अपना निर्णय सुनाता है, तो वह अपने आदेश में यह स्पष्ट करेगा कि पक्षकारों को 1 मार्च, 2025 से 1 जुलाई, 2025 के बीच किसी भी दिन अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष उपस्थित होना होगा।
अंतिम आदेश की प्रतियां प्रदान करना (Supply of Copies of the Final Order)
न्यायाधिकरण के आदेश के तुरंत बाद, जिस पक्ष के विरुद्ध आदेश पारित हुआ है, उसे इसकी प्रति (Copy) दी जाएगी। यदि आदेश दोनों पक्षों के खिलाफ आंशिक रूप से पारित किया गया है, तो दोनों को इसकी प्रतियां दी जाएंगी।
इसका मतलब यह है कि:
• यदि आदेश पूरी तरह से किरायेदार के खिलाफ गया है, तो केवल उसे आदेश की प्रति दी जाएगी।
• यदि आदेश पूरी तरह से मकान मालिक के खिलाफ गया है, तो उसे आदेश की प्रति दी जाएगी।
• यदि आदेश आंशिक रूप से दोनों के खिलाफ गया है, तो दोनों पक्षों को इसकी प्रतियां दी जाएंगी ताकि वे अपील करने का निर्णय ले सकें।
आदेश की प्रति पर प्राधिकृत मुहर और अपील में उपयोग (Endorsement and Use of Order Copy in Appeal)
जो आदेश की प्रति पक्षकार को दी जाती है, उस पर प्रेसाइडिंग ऑफिसर (Presiding Officer) की सील (Seal) और यह पुष्टि (Endorsement) होगी कि इसे इस प्रावधान के तहत जारी किया गया है।
अगर कोई पक्ष अपील करना चाहता है, तो उसे यह प्रमाणित आदेश (Certified Order) अपील के साथ संलग्न करना होगा। यह आवश्यक प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अपीलीय न्यायाधिकरण को वास्तविक और प्रमाणित आदेश की प्रति प्राप्त हो और फर्जी दस्तावेजों (Fake Documents) के उपयोग की संभावना न रहे।
धारा 17 राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम, 2001 में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो यह सुनिश्चित करता है कि न्यायाधिकरण के आदेश के बाद अपील की प्रक्रिया सुव्यवस्थित तरीके से चले। यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि:
• न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम आदेश पारित करने के बाद पक्षकारों को अपील के लिए उपस्थित होने की तिथि पहले से बता दी जाएगी।
• आदेश की प्रतियां तुरंत संबंधित पक्षकारों को उपलब्ध कराई जाएंगी।
• आदेश की प्रति प्रमाणित (Certified) होगी ताकि अपील में इसका उपयोग किया जा सके।
इससे यह सुनिश्चित होता है कि पक्षकारों को न्याय से वंचित न किया जाए और उनके पास अपील दायर करने का पूरा अवसर हो। यह प्रावधान न्याय प्रक्रिया को पारदर्शी (Transparent) और प्रभावी (Efficient) बनाने में मदद करता है।