NI Act में निरंक Endorsement

Update: 2025-03-29 04:05 GMT
NI Act में निरंक Endorsement

धारा 49 के अंतर्गत दिए गए निरंक Endorsement के प्रावधान को विधि विदानों के दिए इस उदाहरण से समझा जा सकता है-

'अ' एक निरंक Endorsement द्वारा लिखत को 'ब' को परिदत्त करता है यहाँ अ पृष्ठांकक है और 'ब' पृष्ठांकिती है। 'ब' चाहता है कि वह इसे 'स' को पृष्ठांकित कर दे तो वह केवल 'स' का नाम 'अ' के हस्ताक्षर के ऊपर लिखकर पृष्ठांकित कर सकेगा उसे अपना हस्ताक्षर करना आवश्यक नहीं होगा।

इस संव्यवहार में धारक 'अ' के विरुद्ध या किसी भी पक्षकार के विरुद्ध अधिकार रखेगा जिससे वह लिखत का दावा करता है और निरंक Endorsement का धारक लिखत के अधीन दायित्वाधीन नहीं होगा। अर्थात् अ" की कोई आबद्धता लिखत के अधीन नहीं होगी।

ऐसी दशा में लिखत का धारक 'स', 'अ' के विरुद्ध या किसी अन्य पक्षकार के विरुद्ध अधिकार रखेगा और वह व्यक्ति जो निरंक पृष्ठांकिती के रूप में "ब धारक के प्रति लिखत में उत्तरदायी नहीं होगा।

प्रतिबन्धात्मक या सशर्त Endorsement

प्रतिबन्धात्मक Endorsement– Endorsement, पृष्ठांकिती को लिखत का मालिक बनाता है और उस पर लिखत को पुनः Endorsement करने का अधिकार प्रदान करता है। परन्तु जहाँ यह पुनः Endorsement का अधिकार अभिव्यक्त शब्दों से प्रतिबन्धित कर दिया जाता है या ले लिया जाता है तो इसे प्रतिबन्धात्मक Endorsement कहते हैं।

पृष्ठांकक पुनः Endorsement के अधिकार को पूर्णतः अपवर्जित कर सकता है या पृष्ठांकिती को केवल अभिकर्ता के रूप में या केवल लिखत के अधीन किन्हों विहित प्रयोजनों के लिए संदाय प्राप्त करने का अधिकार प्रदान कर सकता है।

प्रतिबन्धात्मक Endorsement हो सकता है-

पृष्ठांकिती के Endorsement के अधिकार को प्रतिबन्धित कर, या

पृष्ठांकिती के Endorsement के अधिकार को अपवर्जित कर

पृष्ठांकिती को केवल अभिकर्ता के रूप में, या

पृष्ठांकिती केवल संदाय पाने का अभिकर्ता, या

पृष्ठांकिती किसी अन्य व्यक्ति या प्रयोजन के लिए संदाय पाने का अधिकार

निम्नलिखित Endorsement पुनः ग द्वारा Endorsement के अधिकार को अपवर्जित करता है:-

ख वाहक को देय परक्राम्य लिखतों पर निम्नलिखित Endorsement हस्ताक्षरित करता है-

"अन्तर्वस्तुओं का संदाय ग को करो।"

(ख) "मेरे उपयोग के लिए ग को संदाय करो।"

(ग) "ख के लेखे ग को या आदेशानुधार संदाय करो।"

(घ) "इसकी अन्तर्वस्तुएं ग के नाम जमा कर दो।"

निम्नलिखित Endorsement ग द्वारा आगे के परक्रामण (Endorsement) के अधिकार को अपवर्जित नहीं करते:-

(ङ) "ग को संदाय करो"

(च) "ओरिएण्टल बैंक में ग के खाते में इसका मूल्य जमा कर दो।"

(छ) “पृष्ठांकक एवं अन्यों को ग ने जो समनुदेशन विलेख निष्पादित किया है उसके प्रतिफल के भागस्वरूप ग को इसकी अन्तर्वस्तुओं का संदाय करो।"

प्रतिबन्धात्मक Endorsement के प्रभाव-

प्रतिबन्धात्मक Endorsement का प्रभाव है कि पृष्ठांकिती संदाय पाने का अधिकार प्राप्त करता है जब शोध्य होता है और इसके लिए वाद भी ला सकता है परन्तु वह पुनः लिखत को पृष्ठांकित नहीं कर सकेगा जब तक कि यह पृष्ठांकक से प्राधिकृत हो।

सशर्त Endorsement- जहाँ पृष्ठांकक अपने Endorsement में किसी शर्त का उल्लेख करता है तो उसे सशर्त Endorsement कहते हैं। इसे विशेषित Endorsement भी कहा जाता है।

उदाहरण के लिए- पृष्ठांकक का Endorsement है "X" या आदेशानुसार उसके विवाह पर संदाय करें।" या" एक जहाज के आने पर संदाय करें" या "यदि वह विशेष वस्तु परिदत करे तो संदाय करें।"

अधिनियम की धारा 52 परक्राम्य लिखत का Endorsement में अभिव्यक्त शब्दों द्वारा उस पर का अपना स्वयं का दायित्व अपवर्जित कर ऐसे दायित्व को या उस लिखत पर शोध्य रकम को प्राप्त करने के पृष्ठांकिती के अधिकार को किसी विनिर्दिष्ट घटना के घटित होने पर, चाहे ऐसी घटना कभी भी न हो, आद्रित कर सकेगा।

एक लिखत का पृष्ठांकक निम्न शब्दों को जोड़ते हुए हस्ताक्षर करता है। "दायित्व रहित " इस Endorsement के आधार पर वह कोई दायित्व पैदा नहीं करता है।

क' परक्राम्य लिखत का पाने वाला और धारक है। "दायित्व रहित" इस पृष्ठ द्वारा वैयक्तिक दायित्व को अपवर्जित करके वह लिखत ख को अन्तरित करता है और ख उसे ग को पृष्ठांकृत करता है जो उसे क को पृष्ठांकित कर देता है। क न केवल अपने पूर्ववर्ती अधिकारों से ही पुन:स्थापित हो जाता है, वरन् उसे ख और ग के विरुद्ध पृष्ठांकिती के अधिकार भी प्राप्त हो जाते हैं।

जब कोई पृष्ठांकक दायित्व रहित" लिखत का कारक अपने अधिकार में बन जाता है, सभी मध्यवर्ती पृष्ठांकक उसके प्रति आबद्ध हो जाते हैं।

सशर्त Endorsement एवं सशर्त परिदान- एक सशर्त Endorsement को सशर्त परिदान से भिन्न मानना चाहिए। सशर्त परिदान में लिखत पर Endorsement में किसी शर्त का उल्लेख नहीं होता है। शर्तों का केवल मौखिक वर्णन होता है। उदाहरण के लिए 'A' कोई लिखत 'B' को केवल उगाही के प्रयोजन से परिदत करता है न कि Endorsement के लिए। यदि "B" इसे न मानकर लिखत का Endorsement किसी निर्दोष पक्ष को करता है तो बाद का व्यक्ति एक अच्छा हक प्राप्त कर सकेगा। इससे यह निकलता है कि ऐसी शर्त केवल तात्कालिक पक्षों में प्रभावी होगी या उन पक्षों को जिनके संज्ञान में शर्त है। परन्तु सम्यक् अनुक्रम धारक के विरुद्ध नहीं।

सशर्त Endorsement के उदाहरण-

(1) सैन्स फ्रेस- सैन्स फ्रेस Endorsement अर्थात् बिना खर्ची के यहाँ पर Endorsement लिखत पर उसके खातों में बिना खर्च के Endorsement, जैसे उदाहरण—X बैंक को इस प्रकार से पृष्ठांकित करता है

Y के आदेश पर संदाय करे बिना मेरे खर्ची के

प्रो Endorsement- ऐसा Endorsement एक प्राधिकृत अभिकर्ता करता है

सम्पूर्ण या भागिक Endorsement (धारा 56 )

यह Endorsement का सामान्य नियम है कि लिखत के सम्पूर्ण रकम का Endorsement किया जाना चाहिए। एक लिखत उसके रकम के किसी एक भाग अर्थात् भागिक Endorsement नहीं किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि लिखत 50,000 रु० का है तो 10,000 रु० के लिए Endorsement नहीं किया जा सकता है।

परन्तु जहाँ शोध्य रकम को आंशिक रूप में संदत कर दिया गया है तो वहाँ अधिशेष धनराशि का Endorsement किया जा सकेगा। अतः यदि लिखत 5000 रु० का है और 3000 रुपए संदत्त किया जा चुका है तो शेष धनराशि 2000 रु० का Endorsement किया जा सकेगा।

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