
व्यापारिक एवं मौद्रिक व्यवहारों में मुद्रा के रूप में प्रयुक्त किये जाने वाले कुछ अभिलेखों को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कहा जाता है।
"निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स" दो शब्दों से बना है, 'परक्राम्य' एवं 'लिखत' जिसका शाब्दिक अर्थ एक अभिलेख जो परिदान द्वारा अन्तरणीय होता है। दूसरे शब्दों में अभिलेख जिनमें परक्राम्यता की विशेषता होती है। निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कहलाते हैं। अतः लिखत जो परक्राम्य है वे निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स है।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स अधिनियम, 1881 की धारा 13 परिभाषित करती है "निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स" – (1) "निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स" से या तो आदेशानुसार या वाहक को देय वचनपत्र, विनिमय पत्र या चेक अभिप्रेत है।
स्पष्टीकरण (I)- वह वचनपत्र, विनिमय पत्र या चेक आदेशानुसार देय है जिसका ऐसा देय होना अभिव्यक्त हो या जिसका किसी विशिष्ट व्यक्ति को देय होना अभिव्यक्त हो और जिसमें अन्तरण को प्रतिषिद्ध करने वाले शब्द या यह आशय उपदर्शित करने वाले शब्द कि यह अन्तणीय नहीं है, अन्तर्विष्ट न हो।
स्पष्टीकरण (ii) यह वचनपत्र, विनिमय पत्र या चेक वाहक को देय है जिसमें यह अभिव्यक्त हो कि वह ऐसे देय है या जिस पर एकमात्र या अन्तिम पृष्ठांकन निरंक पृष्ठांकन है।
स्पष्टीकरण (III) जहाँ कि वचनपत्र, विनिमय पत्र या चेक को या तो मूलतः या पृष्ठांकन द्वारा विनिर्दिष्ट व्यक्ति के आदेशानुसार, न कि उसे या उसके आदेशानुसार देय होना अभिव्यक्त है यहाँ ऐसा होने पर भी वह उसके विकल्प पर उसे या उसके आदेशानुसार सन्देय है।
(2) एक निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स दो या अधिक आदाताओं को संयुक्तत: या इसे दो में से किसी एक के विकल्प पर, या अनेक आदाताओं में से किसी एक या कुछ को देय बनाया जा सकता है।
इस प्रकार धारा 13 से यह स्पष्ट है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स से अभिप्रेत है:
वचनपत्र
विनिमय पत्र
चेक
जो या तो वाहक को या आदेशित को देय बनाया गया है।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स अधिनियम, 1881 निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्सों से सम्बन्धित है और इनको शासित करने को विधि है, परन्तु यह वास्तव में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स को परिभाषित न कर कुछ लिखतों को इसके अन्तर्गत सम्मिलित करती है। निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स को विशेषताओं को समझने के लिये वचनपत्र, विनिमय पत्र एवं चेक को विशेषताओं को और उन्हें शासित करने वाली विधि को विस्तार से अध्ययन करना होगा।
इन लिखतों के कार्य एवं विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स लेखबद्ध लिखत है जिससे किसी व्यक्ति को एक निश्चित धनराशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया जाता है और जो व्यक्ति से व्यक्ति को केवल परिदान या पृष्ठांकन एवं परिदान से अन्तरणीय होता है। व्यक्ति जिसे यह अन्तरित किया जाता है यह धनराशि के लिए एवं उसे पुनः अन्तरित करने के लिये हकदार हो जाता है।
एक इंग्लिश विद्वान के अनुसार-
एक निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स कार्य वस्तु है और जिसका सम्पूर्ण एवं विधिक स्थल केवल लिखत के परिदान (अन्तरक के पृष्ठांकन से) अन्तरणीय होता है नतीजतन लिखत का सम्पूर्ण स्वामित्व एवं सम्पूर्ण सम्पत्ति अन्तरितो की मंशा से स्वतन्त्र अन्तरित हो जाती है बशर्ते कि वह लिखत को सद्भावनापूर्वक एवं प्रतिफल से प्राप्त करता है।
भारतीय विधि में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, परन्तु यह वचनपत्र, विनिमय पत्र या चेक को परिभाषित करती है।
मे० डालमिया सोमेन्ट (भारत) लि० बनाम गैलेक्सी ट्रेडर्स एण्ड एजेन्सी लिले में सुप्रीम कोर्ट ने यह सम्प्रेक्षित किया है-
"वाणिज्य विधि के संसार में निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्सों से सम्बन्धित विधि का विधायन व्यापार एवं वाणिज्य के क्रियाओं को सुकर (सुविधा) बनाने के लिए किया गया है और लिखतों एवं साख की पवित्रता बनाने का प्रावधान किया गया है जिसे मुद्रा में परिवर्तनीय समझा जा सकता है और आसानी से एक हाथ से दूसरे हाथ अन्तरणीय होता है। इन लिखतों के अभाव में चेकों को लेते हुए वर्तमान समय में व्यापार एवं वाणिज्यिक क्रियाएं हानिकारक ढंग से प्रभावित होंगी, क्योंकि व्यापारिक समुदाय के लिए प्रवर्तनीय मुद्रा को परिमाण में साथ ले जाना व्यवहारिक नहीं होगा निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स वास्तव में साख लिखत होते हैं जो परक्राम्य किए जाने की वैधानिकता से परिवर्तनीय होते हैं एवं सुविधापूर्वक एक हाथ से दूसरे हाथ को अन्तरणीय होते हैं।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्सों की सारभूत लक्षण निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स का होना या न होना उसके सारभूत लक्षणों पर निर्भर करता है, जो निम्नलिखित है-
लिखत- निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक लिखत है अतः इसे आवश्यक रूप में लिखत होना चाहिए। यह आवश्यक है कि बैंक, विनिमय पत्र या वचनपत्र लिखित हो। यह टंकित, छपा हुआ या हस्तलिखित हो सकता है। चेक को छोड़कर वचनपत्र या विनिमय पत्र का कोई विहित प्रारूप नहीं है, परन्तु इन्हें इस तरह से लिखा होना चाहिए जिससे इनमें चेक, वचनपत्र या विनिमय पत्र की विशेषताएं सम्मिलित हो। मौखिक वचन का होना पर्याप्त नहीं होगा।
स्टैम्पिंग – भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 की धारा 49 के अनुसार वचनपत्र एवं मियादी विनिमयपत्र सिवाय माँग पर या दिखाने पर, को छोड़कर स्टाम्पित होना चाहिए चेक को स्टॅम्पिंग की आवश्यकता नहीं है। निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स अधिनियम, 1881 की धारा 20 भी विवक्षित रूप में यह अपेक्षा करती है कि चेक के सिवाय निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्सों को स्टाम्पित होना चाहिए।
परक्राम्यता निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स सबसे अधिक सारभूत आवश्यक लक्षण इसकी परक्राम्यता है। सामान्य शब्दों में परक्राम्यता यही अर्थ है जो अन्तरणीयता का होता है। यद्यपि कि दोनों का अर्थ स्वामित्व का अन्तरण अन्तर्ग्रस्त करता है फिर भी परक्राम्यता एवं अन्तरणीयता में मौलिक अन्तर होता है।
सम्पति अन्तरण से सम्बन्धित सामान्य सिद्धान्त है "नेमो डेट कोड नान हैबेट" अर्थात् कोई भी व्यक्ति अपने से बेहतर स्वत्व अन्तरित नहीं कर सकता है। उदाहरण के लिये- 'क' एक सोने की अंगूठी पूर्ण कीमत देकर ख से क्रय करता है। 'क' यह नहीं जानता है कि 'ख' ने 'ग' से अंगूठी की चोरी किया है। उत सिद्धान्त के अधीन 'क' को अंगूठी 'ग' को वापस करने के लिए बाध्य किया जाएगा।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स इस सिद्धान्त के अपवाद होते हैं। एक व्यक्ति जो निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स सद्भावनापूर्वक एवं प्रतिफल सहित प्राप्त करता है, सही स्वामी बन जाता है यद्यपि कि वह इसे किसी चोर या पाने वाले व्यक्ति से प्राप्त किया है। विलिस के शब्दों में" निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक है जिसकी सम्पत्ति उस व्यक्ति के द्वारा अर्जित की जाती है जो उसे सद्भावनापूर्वक प्रतिफल सहित प्राप्त करता है, बावजूद कि जिससे प्राप्त किया है उसके स्वत्व में कोई दोष था।"
परक्राम्यता का सबसे बड़ा तत्व है कि अपने ही आचरण से न कि अन्य के आचरण से सम्पति को अर्जित करने से होता है। यदि कोई इसे सद्भावनापूर्वक एवं प्रतिफल सहित प्राप्त करता है तो उसे कोई इससे वंचित नहीं कर सकता है। राफेल बनाम बैंक ऑफ इंग्लैण्ड इस प्रतिपादन प्राधिकारी है। कुछ बैंक नोट्स लूटपाट में चोरी हो गये थे। बैंक ने तुरन्त बुराए गए नोटों की सूची तैयार कर वितरित किया। वादी जो पेरिस में एक मुद्रा बदलने वाला था, ने भी इसकी एक सूची प्राप्त किया।
इस सूचना के प्राप्ति को 12 माह के पश्चात् वादी के पास एक व्यक्ति बैंक ऑफ इंग्लैण्ड को नोट बदलने के लिये आया। वादी को इस सूचना का ध्यान नहीं था और इसे पूर्ण रूप से भूलते हुए नोटों को नकदीकरण किया। नोट चोरी किये गये नोट थे। यह धारित किया गया कि वादी जिसने नोटों को सद्भावनापूर्वक लिया था, उसके भुगतान का हकदार था। इसमें कोई सन्देह नहीं कि वह असावधान था, परन्तु उसने इमानदारी से कार्य किया था।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स अधिनियम, 1881 की धारा 14 परक्राम्यता को परिभाषित करती है एवं धारा 15 एक लिखत को कैसे परक्राम्य किया जा सकता है, का प्रावधान करती है जिसे परक्राम्यता के अध्याय में विस्तार से स्पष्ट किया गया है।
अतः लिखत जिसमें यह विशेषता नहीं होती उसे निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स नहीं कहा जा सकता है।
मुद्रा भुगतान की संविदा निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स में एक निश्चित धनराशि (मुद्रा) भुगतान करने की संविदा अन्तर्निहित होती है। वचनपत्र में एक निश्चित धनराशि भुगतान करने का वचन होता है एवं विनिमय पत्र या चेक की दशा में एक निश्चित धनराशि भुगतान करने का आदेश होता है। इस प्रकार निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स की विषय सामग्री मुद्रा भुगतान करने की होती है। लिखत की इस प्रकार की सम्पत्ति जिसे इसका धारक इसे प्राप्त करने या वसूल करने के लिए देय पक्षकार से हकदार होता है।
एक चेक विदेशी मुद्रा में लिखा जा सकता है और ऐसी दशा में भुगतान उपस्थापना करने के समय के प्रचलित विनिमय दर से किया जाएगा।
बेहतर स्वत्व का अर्जन निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स की प्रकृति के अनुसार इसका धारक एक बेहतर हक प्राप्त करता है उस व्यक्ति से जिसका स्वत्व दोषपूर्ण है या स्वत्व नहीं है या ऐसे व्यक्ति से जो चोर है या लिखत को पाने वाला है, बशर्ते कि धारक ने इसे
सविश्वास पूर्वक
प्रतिफल सहित
अन्तरक के हक में कोई दोष है, के जानकारी के बिना प्राप्त किया है। यहाँ तक कि एक सम्यक् अनुक्रम धारक का स्वत्व अन्तरक के स्वत्व के दोष या इसके किसी पूर्ववर्ती पक्षकार के स्वत्य में कोई दोष था, प्रभावित नहीं होता है।
विधिक स्वामित्व - निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स का धारक लिखत का विधिक स्वामी बन जाता है और ऐसा धारक
अपने नाम से लिखत के कब्जे का हकदार होता है,
इसे परक्राम्य करने का हकदार होता है, और
अपने नाम से लिखत में दावे को प्रवर्तनीय कराने का हकदार होता है।
निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स आदेशित या वाहक को देय हो सकता है।