धारा 394 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: पूर्व में दोषी ठहराए गए अपराधियों के पते की अधिसूचना का आदेश

Update: 2025-03-21 11:33 GMT
धारा 394 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: पूर्व में दोषी ठहराए गए अपराधियों के पते की अधिसूचना का आदेश

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 394 उन अपराधियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जिन्हें पहले किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो और उन्हें तीन वर्ष या उससे अधिक की कैद की सजा हुई हो।

यदि ऐसे व्यक्ति को पुनः किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे तीन वर्ष या उससे अधिक की सजा मिलती है, तो न्यायालय उसके निवास स्थान की अधिसूचना (Notification of Residence) से संबंधित आदेश दे सकता है।

यह आदेश न्यायालय को यह सुनिश्चित करने की शक्ति देता है कि ऐसे अपराधी की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके और पुनः अपराध करने की संभावनाओं को कम किया जा सके।

अपराधी के निवास स्थान की अधिसूचना का आदेश

धारा 394 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति पहले किसी अपराध में दोषी ठहराया गया हो और उसे तीन वर्ष या उससे अधिक की सजा हुई हो, और वह पुनः किसी ऐसे ही अपराध में दोषी ठहराया जाता है, तो न्यायालय यह आदेश दे सकता है कि:

1. दोषी व्यक्ति को अपनी रिहाई के बाद अपने निवास स्थान की सूचना संबंधित अधिकारियों को देनी होगी।

2. यदि वह अपने निवास स्थान को बदलता है या किसी निश्चित अवधि के लिए अनुपस्थित रहता है, तो इसकी भी सूचना देना अनिवार्य होगा।

3. यह आदेश अधिकतम पांच वर्षों की अवधि के लिए लागू किया जा सकता है, जो उसकी सजा समाप्त होने के बाद शुरू होगी।

न्यायालय की विवेकाधिकार शक्ति

इस धारा के तहत न्यायालय को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वह परिस्थितियों के आधार पर यह तय करे कि इस आदेश को पारित किया जाना चाहिए या नहीं। यह आदेश केवल उन मामलों में दिया जाता है जहाँ न्यायालय को लगता है कि दोषी व्यक्ति पर निगरानी रखना आवश्यक है ताकि वह भविष्य में अपराध न कर सके।

साजिश, उकसावे और प्रयासों पर भी लागू

धारा 394 की उपधारा (2) स्पष्ट करती है कि यह प्रावधान केवल उन व्यक्तियों पर ही लागू नहीं होता जो सीधे किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए हैं, बल्कि उन व्यक्तियों पर भी लागू होता है जिन्होंने:

1. अपराध करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति के साथ षड्यंत्र (Conspiracy) किया हो।

2. किसी अन्य व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाया (Abetment) हो।

3. स्वयं अपराध करने का प्रयास (Attempt) किया हो।

इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से अपराध नहीं करता, लेकिन उसमें भागीदार होता है या उसकी योजना बनाता है, तो वह भी इस धारा के तहत आता है और उसे अपनी रिहाई के बाद निवास स्थान अधिसूचित करने का आदेश दिया जा सकता है।

अपीलीय न्यायालय द्वारा आदेश को शून्य करना

अगर किसी दोषी व्यक्ति की सजा किसी उच्चतर न्यायालय द्वारा अपील (Appeal) में या किसी अन्य प्रक्रिया के तहत समाप्त कर दी जाती है, तो उसके खिलाफ जारी किया गया अधिसूचना आदेश (Notification Order) स्वतः ही समाप्त हो जाएगा।

इसका अर्थ यह है कि यदि किसी व्यक्ति को निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराया जाता है और फिर हाईकोर्ट द्वारा उसे निर्दोष करार दिया जाता है, तो उस पर लगाए गए अधिसूचना आदेश की कोई वैधता नहीं रहेगी।

हाईकोर्ट और सत्र न्यायालय की पुनरीक्षण शक्ति

धारा 394 की उपधारा (4) यह प्रावधान करती है कि इस आदेश को अपीलीय न्यायालय (Appellate Court), हाईकोर्ट (High Court) या सत्र न्यायालय (Court of Session) द्वारा भी जारी किया जा सकता है, जब वे पुनरीक्षण (Revision) की शक्ति का प्रयोग कर रहे हों।

इसका अर्थ यह है कि अगर किसी मामले में निचली अदालत ने इस तरह का आदेश पारित नहीं किया है, तो हाईकोर्ट या सत्र न्यायालय पुनरीक्षण की प्रक्रिया में ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं यदि उन्हें आवश्यक लगे।

राज्य सरकार द्वारा नियम बनाना

धारा 394 की उपधारा (5) के अनुसार, राज्य सरकार इस धारा के तहत लागू किए जाने वाले प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए नियम (Rules) बना सकती है।

इन नियमों में यह शामिल होगा कि:

1. दोषी व्यक्ति को अपनी रिहाई के बाद किस प्रकार और किस अधिकारी को अपने निवास स्थान की सूचना देनी होगी।

2. यदि वह अपने निवास स्थान में बदलाव करता है या किसी निश्चित अवधि के लिए अनुपस्थित रहता है, तो इसकी सूचना देने की प्रक्रिया क्या होगी।

3. अधिकारियों को इस सूचना को रिकॉर्ड और प्रबंधित करने की प्रक्रिया क्या होगी।

नियमों के उल्लंघन पर दंड का प्रावधान

यदि कोई दोषी व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसे इसके लिए दंडित किया जा सकता है।

1. ऐसे मामलों में किसी सक्षम मजिस्ट्रेट (Competent Magistrate) द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है।

2. मुकदमा उस जिले (District) के भीतर चलाया जाएगा जहाँ दोषी व्यक्ति ने अपना अंतिम पंजीकृत निवास स्थान बताया था।

धारा 394 के उद्देश्य और महत्व

इस धारा का मुख्य उद्देश्य उन व्यक्तियों पर निगरानी रखना है जो पहले से गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराए जा चुके हैं और जिनके दोबारा अपराध करने की संभावना हो सकती है। यह प्रावधान कानून प्रवर्तन एजेंसियों को यह सुविधा देता है कि वे ऐसे अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रख सकें और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।

उदाहरण (Illustrations)

1. पहला उदाहरण:

परिस्थिति: राम को वर्ष 2015 में डकैती (Robbery) के अपराध में दोषी ठहराया गया और उसे चार साल की सजा हुई। वर्ष 2022 में, वह फिर से लूट (Loot) के अपराध में पकड़ा गया और उसे पांच साल की सजा सुनाई गई।

न्यायालय का आदेश: चूंकि राम पहले से तीन वर्ष से अधिक की सजा भुगत चुका था और उसे पुनः दोषी ठहराया गया, तो न्यायालय ने धारा 394 के तहत आदेश दिया कि राम अपनी रिहाई के बाद पाँच वर्षों तक अपने निवास स्थान की जानकारी संबंधित अधिकारियों को देता रहेगा।

2. दूसरा उदाहरण:

परिस्थिति: श्याम को धोखाधड़ी (Fraud) के अपराध में तीन वर्ष की सजा हुई थी। लेकिन, उसके बाद वह फिर से हत्या (Murder) की साजिश में पकड़ा गया और उसे दस साल की सजा सुनाई गई।

न्यायालय का आदेश: न्यायालय ने धारा 394 के तहत आदेश दिया कि श्याम अपनी रिहाई के बाद पाँच वर्षों तक अपने निवास स्थान की सूचना देता रहेगा।

धारा 394 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो उन अपराधियों की निगरानी के लिए बनाया गया है जो पहले भी गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए जा चुके हैं।

इस प्रावधान के तहत, यदि कोई व्यक्ति पहले से तीन वर्ष या अधिक की सजा भुगत चुका है और पुनः दोषी ठहराया जाता है, तो न्यायालय उसे रिहाई के बाद अपने निवास स्थान की अधिसूचना देने का आदेश दे सकता है। यह कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखने और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।

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