पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कथित Illegal Detention के खिलाफ सेम-सेक्स पार्टनर की याचिका पर महिला को पेश करने का आदेश दिया

Update: 2023-12-28 09:48 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सेम-सेक्स पार्टनर द्वारा दायर याचिका में बुधवार को हरियाणा के पंचकुला के एसएचओ को महिला को उसके परिवार द्वारा कथित तौर पर शादी के लिए मजबूर करने के लिए गैर-कानूनी रूप से हिरासत (Illegal Detention) में रखने का निर्देश दिया।

जस्टिस संदीप मौदगिल ने यह देखते हुए कि "मामला अदालत के लिए गंभीर चिंता का विषय प्रतीत होता है", राज्य को निर्देश दिया कि "हिरासत में लिए गए लोगों को स्टेशन हाउस ऑफिसर, चंडीमंदिर, पुलिस स्टेशन, पंचकुला, हरियाणा के साथ-साथ सुनवाई की अगली तारीख पर उत्तरदाताओं नंबर 4 और 5 (हिरासत के माता-पिता) के माध्यम से पेश किया जाए।"

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका सेम-सेक्स पार्टनर द्वारा दायर की गई, जिसमें अपने साथी को पेश करने की मांग की गई, जिसे कथित तौर पर उसके परिवार द्वारा गैरकानूनी रूप से हिरासत (Illegal Detention) में लिया गया है, जो उनके रिश्ते का विरोध करता है।

ऐसा कहा जाता है कि पहले जब वे एक साथ रहने की इच्छा व्यक्त करते हुए पुलिस के पास पहुंचे तो अधिकारी ने कथित तौर पर उन्हें थप्पड़ मारा और जबरदस्ती डिटेंशन में ली गई लड़की को उसके परिवार के सदस्य के पास ले गए।

याचिका में यह भी कहा गया कि कथित बंदी के परिवार के सदस्य उसे अपनी पसंद के किसी व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर कर सकते हैं, क्योंकि वे पहले ही ऐसा करने की धमकी दे चुके हैं, या उसे घातक शारीरिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

मामले को अब आगे के विचार के लिए 04 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया गया।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से परहेज किया। हालांकि उसने राज्य को समलैंगिक जोड़ों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव को समाप्त करने और उनके सहवास के अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पहले सेम-सेक्स कपल को यह कहते हुए सुरक्षा प्रदान की कि जब सेम-सेक्स के लोग एक साथ रहने का फैसला करते हैं तो भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 लागू नहीं होता है।

जस्टिस अनूप चितकारा की पीठ ने कहा,

"प्यार, आकर्षण और स्नेह की कोई सीमा नहीं है, यहां तक कि जेंडर की सीमा भी नहीं है। हालांकि, समाज के कुछ वर्ग अभिव्यक्ति की निर्भीकता को अधीन न होने के साहस के साथ तालमेल नहीं रख सकते। तेजी से बदलते लोकाचार और जीवनशैली, जिसे जेन-जेड और मिलेनियल्स अपनाना या पालन करना पसंद कर सकते हैं, जिसमें सेम-सेक्स के व्यक्तियों के प्रति अपने आकर्षण की खुले तौर पर घोषणा करना भी शामिल है।''

कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए टिप्पणी की,

''अनुच्छेद 21 सेम-सेक्स वाले लिव-इन-कपल पर समान रूप से लागू होता है।''

केस टाइटल: एक्स बनाम हरियाणा राज्य एवं अन्य।

अमृता गर्ग, याचिकाकर्ता की वकील।

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