[NDPS Act] जांच अधिकारी के समय पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने में विफल रहने पर जमानत के लिए आरोपी का आवेदन पर्याप्त: केरल हाईकोर्ट
केरल हाइकोर्ट के समक्ष हाल ही में आए मामले में जस्टिस सीएस डायस की एकल न्यायाधीश पीठ ने माना कि याचिकाकर्ता/NDPS Act के तहत आरोपी द्वारा किया गया मौखिक आवेदन उसे जांच अधिकारी द्वारा समय पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल न करने की विफलता के लिए वैधानिक जमानत पर रिहा करने के लिए पर्याप्त होगा।
याचिकाकर्ता पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 (NDPS Act 1985) की धारा 20(बी)(ii)(सी) के तहत आरोप लगाया गया। उसे 26- 05-2023 को गिरफ्तार किया गया। उक्त आरोपी ने वर्तमान आवेदन के माध्यम से जमानत मांगी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वह जमानत पर रिहा होने का हकदार है, क्योंकि फाइनल रिपोर्ट एक्ट की धारा 36ए के तहत अनिवार्य वैधानिक समय के भीतर दाखिल नहीं की गई। यह तर्क दिया गया कि क्योंकि याचिकाकर्ता को 26-05-2023 को गिरफ्तार किया गया, इसलिए उसकी अनिवार्य जमानत का अधिकार उसकी रिमांड के 181वें दिन 22- 11-2023 को अर्जित हुआ।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि जब आवेदन 22-11-2023 को विचार के लिए आया तो उन्होंने विशेष रूप से इस तथ्य पर इस न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया कि याचिकाकर्ता 181वें दिन के बाद भी फाइनल रिपोर्ट दाखिल न करने के कारण वैधानिक जमानत पर रिहा होने का हकदार है।
बहरहाल, यह तर्क दिया गया कि न्यायालय ने अनुरोध पर विचार किए बिना आवेदन को 29-11-2023 तक के लिए स्थगित कर दिया।
लोक अभियोजक ने उपरोक्त दलील पर विवाद नहीं किया, लेकिन तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने 24-11-2023 को फाइनल रिपोर्ट दायर होने के बाद से डिफ़ॉल्ट जमानत पर रिहा होने का अपना अधिकार खो दिया।
राज्य ने दावा किया कि आवेदन वैधानिक अवधि की समाप्ति से पहले दायर किया गया और याचिकाकर्ता ने रवींद्रन बनाम खुफिया अधिकारी राजस्व आसूचना (2019) निदेशालय के मामले में दी गई वैधानिक जमानत पर रिहा होने के लिए एक्ट की धारा 36ए के तहत अलग आवेदन दायर नहीं किया।
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता के वकील द्वारा 22-11- 2023 को दिया गया मौखिक आवेदन जांच अधिकारी द्वारा समय पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने में विफलता के कारण लोक अभियोजक एक्ट की धारा 36ए के तहत दिए गए समय के विस्तार की मांग नहीं कर रहे हैं। इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के लिए पर्याप्त है।
तदनुसार, सीआरपीसी की धारा 167(2) सपठित NDPS Act की धारा 36ए के तहत जमानत याचिका की अनुमति दी गई।
याचिकाकर्ता के वकील- निरीश मैथ्यू और विवेक वेणुगोपाल।
प्रतिवादी के वकील- सीता एस।
केस टाइटल- अज़हरुद्दीन बनाम केरल राज्य
केस नंबर- जमानत आवेदन नंबर 9813/2023
साइटेशन- लाइवलॉ (केर) 52 2024
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