दिल्ली हाइकोर्ट ने अडल्ट्री के आरोपों पर पत्नी और बच्चे के पैटरनिटी टेस्ट के लिए पति की याचिका खारिज करने का आदेश बरकरार रखा

Update: 2024-02-01 09:52 GMT

दिल्ली हाइकोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए फैमिली कोर्ट का आदेश बरकरार रखा। याचिका में पत्नी और बच्चे को ब्लड सैंपल देने को कहा गया, जिससे पति पैटरनिटी टेस्ट करा सके और साथ यह आरोप की लगाया गया कि पत्नी अडल्ट्री में शामिल है और नाबालिग बच्चे को "मोहरा" बना रही है।

जस्टिस राजीव शकधर और जस्टिस अमित बंसल की खंडपीठ ने पति की अपील खारिज कर दी। खंडपीठ ने कहा कि क्या पत्नी अडल्ट्री में शामिल है, जैसा कि आरोप लगाया गया कि यह ऐसा पहलू है, जिस पर मुकदमा चलाना होगा।

अदालत ने कहा कि दंपति जिनका अभी तक तलाक नहीं हुआ है, दोनो वर्ष 2008 और 2019 के बीच साथ रहे हैं। इस प्रकार साक्ष्य अधिनियम (Evidence Act) की धारा 112 के तहत नाबालिग बच्चे की वैधता के पक्ष में धारणा सामने आती है।

अदालत ने कहा,

“हमारी राय में अपीलकर्ता किसी भी तरह से उस बच्चे के हित को प्रभावित नहीं कर सकता, जो कार्यवाही में पक्षकार नहीं है। फैमिली कोर्ट को उन साक्ष्यों को ध्यान में रखना होगा, जिससे दोनों पक्ष इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं, जैसा कि अपीलकर्ता ने सुझाव दिया कि पत्नी ने पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वेच्छा से संभोग किया।''

आगे कहा गया,

“प्रतिवादी के अडल्ट्री रिलेशन है, या नहीं बच्चे का पैटरनिटी टेस्ट किए बिना इसकी जांच की जा सकती है। यह दृष्टिकोण अपर्णा अजिंक्य फिरोदिया बनाम अजिंक्य अरुण फिरोदिया 2023 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई निम्नलिखित टिप्पणियों में होता है।"

नाबालिग का जन्म 2014 में हुआ था। पत्नी के क्रूरता के आधार पर पति द्वारा 2020 में तलाक की याचिका दायर की गई। बाद में उन्होंने यह स्थापित करने के लिए याचिका में संशोधन करने के लिए आवेदन दायर किया कि वह एज़ोस्पर्मिया से पीड़ित है, इसलिए कथित तौर पर विवाह से पैदा हुए बच्चे पर उनके पितृत्व की छाप नहीं है।

जबकि उनके आवेदन को अनुमति दे दी गई, लेकिन फैमिली कोर्ट ने उनका बाद का आवेदन खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई कि पत्नी और बच्चे को अपने ब्लैड सैंपल देने के लिए कहा जाए, जिससे नाबालिग के पिता का पता लगाया जा सके।

पति की अपील खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि यह संभावना के दायरे में है। इसके विपरीत उसके दावे के बावजूद, बच्चा उसके पितृत्व को धारण करता है।

अदालत ने आगे कहा,

"जैसा कि कहा गया अपीलकर्ता का यह स्थापित करने का प्रयास कि पत्नी ने पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वेच्छा से संभोग किया, ऐसा पहलू है, जो फैमिली कोर्ट के सामने मुकदमे का विषय बन सकता है।”

केस टाइटल- एक्स बनाम वाई

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