मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में निजी ठेकेदारों को जारी ED समन पर रोक लगाई

Update: 2024-01-05 10:23 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने रेत खनन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा चल रही जांच के संबंध में निजी ठेकेदारों को जारी समन की कार्रवाई पर शुक्रवार को रोक लगा दी।

जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस सुंदर मोहन ने आरएस कंस्ट्रक्शन, शनमुगम रामचंद्रन और के रेथिनम के पार्टनर ए राजकुमार की याचिका पर रोक लगाई। अदालत ने पहले भी जांच के संबंध में जिला कलेक्टरों को जारी किए गए समन की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

राजकुमार ने दावा किया कि ED द्वारा उनके खिलाफ जारी किया गया समन न केवल कानून की प्रक्रिया का घोर और खुला दुरुपयोग है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 के तहत गारंटीकृत उनके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।

राजकुमार ने दलील दी कि वह उन चार प्राथमिकियों से किसी भी तरह से जुड़े नहीं हैं, जिनके आधार पर ED ने अपनी जांच शुरू की, और न ही वह उनमें लगे आरोपों से दूर-दूर तक जुड़े हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ईसीआईआर ED द्वारा जल्दबाजी में और किसी गलत मकसद से दर्ज किया गया, जिसका कारण उन्हें ही पता है।

राजकुमार ने अदालत को सूचित किया कि उन्हें 11 दिसंबर 2023 को ED से समन मिला। हालांकि, उन्होंने कहा कि समन अस्पष्ट है और इसमें किसी विशेष उद्देश्य का खुलासा नहीं किया गया, जिसके लिए उन्हें गवाह या संदिग्ध के रूप में बुलाया जा रहा है।

उन्होंने जिला कलेक्टरों को ED के समन के खिलाफ तमिलनाडु राज्य द्वारा दायर अन्य याचिका की ओर भी इशारा किया, जिसमें तर्क दिया गया कि ईडी के पास जांच को आगे बढ़ाने की कोई शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि ED के समन पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट ने स्वयं टिप्पणी की कि ईडी बिना किसी सामग्री के "मछली पकड़ने का अभियान" चला रहा है।

इस प्रकार, यह दावा करते हुए कि ईडी के पास जांच को आगे बढ़ाने की कोई शक्ति नहीं है और समन स्थापित कानून की भावना और सार के विपरीत था। राजकुमार ने ईसीआईआर को कानून में गैर-स्थायी बताते हुए रद्द करने की मांग की।

याचिकाओं का विरोध करते हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एआरएल सुंदरेसन ने प्रस्तुत किया कि ED को पहले से एकत्र की गई सामग्रियों के संबंध में याचिकाकर्ताओं से कुछ स्पष्टीकरण की आवश्यकता है और वर्तमान में यह नहीं बताया जा सकता है कि क्या उनसे संदिग्धों या गवाहों के रूप में जांच की जा रही है। ED ने यह भी तर्क दिया कि ईसीआईआर कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि केवल आंतरिक दस्तावेज है और इसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।

याचिकाकर्ताओं के लिए वकील: अब्दुल हमीद, एलंबरथी द्वारा सहायता दी गई।

प्रतिवादी के वकील: एएसजी एआरएल सुंदरेसन, ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन रमेश द्वारा सहायता प्राप्त।

केस टाइटल: ए राजकुमार बनाम भारत संघ

केस नंबर: 2023 का WP 35515

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