मद्रास हाईकोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी को कमल चिह्न आवंटित करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की
मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को अहिंसा सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक टी रमेश की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को कमल चिह्न का आवंटन रद्द करने की मांग की थी।
चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए रमेश को उन 20,000 रुपये, जिसे उन्होंने अपनी सत्यता साबित करने के लिए जमा किया था, में से 10,000 रुपये तमिलनाडु कानूनी सेवा प्राधिकरण के पास जाम करने का निर्देश दिया।
रमेश ने कहा कि राष्ट्रीय फूल होने के नाते कमल पूरे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है और इस प्रकार एक राजनीतिक दल को कमल का प्रतीक आवंटित करना अन्यायपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी विशेष पार्टी को कमल का चिह्न आवंटित करना राष्ट्रीय अखंडता का अपमान है। रमेश ने यह भी तर्क दिया था कि कमल को शुभ और पवित्र माना जाता है और यह हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
रमेश ने यह भी कहा कि भाजपा को कमल का प्रतीक आवंटित करना भारत के राज्य प्रतीक (अनुचित उपयोग का निषेध) अधिनियम 2005 की धारा 3 और 4 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 123 का उल्लंघन है, जो वोट मांगने के लिए धार्मिक प्रतीकों के उपयोग पर रोक लगाता है।
रमेश ने आगे कहा था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव समानता पर आधारित होता है और इस प्रकार यदि एक पार्टी दूसरी पार्टी के साथ भेदभाव करती है, तो यह घोर अन्याय होगा और संविधान के अनुच्छेद 14 के भी खिलाफ होगा।
इस प्रकार, रमेश ने दावा किया कि किसी भी भेदभाव से बचने के लिए, भाजपा को आवंटित कमल चिह्न को रद्द करना होगा और यह चिह्न किसी भी राजनीतिक दल - मान्यता प्राप्त/पंजीकृत और स्वतंत्र - को आवंटित नहीं किया जाना चाहिए।
साइटेशनः 2024 लाइवलॉ (मद्रास) 123
केस टाइटलः गांधीयावती टी रमेश बनाम मुख्य चुनाव आयुक्त
केस नंबर: WP 31661/2023