'आवाजाही की स्वतंत्रता पुलिस की समस्या है, अदालत संज्ञान नहीं ले सकती': प्रोफेसर के विरोध के खिलाफ दिल्ली यूनिवर्सिटी की याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी की पूर्व प्रोफेसर डॉ. रितु सिंह और उनके समर्थकों की ओर से नॉर्थ कैंपस में किए गए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ दायर याचिका का निपटारा किया। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि यह कानून-व्यवस्था की समस्या से जुड़ा मामला है, जिसे दिल्ली पुलिस कानून के मुताबिक देखेगी।
कोर्ट ने कहा, “यह अदालत इस स्तर पर आगे बढ़ने की इच्छुक नहीं है। याचिका का निपटारा किया जाता है।”
इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालय के पास पुलिस आयुक्त के पास शिकायत दर्ज करने का विकल्प है,जो तथ्यात्मक स्थिति के अनुसार कानून के अनुसार इस पर कार्रवाई करेगा।
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अपनी याचिका में कहा कि सिंह ने नॉर्थ कैंपस में कला संकाय के गेट नंबर 4 के सामने जमीन के एक बड़े हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा करना शुरू कर दिया है और विरोध प्रदर्शन या धरना आयोजित कर रहे हैं, जो शैक्षणिक संस्थान के सुचारू और प्रभावी कामकाज को बाधित कर रहा है।
विश्वविद्यालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से विश्वविद्यालय और उसके घटक कॉलेजों और विभागों के शांतिपूर्ण और सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए निर्देश मांगा। विश्वविद्यालय की ओर से पेश वकील मोनिका अरोड़ा ने अदालत को बताया कि परिसर में विरोध प्रदर्शन करने वाले बाहरी लोग हैं और सिंह कोई शिक्षक, छात्र या स्टाफ सदस्य नहीं हैं।
अरोड़ा ने कहा कि सिंह कला संकाय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं और अपने समर्थकों को भी बुला रही हैं जिसकी अनुमति नहीं है। इस पर जस्टिस प्रसाद ने कहा, ''आपको क्यों लगता है कि पुलिस अपना कर्तव्य नहीं निभा रही है? आख़िरकार, यह पुलिस का कर्तव्य है। मैं कोई परमादेश पारित नहीं कर सकता..."
अदालत ने कहा, “आवाजाही की स्वतंत्रता पुलिस की समस्या है। कृपया समझें, मैं इस तर्क का संज्ञान नहीं ले सकता कि राज्य का कोई साधन विफल हो रहा है। यह एक खतरनाक तर्क है। कृपया उस तर्क के संवैधानिक प्रभाव को समझें। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।”
याचिका में कहा गया है कि सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों और अधिकारियों के स्वतंत्र प्रवेश और निकास में बाधा डाल रही थीं और विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ नारे लगा रहे थी और व्यक्तिगत आरोप लगा रही थी। इसमें कहा गया है कि सिंह कुलपति समेत विश्वविद्यालय के अधिकारियों को धमकी दे रहे थी।
विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया कि सिंह ने उत्तरी परिसर की दीवारों पर पोस्टर और बैनर चिपकाकर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, जो दिल्ली संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 के तहत दंडनीय अपराध है।
केस टाइटलः दिल्ली विश्वविद्यालय बनाम पुलिस आयुक्त एवं अन्य।