संदिग्ध अवैध प्रवासियों को कथित रूप से निर्वासित करने के लिए असम सरकार की 'पुश-बैक नीति' को हाईकोर्ट में चुनौती

Update: 2025-07-01 06:18 GMT

असम सरकार की संदिग्ध अवैध अप्रवासियों को वापस भेजने की 'पुश-बैक नीति' को चुनौती देने वाली जनहित याचिका गुवाहाटी हाईकोर्ट में छात्र संघ द्वारा दायर की गई। इस याचिका में मांग की गई कि कथित अवैध अप्रवासियों के संबंध में असम सरकार द्वारा अपनाई गई 'पुश-बैक' नीति को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 22 का उल्लंघन है।

27 जून को जब मामले की सुनवाई हुई तो जस्टिस मनीष चौधरी और जस्टिस मिताली ठाकुरिया की खंडपीठ को याचिकाकर्ता-ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स एसोसिएशन के वकील ने सूचित किया कि उन्हें उन व्यक्तियों का विस्तृत विवरण प्राप्त हुआ, जिन्हें राज्य द्वारा अपनाई गई पुश-बैक नीति के तहत उठाया गया था।

आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि ये व्यक्ति पहले भारतीय धरती पर थे, लेकिन पकड़े जाने के बाद उनके ठिकाने का पता नहीं चला। वकील ने कहा कि वह उन व्यक्तियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करेंगे।

दूसरी ओर, प्रतिवादी राज्य ने जनहित याचिका की स्थिरता पर सवाल उठाया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा,

"जैसा कि पक्षकारों के वकील ने मांगा और सहमति व्यक्त की, मामले को 22.07.2025 को सूचीबद्ध किया जाए।"

बता दें, याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामला खारिज करने की इच्छा व्यक्त करने के बाद उसने अपनी याचिका वापस ले ली गई थी।

Case Title: ALL BTC Minority Students Association v The Union of India

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