दिल्ली प्रवासियों की है, किसी भी वर्ग को आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

Update: 2024-09-19 07:31 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में माना कि राष्ट्रीय राजधानी केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते प्रवासियों की है। ऐसे में किसी भी विशेष वर्ग को आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस गिरीश कठपालिया की खंडपीठ ने कहा,

"इसमें कोई विवाद नहीं है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र प्रशासन चलाने के अलावा सभी उद्देश्यों के लिए केंद्र शासित प्रदेश है। इसलिए किसी भी वर्ग को आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता।"

न्यायालय ने यह टिप्पणी दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) द्वारा केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (CAT) के आदेश के खिलाफ दायर अपील खारिज करते हुए की। CAT ने निर्देश दिया कि विष्णु कुमार बडेटिया वर्ष 2009 में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के रूप में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति के हकदार हैं।

बडेटिया को वर्ष 2011 में सफल घोषित किया गया था लेकिन उनका नाम नियुक्ति की फाइनल सूची में नहीं था। उन्हें अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया कि उनकी उम्मीदवारी को आरक्षित श्रेणी के तहत नहीं माना गया, क्योंकि उनके द्वारा प्रदान किया गया जाति प्रमाण पत्र राजस्थान राज्य द्वारा जारी किया गया, जो दिल्ली से अलग है।

उनका मामला यह था कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी पत्र के अनुसार, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार, चाहे वे किसी भी मूल के हों GNSTD के तहत नागरिक पदों पर आरक्षण के लिए पात्र होंगे।

उन्होंने CAT द्वारा पारित आदेश का हवाला दिया, जिसमें 2011 में इसी तरह की स्थिति वाले उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका स्वीकार की गई थी और अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे SC उम्मीदवारों के रूप में उनकी उम्मीदवारी पर विचार करें और उन्हें परिणामी लाभों के साथ नियुक्ति दें।

दूसरी ओर, अधिकारियों ने तर्क दिया कि 04 अगस्त, 2009 से 12 सितंबर, 2012 की अवधि के दौरान, दिल्ली सरकार के तहत नागरिक पदों के संबंध में दिल्ली के बाहर से आने वाले SC/ST श्रेणी के उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर नहीं दिया गया था।

उनका कहना था कि इस अवधि के दौरान आयोजित परीक्षाओं और घोषित परिणामों के संबंध में बाहरी SC/ST उम्मीदवारों को चयन के आधार पर आरक्षण का लाभ देने से कई मामलों में पूरी भर्ती प्रक्रिया अस्थिर हो जाएगी।

पीठ ने अधिकारियों से पूछा कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में किसी भी राज्य द्वारा जारी प्रमाण पत्र के बावजूद PWD श्रेणी से संबंधित उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाता है।

जवाब सकारात्मक था। इसलिए पीठ ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) श्रेणी के उम्मीदवारों को, चाहे वे किसी भी राज्य से हों दिल्ली में नियुक्ति दी जाती है।

अदालत ने कहा,

"ऐसी स्थिति में दिल्ली राज्य श्रेणी को आरक्षण दे रहा है और दूसरी श्रेणी को इससे वंचित कर रहा है, जो वर्तमान मामले में विचाराधीन श्रेणी के साथ सरासर भेदभाव है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।"

अपील खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि बडेटिया को 1993 में जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया, जिसे उनके आवेदन के साथ संलग्न किया गया और उन्होंने एससी श्रेणी से अंतिम चयनित उम्मीदवार द्वारा प्राप्त 71 अंकों के मुकाबले 87 अंक प्राप्त करके चयन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया।

अदालत ने अधिकारियों से चार सप्ताह के भीतर कैट के निर्देशों का पालन करने के लिए कहते हुए कहा,

"हमारी राय में ट्रिब्यूनल यह मानने में त्रुटिपूर्ण नहीं है कि प्रतिवादी विज्ञापन नंबर 004/09 के अनुसार एससी उम्मीदवार के रूप में स्टाफ नर्स के पद पर नियुक्ति का हकदार है।"

केस टाइटल- दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड एवं अन्य बनाम विष्णु कुमार बडेटिया

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