मतदाता सूची में डुप्लिकेट नाम खत्म करने के लिए तकनीकी डिवाइस अपनाने पर विचार करें: दिल्ली हाईकोर्ट ने ECI से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) से कहा कि वह ऐसे तकनीकी डिवाइस अपनाने पर विचार करे, जो मतदाता सूची में व्यक्तियों के डुप्लिकेट नामों को खत्म करने में उसकी सहायता करेंगे।
एक्टिंग चीफ जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में मतदाता सूची में कई प्रविष्टियां रखने वाले व्यक्तिगत मतदाताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका का निपटारा किया।
यह जनहित याचिका राष्ट्रवादी आदर्श महासंघ द्वारा दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि दिल्ली का चुनाव आयोग ECI द्वारा जारी एसओपी के बावजूद मतदाता सूची को अपडेट करने में विफल रहा, जिसमें बड़ी संख्या में डुप्लिकेट प्रविष्टियां हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली की मतदाता सूची में लाखों डुप्लिकेट मतदाता नामांकित हैं, जिन्हें फोटो समान प्रविष्टियों (PSE) और जनसांख्यिकी समान प्रविष्टियों (DSE) को अपनाकर ट्रैक और सुधारा जा सकता है, जैसा कि ECI ने 11 अगस्त, 2023 को जारी अपने पत्र के माध्यम से सभी राज्यों को अनिवार्य किया।
PIL ने उक्त पत्र का अनुपालन करने की मांग की और प्रार्थना की कि डुप्लिकेट नामों को खत्म करने के लिए मतदाता सूची में सुधार किया जाए।
ECI की ओर से पेश हुए एडवोकेट सिद्धांत कुमार ने प्रस्तुत किया कि मतदाता सूची के संशोधन के लिए आवश्यक प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची में डुप्लिकेट नामों को खत्म करने के लिए तकनीकी डिवाइस का इस्तेमाल किया गया और याचिकाकर्ता की शिकायत कायम नहीं रह पाई।
तदनुसार न्यायालय ने अधिकारियों को उचित चरण में जनहित याचिका में किए गए कथनों पर विचार करने का निर्देश देकर याचिका का निपटारा कर दिया।
न्यायालय ने कहा,
“यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यदि आयोग (ECI) को लगता है कि ऐसे तकनीकी डिवाइस हैं, जो डुप्लिकेट नामों को खत्म करने में आयोग की सहायता करेंगे तो उन्हें अपनाया जाएगा। याचिका का निपटारा ऐसी टिप्पणियों के साथ किया जाता है।”
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि राज्य इस मामले को दबाए बैठे हैं। अपने मतदाता सूची में मतदाताओं के दोहराव की अनुमति दे रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में धांधली हो रही है। देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
जनहित याचिका में कहा गया,
“अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के आगमन के साथ जिसे चुनाव आयोग ने अपनाया है, उपरोक्त दो तरीकों के माध्यम से मतदाता सूची में डुप्लिकेट प्रविष्टियों को ट्रैक करना संभव है। यह केवल कुछ ही मिनटों का मामला है। मतदाता सूची में संपूर्ण डुप्लिकेट प्रविष्टियों की जांच, सुधार और पुन: संशोधन किया जा सकता है लेकिन राज्य सरकारें अपने स्वार्थी राजनीतिक लाभ के कारण इस मामले को दबाए बैठी हैं। मतदाता सूची/मतदाता सूची में धांधली करके निहित स्वार्थों द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपहृत करने की अनुमति दे रही हैं।”
केस टाइटल: राष्ट्रवादी आदर्श महासंघ बनाम ECI और अन्य