पत्नी को दोस्तों के साथ अदला-बदली करता था पति, हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार किया, जिस पर अपनी पत्नी को जबरन दोस्तों के साथ यौन क्रियाओं के लिए स्वैप (अदला-बदली) करने का आरोप है।
जस्टिस गिरीश कथपालिया ने कहा कि यह मामला "सामान्य वैवाहिक विवादों" की श्रेणी में नहीं आता। इस आधार पर 2024 की FIR में आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
यह FIR भारतीय दंड संहिता की धारा 498A (क्रूरता), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 376 (बलात्कार), 328 (मादक वस्तु देकर चोट पहुंचाना), 354A (यौन उत्पीड़न), 376D (सामूहिक बलात्कार) तथा POCSO Act की धारा 6 के तहत दर्ज की गई है।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने अपने भाई को उसके साथ यौन उत्पीड़न की अनुमति दी।
बाद में उसने उस पर पत्नी स्वैपिंग के लिए दबाव बनाना शुरू किया और इस उद्देश्य से उसे एक होटल में ले गया जहां उसके दोस्तों ने पीड़िता से छेड़छाड़ की जिसके बाद वह वहां से भाग गई।
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके नाम से फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाया और उसकी तस्वीरों का उपयोग करके लोगों को उसके साथ पैसे के बदले यौन संबंध बनाने के लिए उकसाया।
वहीं याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे झूठा फंसाया गया है और यह महज़ वैवाहिक विवाद से जुड़े आरोप हैं, जिनमें उसे जमानत मिलनी चाहिए।
राज्य ने जमानत का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी अग्रिम जमानत का दुरुपयोग किया और पीड़िता को फोन पर धमकाया, जिसके चलते उसकी अग्रिम जमानत रद्द करनी पड़ी।
कोर्ट ने यह नोट किया कि याचिकाकर्ता ने अग्रिम जमानत के दौरान पीड़िता से संपर्क किया और नए सिम कार्ड से फर्जी नाम का उपयोग करते हुए उससे टेक्स्ट चैट की।
जांच में यह पाया गया कि वह सिम कार्ड याचिकाकर्ता के नाम पर ही पंजीकृत था।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मामला बलात्कार और सामूहिक बलात्कार जैसे गंभीर आरोपों से जुड़ा है इसलिए याचिकाकर्ता को जमानत नहीं दी जा सकती।
टाइटल: एनकेजे बनाम राज्य (एनसीटी दिल्ली)