मोहम्मद जुबैर के खिलाफ POCSO मामले में ट्वीट को लेकर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को सूचित किया कि राज्य पुलिस ने ऑल्ट-न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामले में क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जो 2020 में उनके द्वारा किए गए एक ट्वीट से संबंधित है।
राज्य के वकील ने चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष यह दलील दी, जिसके बाद खंडपीठ ने जुबैर द्वारा दायर याचिका का निपटारा किया, जिसमें उन्होंने IT Act, IPC और POCSO Act के तहत दर्ज FIR रद्द करने की मांग की थी।
संदर्भ के लिए, मामला जुबैर द्वारा किए गए ट्वीट से संबंधित था, जिसमें उन्होंने जगदीश सिंह नामक व्यक्ति की प्रोफ़ाइल तस्वीर शेयर की। उक्त तस्वीर में सिंह अपनी नाबालिग पोती के साथ खड़े थे और पूछा कि क्या सिंह द्वारा अपनी पोती की प्रोफ़ाइल तस्वीर का उपयोग करते हुए अपमानजनक भाषा (जुबैर को 'जिहादी' कहना) का उपयोग करना उचित है।
इस पर जुबैर ने नाबालिग लड़की का चेहरा धुंधला करने के बाद कथित तौर पर टिप्पणी की थी,
"नमस्ते जगदीश सिंह। क्या आपकी प्यारी पोती सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने के आपके पार्ट टाइम काम के बारे में जानती है? मेरा सुझाव है कि आप अपनी प्रोफ़ाइल तस्वीर बदल लें।"
इसके बाद सिंह ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण परिषद (NCPCR) को शिकायत की, जिस पर NCPCR ने दिल्ली पुलिस और रायपुर पुलिस को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि जुबैर का ट्वीट नाबालिग लड़की को प्रताड़ित करने और परेशान करने जैसा है।
NCPCR के मेल के आधार पर, रायपुर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 509बी (इलेक्ट्रॉनिक मोड द्वारा यौन उत्पीड़न), यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO ACt) की धारा 12 (बच्चे पर यौन उत्पीड़न करने की सजा) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने की सजा) के तहत अपराधों का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज की।
इस FIR को चुनौती देते हुए जुबैर ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जुबैर के वकीलों ने दलील दी कि FIR कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और ट्वीट किसी भी तरह से कथित अपराधों में से किसी को भी आकर्षित नहीं कर सकता।
अक्टूबर, 2020 में हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि जुबैर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पिछले साल अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट ने सिंह को 2020 में जुबैर के खिलाफ “आपत्तिजनक ट्वीट” पोस्ट करने के लिए एक्स कॉर्प, पूर्व में ट्विटर से माफ़ी मांगने का निर्देश दिया। यह आदेश दिल्ली पुलिस द्वारा हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के बाद पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि जुबैर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए सिंह के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। दिल्ली पुलिस ने पिछले साल सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने पर अदालत द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद जवाब दाखिल किया।