प्रोबेट या लेटर्स ऑफ एडमिनेस्ट्रेशन के लिए विवादित आवेदन में कोर्ट फीस के भुगतान के लिए कौन सा कानून लागू होता है? केरल हाईकोर्ट ने बताया
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि जब भारतीय उत्तराधिकार नियम (केरल), 1968 के नियम 26 के तहत एक मूल याचिका को एक मुकदमे में परिवर्तित किया जाता है तो अदालत शुल्क का भुगतान कोर्ट फीस अधिनियम की अनुसूची II के अनुच्छेद 11 (के) के तहत किया जाना चाहिए।
एक ट्रायल कोर्ट ने पहले एक वादी को निर्देश दिया था कि यदि मूल याचिका को वाद में बदल दिया गया हो तो भी वह अधिनियम की धारा 25 (ए) सहपठित न्यायालय शुल्क अधिनियम के अनुच्छेद 1 अनुसूची I के तहत कोर्ट फीस जमा करें। हालांकि, जस्टिस सीएस डायस ने कहा कि यह अनुचित और गलत है।
अदालत ने कहा कि केरल कोर्ट-फीस एंड सूट वैल्यूएशन एक्ट, 1959 का चैप्टर VI प्रोबेट, लेटर ऑफ एडमिनेस्ट्रेशन, सर्टीफिकेट ऑफ एडमिनेस्ट्रेशन के लिए दायर आवेदनों पर कोर्ट फीस की गणना और भुगतान के तरीके से संबंधित है।
हालांकि, अदालत ने कहा कि जब भी कोई विवाद होता है, कोर्ट फीस अधिनियम की अनुसूची II के अनुच्छेद 11 (के) के तहत कोर्ट फीस का भुगतान किया जाना है।
कोर्ट ने कहा,
"तो न्यायालय शुल्क अधिनियम की धारा 56 के तहत आने वाले एक निर्विरोध आवेदन में, अधिनियम की अनुसूची I के अनुच्छेद 6 के तहत न्यायालय शुल्क का भुगतान किया जाना है, और एक विवादित आवेदन में, न्यायालय शुल्क का भुगतान अधिनियम की अनुसूची II के अनुच्छेद 11 (के) के तहत किया जाना है, यानि, न्यायालय शुल्क अधिनियम की अनुसूची I के अनुच्छेद 1 के तहत निर्धारित शुल्क के पैमाने का आधा।"
केस टाइटल: केजी सुनीलकृष्णन बनाम केजी प्रेमशंकर
साइटेशन: 2022 लाइवलॉ (केरल) 655