क्या फैमिली कोर्ट के पास घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राहत की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है? केरल हाईकोर्ट ने एमिक्स क्यूरी की नियुक्ति की

Update: 2023-08-04 09:06 GMT

केरल हाईकोर्ट यह तय करने के लिए तैयार है कि क्या फैमिली कोर्ट के पास घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 के तहत राहत की मांग करने वाली याचिका पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र है।

जस्टिस ए. मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस सोफी थॉमस की खंडपीठ ने बुधवार को एडवोकेट एम. अशोक किनी को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया और मामले पर विचार के लिए 10 अगस्त की तारीख तय की।

तथ्यात्मक मैट्रिक्स के अनुसार, याचिकाकर्ता-पति और प्रतिवादी-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंध विभिन्न कारणों से अपरिवर्तनीय रूप से टूट गए। दोनों पक्ष अंतिम बार तिरुवनंतपुरम में एक साथ रहे।

अपने वैवाहिक संबंधों के टूटने के बाद प्रतिवादी और याचिकाकर्ता ने क्रमशः फैमिली कोर्ट, एर्नाकुलम और फैमिली कोर्ट, अलाप्पुझा के समक्ष तलाक के लिए मूल याचिकाएं दायर कीं। प्रतिवादी ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005, संरक्षक और वार्ड अधिनियम और भरण-पोषण के लिए परिवार न्यायालय, एर्नाकुलम के समक्ष अलग-अलग याचिकाएं भी दायर कीं।

याचिकाकर्ता ने इन सभी याचिकाओं में दलील दी कि एर्नाकुलम स्थित फैमिली कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता की आपत्तियां अंततः खारिज कर दी गईं।

इन परिस्थितियों में याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि घरेलू हिंसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत याचिका पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र अधिनियम की धारा 12 के अनुसार न्यायिक मजिस्ट्रेट को ही है।

यह याचिका एडवोकेट सेबेस्टियन चम्पापिल्ली, अब्राहम पी. मीचिनकारा, जॉर्ज क्लीटस, एनी जॉर्ज और मार्गरेट मौरीन ड्रोसे के माध्यम से दायर की गई। वकील वी.के. बालचंद्रन और दृश्य के. प्रकाश प्रतिवादी की ओर से पेश हुए।

केस टाइटल: जॉर्ज वर्गीस बनाम ट्रीसा सेबेस्टियन और अन्य।

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