कोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के क्षेत्राधिकार के तहत विचार नहीं कर सकता कि क्या धारा 161 के तहत दर्ज बयान में बाद में सुधार किया गया था: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2022-01-24 03:08 GMT

आंध्र प्रदेश कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर एक याचिका में कोर्ट अपनी अंतर्निहित शक्तियों के प्रयोग में रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की सराहना नहीं कर सकता है।

चार्जशीट को रद्द करने के लिए सीआरपीसी, 1973 की धारा 482 के तहत आपराधिक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता-आरोपी पर आईपीसी की धारा 498ए आर/डब्ल्यू 34 और दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 3 और 4 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि प्राथमिकी में केवल यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता को उसके खिलाफ कठोर भाषा का इस्तेमाल करके परेशान किया। हालांकि, शिकायतकर्ता के सीआरपीसी की धारा 161 बयान (पुलिस को बयान) में यह कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त दहेज की अवैध मांग करके अन्य आरोपियों के साथ उसे भी परेशान किया।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह उसकी सीआरपीसी की धारा 161 में एक जानबूझकर सुधार है। बयान जो एफआईआर में दर्ज नहीं किया गया है। उन्होंने इस आधार पर उक्त आरोप पत्र को निरस्त करने की प्रार्थना की।

न्यायमूर्ति चेकाती मानवेंद्रनाथ रॉय ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया आधार धारा 482 के तहत आरोप पत्र को रद्द करने के लिए वैध कानूनी आधार नहीं है।

पीठ ने कहा,

"क्या उसके द्वारा सीआरपीसी की धारा 161 के बयान में बाद में सुधार किया गया है या नहीं और क्या उक्त सबूत सही है या नहीं, यह मामला ट्रायल कोर्ट द्वारा अंतिम निर्णय में साक्ष्य की सराहना से संबंधित है। यह न्यायालय सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर एक याचिका में अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य की सराहना नहीं कर सकता है।"

अदालत ने आपराधिक याचिका को खारिज किया क्योंकि याचिकाकर्ता द्वारा जिस आधार का आग्रह किया गया था, वह गवाहों के साक्ष्य की सराहना से संबंधित है, जिसे अदालत के पास सीआरपीसी की धारा 482 के तहत करने की शक्ति नहीं है।

केस का शीर्षक: थम्मीसेटी नरसिम्हा राव बनाम आंध्र प्रदेश राज्य

केस नंबर: 2022 की आपराधिक याचिका संख्या 63

प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (एपी) 5

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