व्यक्तिगत रूप से वकालत कर रहे वकीलों पर नहीं लगेगा GST या सर्विस टैक्स

Update: 2025-04-30 05:40 GMT

ओडिशा हाईकोर्ट ने GST और सर्विस टैक्स विभागों को यह याद दिलाया कि वे वकालत कर रहे वकीलों को GST या सर्विस टैक्स लगाने के लिए नोटिस देकर परेशान न करें।

चीफ जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस बी.पी. रथौड़ की खंडपीठ ने भुवनेश्वर के एक वकील को सर्विस टैक्सस के रूप में 2,14,600 और 2,34,600 के जुर्माने तथा ब्याज के लिए भेजा गया नोटिस खारिज कर दिया।

अदालत ने कहा,

“इस स्वीकार्य तथ्य को देखते हुए कि याचिकाकर्ता प्रैक्टिस करने वाले वकील हैं। विभाग को यह मानना होगा कि याचिकाकर्ता की वकालत से हुई इनकम पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जा सकता।”

याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया था कि चूंकि वह स्वतंत्र रूप से वकालत करने वाले वकील हैं, इसलिए संबंधित विभागों को उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने से रोका जाए।

दूसरी ओर, विभाग ने कहा कि वित्त अधिनियम का उल्लंघन करने पर याचिकाकर्ता को नोटिस जारी किया गया।

हाईकोर्ट ने GST कमिश्नर द्वारा जारी निर्देशों का हवाला दिया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि व्यक्तिगत वकील या वकीलों की साझेदारी फर्म द्वारा गैर-व्यवसायिक इकाइयों या उन व्यवसायिक इकाइयों को जो पिछले वित्त वर्ष में दस लाख रुपये से कम का टर्नओवर रखते हैं, दी गई कानूनी सेवाओं पर सर्विस टैक्स नहीं लगाया जाएगा।

इस आधार पर कोर्ट ने उस हिस्से को रद्द कर दिया, जिसमें याचिकाकर्ता की वकालत से हुई इनकम पर सर्विस टैक्स की मांग की गई थी।

कोर्ट ने समकोणीय पीठ के निर्णय पर भरोसा जताया, जिसमें कहा गया कि वकीलों को सर्विस टैक्स या GST के भुगतान के लिए नोटिस देकर परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

ऐसा पहले के निर्णय में कहा गया था,

“जो वकील कानूनी सेवाएं प्रदान करते हैं और GST व्यवस्था के तहत नकारात्मक सूची में आते हैं, उनसे सर्विस टैक्स/GST की मांग करते हुए कोई नोटिस जारी नहीं किया जाएगा।”

कोर्ट ने विभाग को यह स्वतंत्रता दी कि याचिकाकर्ता द्वारा घोषित संपत्ति से हुई आय पर कानून के अनुसार सर्विस टैक्स लगाया जा सकता है।

केस टाइटल: शिवानंद राय बनाम प्रधान आयुक्त, सीजीएसटी एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क, भुवनेश्वर एवं अन्य

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