सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह, वीकली राउंड अप में देखिए महत्वपूर्ण जजमेंट और ऑर्डर
सुप्रीम कोर्ट में दिसंबर 2019 का पहला सप्ताह कैसा रहा, यह जानने के लिए आइए देखते हैं, पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण जजमेंट और ऑर्डर। एक नज़र शीर्ष अदालत के वीकली राउंड अप पर।
इस्तीफा देने वाले सरकारी कर्मचारी पेंशन के हक़दार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक सरकारी कर्मचारी जिसने सेवा से इस्तीफा दे दिया है, वह 'स्वैच्छिक सेवानिवृत्त' लोगों के लिए उपलब्ध पेंशन लाभ का हकदार नहीं है। घनश्याम चंद शर्मा को 22 दिसंबर 1971 को चपरासी के पद पर नियमित किया गया। उन्होंने 7 जुलाई 1990 को अपना इस्तीफा दे दिया, जिसे 10 जुलाई 1990 से नियोक्ता ने स्वीकार कर लिया। उन्हें बीएसएनएल यमुना पावर लिमिटेड द्वारा दो आधारों पर पेंशन लाभ से वंचित कर दिया गया।
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[सेक्शन 197 सीआरपीसी] पद का उपयोग गैरकानूनी लाभ के लिए करने पर लोकसेवकों को अनुमोदन के संरक्षण का लाभ नहींः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे लोकसेवकों के लिए , जिन्होंने गैरकानूनी लाभ के लिए अपने कार्यालय का उपयोग करते हुए कुकृत्य किया है, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत 'अनुमोदन का संरक्षण' उपलब्ध नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 19 के तहत किसी लोक सेवक को अनुमोदन का संरक्षण सेवानिवृत्त या त्यागपत्र के बाद उपलब्ध नहीं होगा।
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एकमात्र पोस्ट के लिए कोई आरक्षण नहीं हो सकता, पढ़िए सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि एक मात्र पोस्ट (एकांत पद) में कोई आरक्षण नहीं हो सकता। आर आर इनामदार को अंग्रेजी में लेक्चरर के पद पर पदोन्नत किया गया था जो एक मात्र पद था। एक अन्य व्यक्ति द्वारा उनकी इस पदोन्नति के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने माना कि अंग्रेजी में व्याख्याता का पद एक एकांत पद था और कर्नाटक राज्य बनाम गोविंदप्पा के मामले में यह अभिनिर्धारित किया गया कि एकांत पद आरक्षित नहीं हो सकता।
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अयोध्या फैसले पर AIMPLB समर्थित चार मुस्लिम पक्षकारों ने दाखिल की पुनर्विचार याचिका, अब तक 7 याचिकाएं
अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिदभू मि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के समर्थन से मिसबाहुद्दीन, मौलाना हसबुल्ला, हाजी महबूब और रिजवान अहमद द्वारा पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं हैं। शुक्रवार को दाखिल याचिका के बाद कहा गया है कि अगर इस मामले में खुली अदालत में सुनवाई होगी तो वरिष्ठ वकील राजीव धवन ही बहस करेंगे। इस तरह इस मामले में सात याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। पीस पार्टी ने भी पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।
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उपभोक्ता फोरम / आयोग शिकायत या अपील के समय सीमा पार करने के बाद उस पर मेरिट के आधार विचार नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपभोक्ता फोरम / आयोग के इस निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद कि शिकायत / अपील निर्धारित समय सीमा पार कर चुकी है, वह उस मामले के गुण पर विचार नहीं कर सकता। इस मामले में, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने पहली अपील को प्राथमिकता देने से 150 दिनों की देरी के कारण इनकार कर दिया था। इस प्रकार, यह भी पाया गया कि इस मामले में गुणों की स्पष्ट कमी थी और इस प्रकार अपील में 150 दिनों की देरी और मामले में गुणों के स्पष्ट अभाव के दोनों कारणों के आधार पर अपील को खारिज कर दिया गया।
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'जया बच्चन और स्वाति मालीवाल ने हैदराबाद मुठभेड़ के लिए भड़काया', सुप्रीम कोर्ट में याचिका, पीड़ितों के परिवार को 20 लाख देने की मांग
अधिवक्ता एमएल शर्मा ने हैदराबाद पशु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के मामले में 4 आरोपियों की मुठभेड़ हत्याओं के संबंध में एक याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अधिवक्ता एमएल शर्मा ने कहा कि इस याचिका का उद्देश्य राजनीतिक नेताओं और मीडिया की नाराजगी के इशारे पर पुलिस हिरासत में हुई हत्याओं को चुनौती देना है और भारत के नागरिकों को पुलिस द्वारा हत्या किए जाने से, भीड़ द्वारा मार दिए जाने से बचाने के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
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न्यायिक अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने की प्रवृति चिंताजनक : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में न्यायिक अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने की बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए न्यायिक अधिकारी को बहाल कर दिया जिसे अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने व्यापम घोटाले के आरोपी को पढ़ाई करने के लिए विदेश जाने की अनुमति दी कहा, 1.26 करोड़ रुपए जमा कराएं
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को व्यापम घोटाले के आरोपी संतक वैद्य को आगे की पढ़ाई के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही यह शर्त रखी कि वह ट्रायल कोर्ट में 1.26 करोड़ रुपये का फिक्स्ड डिपॉजिट करे और अपने पिता से यह सुनिश्चित करवाए कि वह सुनवाई के लिए पेश होगा। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि यह सही है कि याचिकाकर्ता पर गंभीर अपराध का आरोप है, लेकिन साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना है कि वह एक युवा है और विदेश में अपनी पढ़ाई करना चाहता है।
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हैदराबाद मुठभेड़ : सुप्रीम कोर्ट में जांच कराने की मांग को लेकर दो याचिकाएं दाखिल
हैदराबाद में महिला डॉक्टर से बलात्कार के बाद जलाकर हत्या करने के चार आरोपियों की मुठभेड़ को ' फर्जी' बताते हुए जांच की मांग को लेकर दो याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं। पहली दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस मुठभेड़ पर पुलिस टीम के मुखिया समेत सभी अफसरों पर FIR दर्ज कर जांच कराई जानी चाहिए।याचिका में कहा गया है कि ये जांच सीबीआई, SIT, CID या किसी अन्य निष्पक्ष जांच एजेंसी से कराई जाए जो तेलंगाना राज्य के अंतर्गत ना हो। साथ ही जांच टीम की अगुवाई साइबराबाद के पुलिस आयुक्त वीसी सजनार से उच्च पद के अफसर से कराई जाए।
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SARFAESI: बैंकों के दावों से पहले कर्मचारियों के दावे पर गौर नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल केंद्रीय और राज्य कानूनों के तहत स्पष्ट रूप से बनाए गए वैधानिक प्रथम शुल्क, सिक्योरिटाइजेशन एंड रिकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड इंफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट एक्ट (SARFAESI) के तहत सिक्योर्ड लेनदारों के दावों पर पूर्ववर्ती स्थिति ले सकते हैं। मामला महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड बनाम बाबूलाल लाडे के मामले की सुनवाई से संबंधित है। अदालत के समक्ष मुद्दा यह था कि SARFAESI अधिनियम के तहत कारखाने के सुरक्षित परिसंपत्तियों की बिक्री से मिली राशि में से भुगतान के क्रम में कारखाना कर्मचारियों को पहले उनकी राशि चुकाई जाए या सिक्योर्ड ऋणदाताओं के दावे को निपटाया जाए।
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अगर एनसीएलटी सार्वजनिक क़ानून के बारे में कोई आदेश पास करता है तो हाईकोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर एनसीएलटी ने ऐसा कोई आदेश दिया है जो सार्वजनिक क़ानून से संबंधित है तो हाईकोर्ट अनुच्छेद 226 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए हस्तक्षेप कर सकता है। न्यायमूर्ति नरीमन, न्यायमूर्ति बोस और न्यायमूर्ति रामासुब्रमनियन की पीठ ने कहा कि निगमित ऋणधारक के अपने अधिकारों का प्रयोग करने के दौरान अगर यह आईबीसी, 2016 की परिधि के बाहर होता है और विशेषकर सार्वजनिक क़ानून के तहत आता है तो उस स्थिति में वह अपने अधिकारों पर अमल के लिए एनसीएलटी में नहीं जा सकता।
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भ्रष्टाचार के सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी भ्रष्टाचार के मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य नहीं है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य की अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया गया था, जिसके पास आय के अपने ज्ञात स्रोतों के अनुपातहीन कथित रूप से रु 3,18,61,500 की संपत्ति होने का आरोप था।
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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस मिश्रा विवाद पर BCI चेयरमैन की टिप्पणियों की निंदा की
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस अरुण मिश्रा और सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण प्रकरण के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट की वकीलों की एसोसिएशन के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया चेयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा द्वारा की गई टिप्पणियों पर आपत्ति जताई है। जज के आचरण पर वकीलों द्वारा की गई आलोचनाओं को खारिज करते हुए बीसीआई चेयरमैन न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के समर्थन में सामने आए थे।
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देश की हर तहसील में केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें देश के प्रत्येक तहसील में एक केंद्रीय विद्यालय की स्थापना के लिए केंद्र सरकार को निर्देश को देने की मांग की गई है ताकि गरीब बच्चों को समान अवसर प्रदान किया जा सके और साथ ही भाईचारे, एकता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सके। भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना यानी हर तहसील में इन स्कूलों में समान शिक्षा सुनिश्चित करना समान पाठ्यक्रम और समान पाठ्यक्रम के साथ I-VIII कक्षा के सभी छात्रों के लिए संविधान की प्रस्तावना 21A और अनुच्छेद 14, 15, 16 की भावना को सुनिश्चित करना होगा।
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बलात्कार मामले में आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते की कोई प्रासंगिकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया है कि बलात्कार के आरोपियों और पीड़िता के बीच समझौते की आपराधिक मामलों को तय करने में कोई प्रासंगिकता नहीं है। न्यायमूर्ति मोहन एम शांतानागौदर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने एक आपराधिक अपील का निपटारा करते हुए इस प्रकार का अवलोकन किया।
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ज़मानत के गैर-ज़िम्मेदाराना आदेशों से अंदेशा होता है कि कोर्ट ने दिमाग का इस्तेमाल नहीं कियाः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच के एक फैसले को रद्द करते हुए टिप्पणी की है कि जहां जमानत देने और ना देने का के आदेश में उन कारणों को नहीं बताया जाता, जिन्होंने निर्णय की जानकारी दी है तो ये अनुमान होता है कि दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इस मामले में हत्या के एक आरोपी (महिपाल बनाम राजेश कुमार@पोलिया) को राजस्थान हाईकोर्ट ने जमानत दी थी। सेक्शन 439 सीआरपीसी के तहत दिए गए जमानत के आदेश को शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी है।
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जस्टिस मिश्रा ने सीनियर वकील शंकर नारायण पर अपनी टिप्पणी पर कहा, मैं सौ बार माफी मांगता हूं
न्यायमूर्ति मिश्रा ने खुले कोर्ट रूम में कहा, "अगर किसी को चोट लगती है, तो कोई जानवर या पेड़ भी हो तो मैं माफी मांगने के लिए तैयार हूं। मुझे पता है कि आप माफी मांगने के लिए नहीं कह रहे हैं लेकिन अगर मेरे कारण किसी को कोई नुकसान हुआ है तो मैं किसी भी जीवित प्राणी से माफी मांगता हूं। गोपाल शंकरनारायण उम्र में हमसे छोटे हैं। यहां तक कि कम उम्र के लोगों से भी मैं सौ बार माफी मांगता हूं।" जस्टिस मिश्रा ने कहा, "मुझे लगता है कि मुझे कुछ लोगों और मीडिया द्वारा अनावश्यक रूप से निशाना बनाया गया है। मैं बहुत दबाव में होता हूं। मैं कई मामलों से निपटता हूं और यह संभव है कि मैंने दबाव से कुछ कह दिया हो।"
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अभियोजन द्वारा दिए गए सील बंद कवर दस्तावेज़ के निष्कर्ष के आधार पर ज़मानत देने से इनकार करना निष्पक्ष सुनवाई के खिलाफ : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की तीन जजों की बेंच ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत दे दी। आईएनएक्स मीडिया मामले में पी चिदंबरम को जमानत देने के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की सुनवाई के दौरान अभियोजन द्वारा प्रस्तुत सील बंद कवर दस्तावेजों पर भरोसा करने वाली अदालतों के काम करने के तरीकों के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं।
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INX मीडिया : सुप्रीम कोर्ट ने ED केस में पी चिदंबरम को जमानत दी, बाहर आने का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की तीन जजों की बेंच ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग आरोपों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत दे दी। इसके साथ ही 106 वें दिन उनके जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है क्योंकि सीबीआई केस में सुप्रीम कोर्ट से ही चिदंबरम को पहले जमानत मिल चुकी है। पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि वो कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाएंगे। गवाहों से संपर्क नहीं रखेंगे। मीडिया में इंटरव्यू नहीं देंगे। 2-2 लाख की श्योरटी और निजी मुचलके पर जमानत दी गई है।