"मास्क न पहनने पर अपशब्द कहना प्रताड़ना": केरल हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस प्रमुख से रिपोर्ट मांगी
केरल हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक रूप से मास्क न पहनने पर कुछ पुलिस अधिकारियों द्वारा उसके साथ किए मौखिक दुर्व्यवहार और अत्याचार को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसे मामलों से निपटने पर सहानुभूति की आवश्यकता है।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन, जो उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच का हिस्सा थे, ने मौखिक रूप से देखा कि इस दौरान हालात को संभालने के लिए "महान भूमिका" निभाने वाली पुलिस को सहानुभूति के साथ काम करना है।
उन्होंने कहा,
"हम समझते हैं कि COVID-19 की दूसरी लहर चल रही है। हम जानते हैं कि लोग अभी भी इसका उल्लंघन कर रहे हैं (लेकिन) यह एक छोटा समूह है। आप पुलिस बल का उपयोग नहीं कर सकते।"
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने और न्यायमूर्ति डॉ. कौसर एडापागथ की खंडपीठ के लिए बोलते हुए कहा कि आरोपों का निश्चित रूप से राज्य पुलिस प्रमुख का ध्यान आकर्षित करना है।
न्यायालय ने हालांकि, यह स्पष्ट किया कि वह खुद आरोपों पर राय नहीं दे रहा है।
तदनुसार, राज्य पुलिस प्रमुख को आरोपों की सत्यता पर एक रिपोर्ट दर्ज करने के लिए निर्देशित किया गया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,
"इस समय हम यह नहीं कहते हैं कि इस समय, याचिकाकर्ता के आरोप सही हैं, लेकिन हम निश्चित हैं कि अगर वे हैं, तो राज्य पुलिस प्रमुख की ओर से इस पर उचित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।"
यह याचिका एर्नाकुलम में मुन्नाबम के एक ड्राइवर वैशाख ने दायर की थी। उसे पुलिस द्वारा उस समय गिरफ्तार किया गया, जब उसने फोन पर किसी से बात करते हुए अपना मास्क हटा दिया।
मामले: वैशाख टी बनाम केरल राज्य
COUNSEL: वैशाख के लिए एडोवेकट एमबी शयनी और एडवोकेट केटी प्रशांत पेश हुए
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