COVID-19 की दूसरी लहरः गुवाहाटी हाईकोर्ट ने उन विदेशी बंदियों को रिहा करने का निर्देश दिया, जिन्होंने हिरासत में दो साल पूरे किए
गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने राज्य में COVID-19 की स्थिति पर पिछले साल स्वतः संज्ञान याचिका पर दिए आदेश में संशोधन किया है और अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उन विदेशी बंदियों को 5,000 रुपए के बांड और COVID-19 की दूसरी लहर मद्देनजर, दो जमानत के बजाय एक जमानत पर रिहा करें, जिन्होंने दो साल की हिरासत की अवधि पूरी कर ली है।
चीफ जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस मनीष रंजन पाठक की खंडपीठ ने आदेश दिया, "वास्तव में, हमें यह निश्चित रूप से दोहराना चाहिए कि WP (C) (Suo Moto) No 1/2020 में 15.04.2020 को इस अदालत की डिवीजन बेंच की ओर से पारित आदेश के मद्देनजर, प्रत्येक मामले में अलहदा आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है और संबंधित प्राधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि, जहां भी इस प्रकार के बंदियों को बंद किया गया है, जब वे दो साल की हिरासत अवधि पूरी कर लें, उन्हें COVID-19 महामारी के मद्देनजर, निम्नलिखित संशोधन के तहत 5,000 रुपए के निजी मुचलके और दो जमानतदारों के बदले एक जमानतदार की जमानत पर रिहा किया जाए।"
न्यायालय ने निर्देश दिया कि उपरोक्त आदेश, आदेश की तारीख से 48 घंटे के भीतर, सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (सीमा), उन सभी जेलों के अधीक्षक और अधिकारियों, जिनमें विदेशी बंदियों को बंद किया गया है, को सूचित किया जा।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि बंदियों को रिहा करते समय, पिछले साल स्वतः संज्ञान रिट याचिका में पारित निर्देशों का पालन किया जाएगा।
कोर्ट ने उक्त निर्देश समशुल हक की याचिका पर दिए हैं, जिन्होंने फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल, जोरहाट के 13 मई 2019 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें विदेशी घोषित किया गया था और तब से वह हिरासत में थे।
यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता जल्द ही अपनी हिरासत के दो साल पूरे कर रहा है, कोर्ट ने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13.3.2020 को स्वतः संज्ञान रिट याचिका (सिविल) नंबर 1/2020 (In Re:जेलों में COVID-19 वायरस का संक्रमण) में निर्धारित कानून, जिसका पालन इस कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने WP (C) (सू मोटो) नंबर 1/2020 (गुवाहाटी हाई कोर्ट बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य) में 15.04.2020 को किया, के मद्देनजर, दो साल की हिरासत की अवधि पूरा कर चुके एक बंदी को 5,000 रुपए के निजी मुचलके और उतनी ही राशि की दो जमानतों पर रिहा किया जाना चाहिए।"
हाईकोर्ट ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, पात्र बंदियों के निर्धारण और रिहाई के लिए असम के सभी फॉरेनर्स डिटेंशन सेंटर के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे।
न्यायालय ने संबंधित पुलिस अधीक्षक (सीमा) को निर्देश दिया था कि वह पहले अपने अधिकार क्षेत्र के तहत ऐसे बंदियों के नाम और हिरासत की अवधि की जानकारी लें, जिन्होंने हिरासत में 2 साल से अधिक अवधि पूरी कर लेने के मद्देनजर जमानत पर रिहाई के लाभ का दावा किया है और इसके बाद आवश्यक कदम उठाए। जमानत पर रिहाई निम्न शर्तों के अधीन होगी-
- भारतीय नागरिकों की पांच-पांच हजार रुपए के दो जमानत के साथ मुचलके का निष्पादन।
- रिहाई के बाद ठहरने के सत्यापन योग्य पते की जानकारी।
- रिहाई से पहले संबंधित डिटेंशन सेंटर के एक सुरक्षित डेटाबेस में दोनों आंखों और सभी 10 उंगलियों के निशान और फोटो के बायोमेट्रिक्स को कैप्चर और स्टोर करना।
- घोषणा/अंडरटेकिंग कि बंदी प्रत्येक सप्ताह में एक बार पुलिस स्टेशन/आउट पोस्ट (आवश्यक विवरणों के साथ विशेष रूप से नामित) को रिपोर्ट करेगा, जो रिहाई के बाद उसके ठहरने के सत्यापन योग्य पते के आसपास के क्षेत्र में स्थित है।
- घोषणा/अंडरटेकिंग कि अपने पते में किसी बदलाव की सूचना उसी दिन पुलिस स्टेशन/आउट पोस्ट को सूचित करेगा।
- घोषणा / अंडरटेकिंग कि किसी भी उल्लंघन की स्थिति में बंदी को गिरफ्तार की फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश किया जाएगा।
- हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक (सीमा) को आदेश दिया है कि वे पुलिस स्टेशन / आउट पोस्ट पर बंदी की उपस्थिति की जानकारी संबंधित फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल को दें।