अस्पतालों में लगे सीसीटीवी कैमरों को नजदीकी पुलिस थानों से जोड़ने की आवश्यकता: गुवाहाटी हाईकोर्ट
गुवाहाटी हाईकोर्ट ने वर्तमान महामारी में डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (PIL) याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को कहा कि अस्पतालों में केवल सीसीटीवी कैमरे लगाना पर्याप्त नहीं है। इसके सथा ही सीसीटीवी कैमरों को निकटतम पुलिस स्टेशन से कनेक्ट करना आवश्यक है।
मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनश रंजन पाठक की खंडपीठ ने इस संबंध राज्य सरकार को इस बारे में दस दिनों के भीतर अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई के दौरान, पीठ को महाधिवक्ता, असम द्वारा सूचित किया गया था कि 01.06.2021 को चिकित्सा कर्मियों पर हुए हमले वाली घटना के संबंध में पुलिस ने अपनी जांच पूरी कर ली है और आरोप पत्र दायर किया गया है। इस मामले में अब तक चौबीस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह हाईकोर्ट के पिछले साल के आदेश के निर्देशों का पालन करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि COVID-19 अस्पतालों के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और साथ ही संबंधित विशेषज्ञ समिति को COVID-19 स्थितियों से निपटने के लिए स्थिति के अवलोकन के लिए फुटेज उपलब्ध कराएं।
मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने आदेश दिया था:
"राज्य सरकार को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया जाता है, ताकि जहां सीसीटीवी कैमरे हैं, वहां स्थिति के अवलोकन के लिए विशेषज्ञ समिति को फुटेज उपलब्ध कराए जा सकें। यह सुनिश्चित किया जाना है कि क्या वही कार्य कर रहे हैं और यदि यह कार्य कर रहा है, तो समय-समय पर अवलोकन करने के लिए सीसीटीवी फुटेज को समय-समय पर विशेषज्ञ की समिति/विशेषज्ञ निकायों के समक्ष रखा जाना चाहिए।"
अप्रैल 2020 में बॉम्बे हाईकोर्ट, नागपुर की बेंच ने नागपुर के कलेक्टर, नागपुर नगर निगम के आयुक्त और अन्य प्रमुखों को "सभी संस्थागत क्वारंटाइन सेंटर्स के गलियारों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रस्ताव तैयार करने" का निर्देश दिया था और जहां गलियारे नहीं हैं राज्य के खर्च पर कमरे के अंदर और बाहर क्वारंटाइन किए गए मरीजों की गतिविधियों की जांच करने के लिए "इलेक्ट्रॉनिक निगरानी" रखने के लिए उपयुक्त स्थानों पर उपलब्ध है। कोर्ट ने उक्त आदेश पारित होने के 10 दिन का समय राज्य या केंद्र सरकार को नाम भेजने और प्रस्ताव की प्रति रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा था।
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