स्मार्टफोन खरीदें, जीपीएस ऑन रखें, व्हाट्सएप हिस्ट्री को डिलीट न करें: जमानत आदेशों में आरोपी के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की जमानत शर्तें
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट अभियुक्त को जमानत देते हुए हाल ही में उस व्यक्ति पर कई शर्तें लगाईं। इन शर्तों में स्मार्टफोन खरीदने, हमेशा जीपीएस चालू रखने और फोन को फॉर्मेट न करें या उसके व्हाट्सएप चैट या कॉल लॉग को डिलीट न करें।
जस्टिस अनूप चितकारा ने पिछले एक साल में पारित कई आदेशों में इसी तरह की शर्तें लगाई हैं।
अदालत ने कहा,
"जेल से रिहा होने के पंद्रह दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को स्मार्टफोन खरीदना होगा और उसके IMEI नंबर और अन्य विवरणों को SHO/I.O को ऊपर वर्णित पुलिस स्टेशन के सूचित करना होगा। याचिकाकर्ता को फोन की लोकेशन/जीपीएस को हमेशा "ऑन" मोड पर रखना चाहिए। जब भी जांच अधिकारी लोकेशन शेयर करने के लिए कहेगा, याचिकाकर्ता तुरंत ऐसा करेगा। याचिकाकर्ता संबंधित एसएचओ/आईओ की अनुमति के बिना न तो लोकेशन हिस्ट्री, व्हाट्सएप चैट, कॉल लॉग्स को क्लियर करेगा और न ही फोन को फॉर्मेट करेगा। यह स्थिति मुकदमे के पूरा होने या मामले के बंद होने तक, जो भी पहले हो, जारी रहेगी।”
अदालत ने कहा कि शर्त का पालन नहीं करने की स्थिति में शिकायतकर्ता जमानत रद्द करने के लिए ऐसा कोई भी आवेदन दायर करने का हकदार होगा, जिसके चलते आरोपी की जमानत रद्द हो जाती है।
अदालत ने एक और शर्त में कहा,
"आरोपों की प्रकृति और इस मामले की अन्य विशिष्ट परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता जेल से रिहा होने के पंद्रह दिनों के भीतर संबंधित प्राधिकरण को आर्म्स लाइसेंस के साथ सभी हथियार, आग्नेयास्त्र, गोला-बारूद, यदि कोई हो, सौंप देगा और जांचकर्ता को सूचित करेगा।”
आरोपी ने उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 148, 149, 307 और 427 और आर्म्स एक्ट की धारा 25 (1बी) के तहत दर्ज एफआईआर में सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत के लिए आवेदन दिया।
याचिकाकर्ता ने समानता के आधार पर जमानत का दावा किया, यह तर्क देते हुए कि इस मामले में समान रूप से रखे गए सह-आरोपी को पहले ही जमानत का लाभ दिया जा चुका है।
सुशीला अग्रवाल बनाम राज्य (दिल्ली के एनसीटी) और अन्य, 2020 5 एससीसी 1, अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया गया, जहां सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने माना कि जमानत देते समय अदालतें असामान्य रूप से प्रतिबंधात्मक शर्तें लगा सकती हैं, हाईकोर्ट ने आरोपी को ज़मानत या सावधि जमा के साथ व्यक्तिगत मुचलका प्रस्तुत करने की शर्त पर जमानत दी।
अदालत ने मोहम्मद ज़ुबैर बनाम एनसीटी ऑफ़ दिल्ली, 2022 की रिट याचिका (आपराधिक) नंबर 279 में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर भी भरोसा किया, जहां यह माना गया कि अदालत द्वारा लगाई गई ज़मानत शर्तों का न केवल इससे संबंध होना चाहिए जिस उद्देश्य की वे सेवा करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें आरोपित करने के उद्देश्य के अनुपात में भी होना चाहिए, अभियुक्तों की स्वतंत्रता और निष्पक्ष परीक्षण की आवश्यकता के बीच संतुलन सुनिश्चित करना चाहिए।
जस्टिस चितकारा ने गुरशरणजीत सिंह उर्फ सनी बनाम पंजाब राज्य और उमेद सिंह बनाम हरियाणा राज्य जैसे कई अन्य जमानती मामलों में आरोपी पर स्मार्टफोन खरीदने के लिए समान शर्तें लगाई हैं।
जस्टिस चितकारा ने लाइवलॉ द्वारा रिपोर्ट किए गए अन्य फैसले में बलात्कार के मामले में पूर्व विधायक सिमरजीत सिंह बैंस को जमानत देते हुए उन्हें आर्म्स लाइसेंस के साथ अपने सभी हथियार सरेंडर करने का आदेश दिया।
केस टाइटल: हुसैन अब्बास उर्फ टीपू बनाम हरियाणा राज्य
साइटेशन: सीआरएम-एम-1210-2023
कोरम: जस्टिस अनूप चितकारा
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