पूर्व जेडी(एस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना ने अपने खिलाफ कथित बलात्कार और यौन उत्पीड़न मामले में नियमित ज़मानत के लिए दूसरी बार सेशन कोर्ट का रुख किया।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 9 जुलाई के अपने आदेश में उन्हें सेशन कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था। साथ ही ट्रायल कोर्ट को 10 दिनों के भीतर उनकी याचिका का निपटारा करने का भी निर्देश दिया गया था।
मंगलवार को रेवन्ना की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट विक्रम हुइलगोल ने तर्क दिया कि वह पिछले 1 साल 2 महीने से हिरासत में हैं। उन्होंने आगे बताया कि हालांकि अदालत ने पिछले साल सितंबर में मामले का संज्ञान लिया, लेकिन इस साल 1 जुलाई को ही मामले को सौंपने का आदेश पारित किया गया।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रेवन्ना के खिलाफ आरोप एक ही शिकायत में लगाए गए हैं। इसलिए अकेले उनके मामले में प्रगति की संभावना नहीं है। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने इस साल जनवरी में सेशन कोर्ट को रेवन्ना के पिता (एचडी रेवन्ना) के खिलाफ आरोप तय न करने का निर्देश दिया था, जो एक संबंधित मामले में आरोपी हैं।
गुण-दोष के आधार पर रेवन्ना के वकील ने दलील दी कि शिकायत दर्ज करने में अस्पष्ट देरी हुई।
हुइलगोल ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष ने 150 गवाहों के साथ एक बड़ा आरोप-पत्र दाखिल किया, इसलिए मुकदमे का जल्द निपटारा संदिग्ध बना हुआ है। चूंकि जांच पूरी हो चुकी है, इसलिए उन्हें ज़मानत देने में कोई बाधा नहीं है।
अभियोजन पक्ष आज यानी बुधवार को अपना पक्ष रख सकता है।