दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पांच महीने के बच्चे के इलाज के लिए जीवन रक्षक दवा के आयात के लिए याचिका: केरल हाईकोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा

Update: 2021-06-14 05:15 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने राज्य के प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक से एक दवा के आयात के संबंध में जवाब मांगा है। दरअसल, पीठ स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी (Spinal Muscular Atrophy) से पीड़ित एक बच्चे के इलाज के लिए जीवन रक्षक दवा के आयात के लिए सरकारी सहायता की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अधिवक्ता पी चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता का पांच महीने का बेटा एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसका इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवा 'ओनासेमनोगीन (Onasemnogene)' की एक खुराक देकर ही किया जा सकता है। इस दवा की एक खुराक के लिए लगभग 16 से 18 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है।

[ नोट: स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 एक दुर्लभ बीमारी है। जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं, शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है। इस बीमारी बच्चा पूरी तरह से निष्क्रिय सा हो जाता है। ]

सिंगल बेंच के समक्ष यह प्रार्थना की गई कि राज्य को इस दवा का आयात करने और याचिकाकर्ता के बेटे को आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान करने का निर्देश दिया जाए, जो वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोझीकोड में वेंटिलेटर पर है।

न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने यह देखते हुए कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां राज्य का ध्यान आकर्षित किया गया है।

न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि,

"कल्याणकारी राज्य के रूप में विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है, जिसमें दवा की प्रभावकारिता, अत्याधिक कीमत, उपचार प्रोटोकॉल, दवा की खरीद के लिए धन जुटाने की संभावना आदि शामिल हैं। तदनुसार, प्रतिवादी 1 और 2 को निर्देश दिया जाता है कि वे 28.06.2021 से पहले, जितनी जल्दी हो सके, विस्तार से जवाबी हलफनामा दाखिल करें।"

पूरा मामला

पीठ ने राज्य के प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक से एक दवा के आयात के संबंध में जवाब मांगा है। दरअसल, कोर्ट स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी (Spinal Muscular Atrophy) से पीड़ित एक बच्चे के इलाज के लिए जीवन रक्षक दवा के आयात के लिए सरकारी सहायता की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

अधिवक्ता पी चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता का पांच महीने का बेटा एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है, जिसका इलाज दुनिया की सबसे महंगी दवा 'ओनासेमनोगीन (Onasemnogene)' की एक खुराक देकर ही किया जा सकता है। इस दवा की एक खुराक के लिए लगभग 16 से 18 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ता है।

सिंगल बेंच के समक्ष यह प्रार्थना की गई कि राज्य को इस दवा का आयात करने और याचिकाकर्ता के बेटे को आवश्यक चिकित्सा उपचार प्रदान करने का निर्देश दिया जाए, जो वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, कोझीकोड में वेंटिलेटर पर है।

कोर्ट का अवलोकन

न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने यह देखते हुए कि यह एक उपयुक्त मामला है जहां राज्य का ध्यान आकर्षित किया गया है।

न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि,

"कल्याणकारी राज्य के रूप में विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है, जिसमें दवा की प्रभावकारिता, अत्याधिक कीमत, उपचार प्रोटोकॉल, दवा की खरीद के लिए धन जुटाने की संभावना आदि शामिल हैं। तदनुसार, प्रतिवादी 1 और 2 को निर्देश दिया जाता है कि वे 28.06.2021 से पहले, जितनी जल्दी हो सके, विस्तार से जवाबी हलफनामा दाखिल करें।"

आरिफ बनाम केरल राज्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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