पीएफआई की फ्लैश हड़ताल अवैध : केरल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू की
केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में फ्लैश हड़ताल के अवैध आह्वान को ध्यान में रखते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेताओं की कड़ी निंदा की और स्वत: संज्ञान कार्यवाही शुरू की। इस तरह की हड़ताल पहले अदालत ने प्रतिबंधित कर दी थी।
पीएफआई ने एनआईए द्वारा अपने नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में आज राज्य में सुबह से शाम तक हड़ताल का आह्वान किया।
जस्टिस ए के जयशंकरन नांबियार और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
पीठ ने आदेश में कहा,
"हमारे पहले के आदेश में सोची गई प्रक्रिया का पालन किए बिना उपरोक्त व्यक्तियों की कार्रवाई प्रथम दृष्टया उपरोक्त आदेश में इस न्यायालय के निर्देशों की अवमानना के समान है। इसलिए कोर्ट अवमानना के लिए अलग से कार्रवाई शुरू कर रहा है।
कोर्ट ने इससे पहले केरल राज्य में अजीबोगरीब परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दिनांक 7.1.2019 में आदेश जारी किया, जहां हड़ताल का आह्वान किया जाता है, जिसे आमतौर पर अवैध नहीं माना जाता। वर्षों से माना जाता है कि यदि आम जनता हड़ताल का आह्वान करने में उन लोगों के साथ सहयोग नहीं करती तो उन्हें हिंसा या वास्तविक हिंसा के खतरों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए गए कि हड़ताल या आम हड़ताल के आह्वान का उन लोगों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करने का प्रभाव नहीं है, जो हड़ताल का आह्वान करने वालों के कारण के साथ संरेखित नहीं होते हैं। हड़ताल का आह्वान करते समय पालन की जाने वाली प्रक्रिया निर्धारित की है।
न्यायालय ने पहले यह स्पष्ट कर दिया कि फ्लैश हड़ताल अर्थात् वे हड़तालें जिन्हें सात दिनों की स्पष्ट सार्वजनिक सूचना देने की प्रक्रिया का पालन किए बिना बुलाया गया, उनको अवैध/असंवैधानिक माना जाएगा, जिससे हड़ताल का आह्वान करने वाले व्यक्तियों/पार्टी के प्रतिकूल परिणाम होंगे।
एनआईए द्वारा अपने शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ पीएफआई पार्टी द्वारा फ्लैश हड़ताल के आह्वान की निंदा करते हुए अदालत ने इसके खिलाफ स्वत: संज्ञान की कार्यवाही शुरू की।
इस स्थिति के मद्देनजर, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
1. राज्य में पुलिस प्रतिष्ठान यह सुनिश्चित करेगा कि हड़ताल का समर्थन नहीं करने वाले सरकार/नागरिकों की सार्वजनिक/निजी संपत्ति को किसी प्रकार की क्षति/विनाश को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएं।
2. उन सभी जनोपयोगी सेवाओं को भी पर्याप्त पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगी जिनमें अवैध हड़ताल का समर्थन करने वालों के हाथों हिंसा की आशंका हो।
3. कोर्ट ने मीडिया से यह सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया कि जब भी इस तरह की अवैध फ्लैश हड़तालों के लिए बुलाया जाए तो यह स्पष्ट हो कि उक्त हड़ताल इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशों का उल्लंघन न हो। साथ ही जनता को उक्त तथ्य से विधिवत सूचित किया जाए।
मामले को राज्य सरकार की रिपोर्ट के लिए 29.09.2022 के लिए पोस्ट किया गया।