पेंशन लाभ | कदाचार के लिए सेवा से हटाए गए कर्मचारी सेवा पूरी होने पर सेवानिवृत्त होने वालों के समान नहीं: जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

Update: 2022-09-03 06:27 GMT

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में देखा कि कदाचार के लिए सेवा से हटाया गया कर्मचारी उन लोगों के बराबर नहीं है, जो सेवानिवृत्ति पर सेवानिवृत्त होते हैं।

जस्टिस संजीव कुमार ने जम्मू-कश्मीर ग्रामीण बैंक के पूर्व कर्मचारी द्वारा किए गए पेंशन दावे को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। उक्त कर्मचारी को 2011 में सेवा से हटा दिया गया था।

याचिकाकर्ता ने जम्मू-कश्मीर ग्रामीण बैंक (कर्मचारी) पेंशन विनियम, 2018 का लाभ मांगा था, जिसके तहत टर्मिनल लाभों के लिए प्रावधान किया गया है।

कोर्ट ने हालांकि दो आधारों पर दावे को खारिज कर दिया:

सबसे पहले, याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने के समय प्रतिवादी-बैंक के कर्मचारियों को पेंशन के लाभ के लिए कोई मानदंड, नियम या विनियम नहीं थे।

"बेशक, वर्ष 2011 में प्रतिवादी-बैंक के कर्मचारी जम्मू-कश्मीर ग्रामीण बैंक (अधिकारी और कर्मचारी) सेवा विनियम, 2010 द्वारा शासित थे... ।"

दूसरे, कोर्ट ने कहा कि हालांकि 2018 के नियम उन कर्मचारियों पर लागू किए गए, जो 1 सितंबर, 1987 और 31 मार्च, 2010 के बीच सेवा में थे और 31 मार्च, 2018 से पहले बैंक की सेवाओं से सेवानिवृत्त हुए थे। हालांकि, याचिकाकर्ता उक्त छूट के दायरे में नहीं आता।

इस खोज का कारण यह है कि याचिकाकर्ता ऐसा कर्मचारी नहीं है, जो बैंक से सेवानिवृत्ति पर "सेवानिवृत्त" हुआ है। बल्कि, उसे कदाचार के लिए "हटाया" गया है।

कोर्ट ने कहा,

"विनियमन उन कर्मचारियों पर लागू होता है जो 31.03.2018 से पहले बैंक की सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे, न कि उन कर्मचारियों पर जिन्हें कदाचार के लिए समाप्त किया गया था। इस प्रकार देखा गया कि याचिकाकर्ता को हटाने योग्य लाभ के हकदार याचिकाकर्ता को दिनांक 02.09.2011 को हटाने का आदेश। इस स्थिति में किसी भी तर्क से पेंशन के लाभ के साथ हटाने का आदेश नहीं माना जा सकता है। याचिकाकर्ता न तो सेवा से हटाए जाने के समय और न ही 2018 के पेंशन विनियमों की घोषणा के साथ पेंशन लाभ का हकदार है।"

इसके तहत याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल: बशीर अहमद वानी बनाम जम्मू और कश्मीर ग्रामीण बैंक और अन्य

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