माता-पिता के गैर-भारतीय नागरिक होने के एकमात्र आधार पर बच्चे को पासपोर्ट देने से इनकार नहीं किया जा सकता: केरल हाईकोर्ट

Update: 2022-03-18 17:02 GMT

केरल हाईकोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि भले ही नाबालिग के माता-पिता में से एक ने सहमति देने से इनकार कर दिया हो लेकिन पासपोर्ट जारीकर्ता प्राधिकारी को नाबालिग को पासपोर्ट जारी करने का अधिकार है, बशर्ते अपेक्षित फॉर्म जमा किया गया हो।

मामले में एक नाबालिग लड़की की याचिका को स्वीकार करते हुए जस्टिस बेचू कुरियन थॉमस ने यह भी कहा कि नाबालिग बच्चे के पासपोर्ट में गैर-नागरिक को कानूनी अभिभावक के रूप में शामिल करने पर कोई कानूनी रोक नहीं है।

कोर्ट ने कहा,

"चूंकि याचिकाकर्ता का जन्म भारत में हुआ था और उसका मूल निवास भारत है और जब उसके जैविक पिता एक भारतीय नागरिक हैं, तो प्रतिवादियों द्वारा भारतीय पासपोर्ट जारी करने में उठाई गई आपत्ति विशुद्ध रूप से उसकी मां के अमेरिकी नागरिक होने पर आधारित है, जो कम से कम अपमानजनक और कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है।"

जज ने आगे यह निर्धारित किया कि एक माता-पिता जो दूसरे देश के नागरिक हैं, भारत में पैदा हुए बच्चे और जिसके अन्य माता-पिता एक भारतीय नागरिक हैं, को भारतीय पासपोर्ट जारी करने के अधिकार से वंचित नहीं करेंगे।

कोर्ट ने कहा,

"...याचिकाकर्ता, हालांकि नाबालिग और बच्चा है, अभी भी "कोई है। याचिकाकर्ता के यात्रा करने के अधिकार, उसकी राष्ट्रीयता का आनंद लेने का अधिकार और उसकी नागरिकता का आनंद लेने के उसके अधिकार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।"

याचिकाकर्ता के माता-पिता ने आपसी सहमति से अपनी शादी भंग की है। उन्होंने आपसी सुविधा से अमेरिकी नागरिक होने के बावजूद मां को कानूनी अभिभावक नियुक्त किया है और पिता को विजिटिंग राइट दिए गए हैं।

विवाह समाप्त होने के बाद मां ने पुनर्विवाह किया है और याचिकाकर्ता को अपने साथ विदेश ले जाने का इरादा रखती है। उसने जब पासपोर्ट के लिए आवेदन किया गयातो पासपोर्ट जारीकर्ता प्राधिकारी ने याचिकाकर्ता के जैविक पिता की सहमति पर जोर दिया और उसकी सहमति के बिना आवेदन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

नाबालिग लड़की ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और अपने जैविक पिता की सहमति पर जोर दिए बिना उसे पासपोर्ट जारी करने का निर्देश देने की मांग की। उसने अपने सौतेले पिता के विवरण सहित उसे पासपोर्ट जारी करने के निर्देश भी मांगे।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता डॉ अभिलाष ओयू ने तर्क दिया कि उसके माता-पिता 2011 से अलग रह रहे थे, और ऐसी परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता को जैविक पिता की सहमति प्रस्तुत करने के लिए मजबूर करना कानूनी रूप से आवश्यक नहीं है।

यह भी दावा किया गया था कि याचिकाकर्ता जन्म से एक भारतीय नागरिक है और उसकी मां, हालांकि संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक है, भारत की ओवरसीज़ सिटिजन के रूप में पंजीकृत हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील जयशंकर वी नायर की सहायता से एएसजीआई एस मनु ने तर्क दिया कि पासपोर्ट नियमावली, 2020 के अनुसार, यदि अदालत के आदेशों के अनुसार मुलाकात के अधिकार दिए गए हैं तो नाबालिग को पासपोर्ट जारी करने के लिए दायर आवेदन को संसाध‌ित करने के लिए अन्य माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होती है।

एडवोकेट शाहुल हमीद के माध्यम से पेश हुए पिता केएम वर्गीस और टीए नियास ने प्रस्तुत किया कि उन्हें याचिकाकर्ता को उनकी सहमति पर जोर दिए बिना पासपोर्ट जारी करने में कोई आपत्ति नहीं है।

अदालत ने मामले में तीन मुद्दों पर विचार किया

(i) क्या नाबालिग को पासपोर्ट जारी करने के लिए माता-पिता दोनों की सहमति आवश्यक है?

यह नोट किया गया था कि पिता को अपने बच्चे को भारतीय पासपोर्ट जारी किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राधिकरण कानूनी रूप से माता-पिता दोनों की सहमति पर जोर नहीं दे सकता है। पासपोर्ट नियमावली के अनुसार, यदि पासपोर्ट नियम, 1980 की अनुसूची III के अनुलग्नक-सी के रूप में एक हलफनामा दायर किया जाता है तो पासपोर्ट जारीकर्ता प्राधिकारी माता-पिता दोनों की सहमति पर जोर दिए बिना नाबालिग को पासपोर्ट जारी कर सकता है।

(ii) यदि माता-पिता में से एक दूसरे देश का नागरिक है तो क्या नाबालिग बच्चे को भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने का अधिकार नहीं है?

याचिकाकर्ता की मां हमेशा एक अमेरिकी नागरिक थी इसलिए एक माता-पिता की नागरिकता की समाप्ति या त्याग का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए यह फैसला सुनाया गया कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 3 के अनुसार जन्म से भारतीय नागरिकतर प्राप्त याचिकाकर्ता को उसकी मां के अमेरिकी नागरिक होने के कारण स्टेटलेस बच्चा नहीं माना जा सकता है।

न्यायालय का विचार था कि केवल इसलिए कि एक माता-पिता ने दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर ली है या माता-पिता भारत के नागरिक नहीं है तो यह भारत में पैदा हुए बच्चे को भारतीय पासपोर्ट जारी किए जाने से वं‌चित नहीं करेगा।

(iii) क्या केवल कानूनी अभिभावक के नाम का उल्लेख करते हुए पासपोर्ट जारी किया जा सकता है?

नाबालिग बच्चे के पासपोर्ट में गैर-नागरिक के नाम को कानूनी अभिभावक के रूप में शामिल नहीं करने के कानूनी प्रतिबंध को कोई भी पक्ष अदालत के ध्यान में नहीं ला सका। इसलिए, कोर्ट ने माना कि कानूनी अभिभावक के रूप में याचिकाकर्ता का पासपोर्ट उसकी मां के नाम से जारी किया जा सकता है।

इस प्रकार, यह माना गया कि याचिकाकर्ता पासपोर्ट पाने का हकदार है, जिसमें उसकी मां का नाम न केवल मां के रूप में बल्कि कानूनी अभिभावक के रूप में भी दर्ज होगा। पासपोर्ट जारीकर्ता प्राधिकरण को तीन सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के आवेदन पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

केस शीर्षक: चैतन्य एस नायर (नाबालिग) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (केरल) 127

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