एनडीपीएस अधिनियम : आरोपी को पकड़ने से पहले राजपत्रित अधिकारी को अवैध ड्रग्स के बारे में गुप्त टिप देना अभियोजन पक्ष की कहानी पर संदेह करने का कारण नहीं : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2022-06-06 13:43 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में एनडीपीएस मामले में अभियोजन पक्ष की कहानी पर संदेह करने से इनकार कर दिया। बचाव पक्ष ने अभियोजन पक्ष के मामले पर केवल इस आधार पर संदेह व्यक्त किया था कि कथित गुप्त जानकारी जिसके आधार पर आरोपी को पकड़ा गया था, उसकी गिरफ्तारी से पहले ही वह गुप्त जानकारी एक राजपत्रित अधिकारी (Gazetted Officer) से साझा की गई। बचाव पक्ष के इस संदेह को अदालत ने मानने से इनकार कर दिया।

याचिकाकर्ता ने ट्रामाडोल सॉल्ट (Tramadol salt) युक्त 20 किलोग्राम से अधिक की गोलियों की बरामदगी से जुड़े मामले में नियमित जमानत की मांग करते हुए तर्क दिया था कि पुलिस अधिकारी द्वारा बताई गई कहानी असंभव है कि याचिकाकर्ता को पकड़ने से पहले एक राजपत्रित अधिकारी को मौके पर बुलाया गया था।

जस्टिस अवनीश झिंगन की पीठ ने कहा,

" किसी राजपत्रित अधिकारी को गुप्त सूचना प्राप्त होने पर अपने आप में प्रथम दृष्टया यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि अभियोजन की कहानी असंभव है।"

पीठ ने यह भी कहा कि एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 वाणिज्यिक मात्रा की बरामदगी के मामले में जमानत के लिए कड़ी शर्त प्रदान करती है और बरामद हुए पदार्थ की मात्रा को देखते हुए नियमित जमानत देने के लिए हिरासत ही एकमात्र विचार नहीं होगा।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने दावा किया कि यह उसकी पहली जमानत याचिका है, जबकि रजिस्ट्री के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 439 के तहत यह उसकी दूसरी याचिका है क्योंकि पहली जमानत याचिका 3 सितंबर 2020 के आदेश के तहत खारिज कर दी गई थी।

इसके अलावा, अदालत ने यह नोट किया कि याचिकाकर्ता से ट्रामाडोल सॉल्ट युक्त 20 किलो से अधिक ड्रग बरामद की गई हैं, जबकि लाइसेंस केवल गोदाम के लिए था। याचिकाकर्ता का आचरण इस तथ्य से स्पष्ट है कि इस न्यायालय से भौतिक तथ्यों को छुपाया गया है। बहरहाल, याचिकाकर्ता से 20 किलो से अधिक की ट्रामाडोल सॉल्ट की गोलियों की बरामदगी की जा रही है।

अदालत ने पार्टियों के प्रतिद्वंद्वी प्रस्तुतीकरण और निर्धारित कानून पर विचार करने के बाद माना कि अधिनियम की धारा 37 उन मामलों में जमानत देने के लिए कड़ी शर्त प्रदान करती है जहां वाणिज्यिक मात्रा बरामद की जाती है।

अदालत ने आगे कहा कि हिरासत (8 नवंबर, 2019 से) अपने आप में नियमित जमानत देने के लिए एकमात्र विचार नहीं होगा, खासकर बरामद किए गए पदार्थ की मात्रा को देखते हुए, इसलिए गुण-दोष के आधार पर कोई आदेश दिए बिना वर्तमान याचिका खारिज कर दी गई।

केस टाइटल : जसविंदर सिंह @ जस बनाम पंजाब राज्य


आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें





Tags:    

Similar News