बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को पालघर साधु लिंचिंग मामले में गिरफ्तार किए गए चार लोगों को ज़मानत देने से इनकार किया। इस मामले में दो साधुओं और उनके ड्राइवर को एक भीड़ ने चोर समझकर मार डाला था।
सिंगल-जज जस्टिस डॉ. नीला गोखले ने राजेश ढाकल राव, सुनील @ सत्य शांताराम दलवी, सजन्या बर्क्या बर्कुड और विनोद रामू राव को ज़मानत देने से इनकार किया।
जज ने ज़मानत देने से इनकार करते हुए अपराध की गंभीरता और आरोपियों द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को प्रभावित करने की संभावना पर विचार किया।
जज ने आदेश में कहा,
"अपराध की प्रकृति, गंभीरता और मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, साथ ही गवाहों के साथ छेड़छाड़ या सबूतों के नष्ट होने की उचित आशंका को देखते हुए और आवेदकों के बिना किसी अनुचित देरी के ट्रायल का सामना करने के लिए उपलब्ध न होने के कारण मेरी राय में यह मामला ज़मानत देने के लिए उपयुक्त नहीं है और न ही यह न्याय के हित में है कि आवेदकों को ज़मानत पर रिहा किया जाए।"
जज ने लगभग पांच साल की लंबी कैद की दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आवेदकों पर लगाए गए अपराध के लिए अधिकतम सज़ा आजीवन कारावास या मौत की सज़ा है। इसलिए यह माना कि बिताई गई कैद को लंबी कैद नहीं कहा जा सकता।
जज ने कहा,
"इसमें कोई शक नहीं कि किसी व्यक्ति की आज़ादी कीमती होती है और अदालतों को इसकी पूरी सुरक्षा करनी चाहिए। फिर भी ऐसी सुरक्षा हर स्थिति में पूरी तरह से नहीं हो सकती। किसी व्यक्ति की आज़ादी के कीमती अधिकार और आम तौर पर समाज के हित के बीच संतुलन बनाना होता है। किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति की आज़ादी मामले की ज़रूरतों पर निर्भर करेगी। यह संभव है कि किसी दी गई स्थिति में समुदाय का सामूहिक हित संबंधित व्यक्ति की व्यक्तिगत आज़ादी के अधिकार से ज़्यादा महत्वपूर्ण हो सकता है।"
गौरतलब है कि अप्रैल, 2020 में पालघर में एक गुस्साई भीड़ ने दो हिंदू संतों, महाराज कल्पवृक्ष गिरि @ चिकना बाबा और सुशील गिरि महाराज को पीट-पीटकर मार डाला था। दोनों संत मुंबई से सूरत जा रहे थे जब 200 से ज़्यादा लोगों की भीड़ ने उनकी कार रोक ली। इस भीड़ ने फिर कार को पलट दिया और पत्थर फेंके, जिसके परिणामस्वरूप दोनों संतों के साथ-साथ कार के ड्राइवर की भी मौत हो गई।
Case Title: Rajesh Dhakal Rao vs State of Maharashtra (Bail Application 3043 of 2025)